#NewsBytesExplainer: क्या है पत्रकार सौम्या की हत्या का मामला, जिसमें 15 साल बाद आया फैसला?
पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या मामले में आज (18 अक्टूबर) को 15 साल बाद दिल्ली के साकेत कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने सभी पांचों आरोपियों को महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम अधिनियम (MCOCA) के तहत दोषी करार दिया है। कोर्ट ने 13 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। सितंबर, 2008 में दक्षिणी दिल्ली में सौम्या का शव उन्हीं की कार से बरामद हुआ था। आइए जानते हैं कि पत्रकार सौम्या की हत्या का ये पूरा मामला क्या है।
6 महीने बाद हुआ था सौम्या की हत्या का खुलासा
सौम्या 30 सितंबर, 2008 को देर रात करीब 3:30 बजे अपनी कार से घर लौट रही थीं। उसी दौरान वसंत कुंज इलाके में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सौम्या की लाश दिल्ली पुलिस को नेल्सन मंडेला मार्ग पर उन्हीं की कार से बरामद हुई थी। मामले का खुलासा करने में पुलिस को करीब 6 महीने का समय लग गया और हत्या के आरोप में पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया था।
कैसे हुआ मामले का खुलासा?
जांच के दौरान पुलिस ने CCTV फुटेज खंगाले और पता चला कि एक भूरी रंग की कार सौम्या का पीछा कर रही थी। जो भूरे रंग की कार सौम्या की हत्या के वक्त देखी गई थी, उसका इस्तेमाल BPO कर्मचारी जिगिशा घोष की हत्या के समय भी किया गया था। इसके बाद पुलिस ने मार्च, 2009 में जिगिशा हत्याकांड में रवि कपूर और अमित शुक्ला को गिरफ्तार किया, जिन्होंने पूछताछ में सौम्या की हत्या की बात भी कबूल कर ली।
क्यों की गई थी सौम्या की हत्या?
दिल्ली पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए दावा किया था कि सौम्या की हत्या के पीछे आरोपियों का मकसद केवल लूटपाट था। अप्रैल, 2009 में पुलिस ने सौम्या हत्या मामले में रवि कपूर की गैंग से जुड़े अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया था। मामले के आरोपिोयं में रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी शामिल हैं। ये पांचों आरोपी मार्च, 2009 से जेल में बंद हैं।
मामले में सभी आरोपियों पर लगा है MCOCA
मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ हत्या के मामले में MCOCA के तहत आरोप तय किए गए थे। इसके अलावा उन पर हत्या और डकैती समेत अन्य वारदारतों की भी धाराएं लगाई गई थीं। पुलिस ने जून, 2010 में चार्जशीट दाखिल की थी।
सुनवाई में कब क्या हुआ?
सौम्या हत्याकांड में मुकदमे की कार्यवाही 16 नवंबर, 2010 को साकेत कोर्ट में शुरू हुई थी। सुनवाई के दौरान पुलिस ने कोर्ट में हत्याकांड से जुड़े CCTV फुटेज, फॉरेंसिक रिपोर्ट और आरोपियों के कबूलनामे जैसे साक्ष्य प्रस्तुत किए थे। 9 जुलाई, 2016 को कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी और अगली सुनवाई के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, लेकिन कानूनी जटिलताओं के कारण फैसला को कई बार टाला गया।
न्यूजबाइट्स प्लस
महाराष्ट्र सरकार ने 1999 में MCOCA बनाया था। इसका मुख्य मकसद संगठित और अंडरवर्ल्ड अपराध को खत्म करना था। इसके तहत संगठित अपराधों में जबरन वसूली, अपहरण, हत्या या हत्या की कोशिश, धमकी, उगाही और लूट जैसे मामले आते हैं। MCOCA लगने के बाद आरोपियों को आसानी से जमानत नहीं मिलती है। 2002 में दिल्ली सरकार ने भी इस कानून को लागू कर दिया था। इसके तहत अधिकतम सजा फांसी है और न्यूनतम 5 साल जेल का प्रावधान है।