#NewsBytesExplainer: साइबर क्राइम कितने प्रकार के होते हैं और शिकार होने पर कैसे करें शिकायत?
साइबर अपराधी बहुत ही स्मार्ट तरीके से नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लोगों के साथ ऑनलाइन फ्रॉड करने के लिए करते हैं। ये लोगों की व्यक्तिगत जानकारी चुराने से लेकर उनके साथ विभिन्न तरह की वित्तीय धोखाधड़ी करते हैं। यदि आप भी कभी साइबर अपराध का शिकार हो जाते हैं तो ऐसी स्थिति में आपको सबसे पहले इसकी शिकायत दर्ज करानी चाहिए। आइये जानते हैं कि शिकायत दर्ज कराने की पूरी प्रक्रिया क्या है।
साइबर अपराध के प्रकार
फिशिंग, रैनसमवेयर, पहचान से जुड़ी चोरी और ऑनलाइन पैसों की चोरी के अलावा साइबर स्टॉकिंग और साइबर बुलिंग आदि साइबर क्राइम के चर्चित प्रकार हैं। फिशिंग में भ्रामक ईमेल या मैसेज के जरिए लोगों की संवेदनशील जानकारी चुराने का प्रयास किया जाता है। इंटरनेट पर फर्जी उत्पाद या झूठी स्कीम के जरिए लोगों से पैसे ऐंठने का प्रयास किया जाता है। इसके अलावा फर्जी कॉल, लॉटरी स्कैम और क्रिप्टोकरेंसी आदि के नाम पर साइबर अपराध किया जाता है।
साइबर अपराध का शिकार होने पर करें ये काम
यदि आपको एहसास होता है कि आप साइबर धोखाधड़ का शिकार हो गए हैं तो सबसे पहले अपना बैंक अकाउंट ब्लॉक करें। बैंक अधिकारियों से संपर्क करें और उन्हें सूचित करें कि आपकी व्यक्तिगत जानकारी से छेड़छाड़ की गई है।
राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर करें शिकायत
यह पोर्टल साइबर अपराध की ऑनलाइन रिपोर्ट करने के लिए है। पीड़ित या शिकायतकर्ता यहां सिर्फ साइबर अपराधों से जुड़ी शिकायतें ही दर्ज कर सकते हैं। इसमें महिलाओं और बच्चों के साथ हुए साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस पोर्टल पर दर्ज की गई शिकायतों का निपटारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों/पुलिस द्वारा किया जाता है। इसलिए सही और सटीक जानकारी दें।
दर्ज करें ऑनलाइन शिकायत
यदि आप साइबर अपराध के शिकार हैं या महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध देखते हैं तो साइबर क्राइम की वेबसाइट पर इसकी रिपोर्ट कर सकते हैं। अपनी पहचान छिपाकर भी रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। शिकायत दर्ज करने के लिए बैंक अकाउंट नंबर, जिस अकाउंट में पैसा ट्रांसफर किया उसका नंबर, बैंक में दिया गया आपका मोबाइल नंबर आदि जरूरी दस्तावेज हैं। अपनी शिकायत दर्ज करने के बाद उसकी स्थिति भी ट्रैक कर सकते हैं।
पहचान छिपाकर भी कर सकते हैं ऑनलाइन शिकायत
पहचान छिपाकर की जाने वाली शिकायतों के मामले में आपको कोई व्यक्तिगत जानकारी देने की जरूरत नहीं है। हालांकि, पुलिस अधिकारियों द्वारा जरूरी कार्रवाई करने के लिए घटना/शिकायत से जुड़ी जानकारी पूरी होनी चाहिए। आपको मुख्य जानकारी जैसे अपना नाम, फोन नंबर, ईमेल पता, घटना/शिकायत का विवरण और शिकायत से जुड़ी जरूरी जानकारी आदि प्रदान करनी होगी। शिकायत दर्ज करने के लिए अपने मोबाइल नंबर का उपयोग करके खुद को पंजीकृत करना होगा।
मोबाइल नंबर और मेल पर मिलेगा शिकायत रेफरेंस नंबर
पोर्टल पर रिपोर्ट की गई शिकायतों को संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस अधिकारियों द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। एक बार आपकी शिकायत सबमिट हो जाने पर आपको पोर्टल में ही एक कंफर्मेंशन मैसेज प्राप्त होगा। यदि आपने पोर्टल पर उपलब्ध 'रिपोर्ट और ट्रैक' विकल्प या 'रिपोर्ट अन्य साइबर अपराध' सेक्शन के तहत शिकायत दर्ज की है तो आपको अपने रजिस्टर्ड मोबइल नंबर और ई-मेल पर शिकायत रेफरेंस नंबर के साथ एक मैसेज और ई-मेल प्राप्त होगा।
हेल्पलाइन नंबर 1930
1930 राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर है। यदि आपके साथ किसी भी तरह का वित्तीय फ्रॉड हो जाता है तो 1930 नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इस हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर आपको अपना नाम, संपर्क जानकारी आदि बतानी होगी। इसके साथ ही अपना अकाउंट नंबर और उस अकाउंट की जानकारी देनी होगी, जिसमें आपने पैसे ट्रांसफर किए हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की वेबसाइट के मुताबिक, यह हेल्पलाइन 24X7 काम करती है।
पुलिस स्टेशन में दर्ज कराएं शिकायत
यदि आप अपने साथ हुए साइबर अपराध की ऑनलाइन या हेल्पलाइन के जरिए रिपोर्ट नहीं दर्ज करा पा रहे हैं तो पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत करें। इसके बाद पुलिस अधिकारी आवश्यक कार्रवाई करेंगे और मामले को साइबर सेल को स्थानांतरित कर देगे।
साइबर अपराध से ऐसे करें बचाव
साइबर अपराध आम लोगों के साथ ही बड़े संस्थानों, ऐप्स और सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनियों के लिए भी बड़ी चुनौती है। इसे पूरी तरह से खत्म करना अभी तो संभव नहीं दिख रहा है। जानकारों और विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर अपराध के प्रति जागरूकता ही इसका बचाव है। दूसरा यह कि साइबर अपराधी सॉफ्टवेयर, ऐप्स और ऑपरेटिंग सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर आपके सिस्टम तक पहुंचते हैं। ऐसे में अपने फोन और ऐप्स आदि को हमेशा अपडेट रखें।