किसान संगठनों का ऐलान- मांगें नहीं माने जाने तक हरियाणा में फ्री करेंगे टोल प्लाजा
क्या है खबर?
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करते हुए हरियाणा के किसान संगठनों का कहना है कि उनकी मांगें नहीं माने जाने तक वो राज्य से गुजरने वाले सभी हाइवेज को टोल फ्री कर देंगे।
इससे पहले किसानों ने कहा था कि 25 से 27 दिसंबर तक हाइवे पर बने टोल नाकों पर वाहन चालकों को शुल्क नहीं देना पड़ेगा।
अब किसानों ने अनिश्चितकालीन समय के लिए नाकों को टोल फ्री करने का ऐलान किया है।
किसान आंदोलन
टोल प्लाजा से होकर गुजरते हैं आंदोलन में आने वाले किसान
दरअसल, दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के किसानों को राज्य से गुजरने वाले हाइवे से जाना पड़ता है।
इसे देखते हुए किसानों ने राज्य के सभी टोल नाकों को फ्री करवाने का ऐलान किया है।
किसानों का कहना है कि सरकार जब कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, वो वाहन चालकों से टोल फीस की वसूली नहीं होने देंगे।
पंजाब में भी कई टोल प्लाजा फ्री हो चुके हैं।
बयान
समिति रखेगी टोल प्लाजा पर चल रहे आंदोलनों पर नजर- चढूनी
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, "आज हम कई टोल प्लाजा पर गए थे। वहां पर लोगों का विचार था कि टोल प्लाजा को हमेशा के लिए फ्री कर देना चाहिए। हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी हमने वाहनों के लिए टोल प्लाजा फ्री करने का फैसला लिया है। सभी टोल प्लाजा पर चल रहे आंदोलनों पर नजर रखने के लिए एक समिति बनाई जाएगी। यही समिति अधिकारियों से बात करेगी।"
विरोध
भाजपा-जजपा नेताओं के किया जा रहा घेराव
दूसरी तरफ हरियाणा के किसानों ने राज्य में सरकार चला रही भाजपा और जजपा के नेताओं का घेराव तेज कर दिया है।
किसान अलग-अलग जगहों पर इन पार्टियों के नेताओं के घरों का घेराव कर रहे हैं, उनके काफिलों को काले झंडे दिखा रहे हैं और उनके खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।
शनिवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भिवानी के बहल में आए थे। उनके दौरे की खबर मिलने के बाद बड़ी संख्या में किसान वहां इकट्ठा हो गए थे।
विरोध
किसान आंदोलन को देखते हुए रद्द हुआ खट्टर का भिवानी दौरा
शनिवार को मुख्यमंत्री खट्टर को भिवानी की चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी में एक इमारत का उद्घाटन करना था, लेकिन किसान आंदोलन को देखते हुए यह कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये संपन्न किया गया।
हालांकि, यूनिवर्सिटी के सूत्रों ने बताया कि यह कार्यक्रम पहले से ही वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये होना तय किया गया था।
बता दें कि हाल ही में खट्टर को अंबाला में भारी विरोध का सामना करना पड़ा था, जहां उन्हें काले झंडे दिखाए गए।
विरोध की वजह
किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं?
केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।