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    केदारनाथ त्रासदी में लापता हुए लोगों के अवशेषों की तलाश के लिए विशेषज्ञ समिति गठित

    केदारनाथ त्रासदी में लापता हुए लोगों के अवशेषों की तलाश के लिए विशेषज्ञ समिति गठित
    लेखन प्रमोद कुमार
    Aug 07, 2020, 08:32 pm 1 मिनट में पढ़ें
    केदारनाथ त्रासदी में लापता हुए लोगों के अवशेषों की तलाश के लिए विशेषज्ञ समिति गठित

    उत्तराखंड सरकार ने एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो 2013 में आई भीषण बाढ़ में लापता हुए 3,075 लोगों के अवशेष ढूंढने के लिए तकनीक या तरीका सुझाएगी। यह समिति राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिस पर अगले दो महीनों में आगामी कार्रवाई की जाएगी। राज्य आपदा राहत प्रबंधन के इंस्पेक्टर जनरल के प्रमुख वाली समिति में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।

    जरूरत पड़ने पर केदारनाथ भी जा सकेगी समिति

    हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इन तीनों संस्थानों को ऐसे अधिकारी, वैज्ञानिक और संकाय सदस्यों को समिति के लिए नामित करने का आदेश दिया गया है, जो इस तरह की जांच करने के लिए पूरी तरह योग्य, प्रशिक्षित और अनुभवी हों। साथ ही इनके लिए ऊंचाई वाली जगहों पर काम करने का अनुभव होना जरूरी है। इन्हें इंसानी अवशेषों को पहचानने और उन्हें निकालने की जानकारी होनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर यह समिति केदारनाथ भी जा सकेगी।

    हाई कोर्ट में जनहित याचिका हुई थी दायर

    राज्य सरकार ने अपने इस फैसले की जानकारी हाई कोर्ट को भी दे दी है। शुक्रवार को दिल्ली निवासी कार्यकर्ता अजय गौतम द्वारा 2014 में दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हलफनामा पेश किया।

    गौतम ने दिया था समिति के गठन का सुझाव

    जनहित याचिका में हाई कोर्ट को संबंधित संस्थाओं को केदारनाथ में आई त्रासदी में लापता हुए लोगों की तलाश के लिए उचित कदम उठाने का आदेश देने की मांग की की गई थी ताकि उनका हिंदू परंपरा के अनुसान उनका अंतिम संस्कार किया जा सके। गौतम ने कहा कि उन्होंने कोर्ट को सुझाव दिया था कि विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जानी चाहिए जो इस मामले को देखे और अवशेषों को खोजने के लिए कोई तरीका सुझाए।

    समिति के गठन के बाद जनहित याचिका रद्द

    गौतम ने कहा, "समिति के गठन से मैं खुश हूं। अब जनहित याचिका रद्द हो गई है। मैं इस मामले के लिए 2014 से लड़ाई लड़ रहा हूं। मुझे उम्मीद है कि आने वाला समय हजारों परिवारों के लिए राहत लेकर आएगा।"

    अब तक मिल चुके हैं लगभग 700 शव और कंकाल

    इसी साल 22 जून को हाई कोर्ट ने वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी को आदेश दिया था कि वह ऐसे वैज्ञानिक तरीके सुझाए, जिनसे लापता 3,075 लोगों के अवशेष खोजे जा सके और हिमालय के पर्यावरण पर भी असर न पड़े। केदारनाथ में 2013 में भीषण बाढ़ से आई तबाही के बाद से अभी तक 699 लाशें/कंकाल/ अवशेष मिले हैं। वहीं हाई कोर्ट भी समय-समय पर सरकार को लापता लोगों की तलाश के लिए आदेश देती रही है।

    अवशेषों की जांच के लिए बनी थी SIT

    नवंबर, 2016 में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को त्रासदी में लापता हुए लोगों के अवशेष खोजने और उनका अंतिम संस्कार करने के लिए विशेष जांच टीम (SIT) बनाने का आदेश दिया था। इसके बाद सरकार ने मई, 2017 में ऐसी पांच टीमों का गठन किया था। बाद में सितंबर, 2019 में सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा कि पहाड़ों को खोदकर अवशेषों को तलाशने से पारिस्थितिकी और पर्यावरण को अपूरणीय क्षति हो रही है।

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