कृषि कानून: समाधान न निकला तो 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड करेंगे प्रदर्शनकारी किसान
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वो 26 जनवरी के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर परेड करेंगे। किसानों का कहना है कि सरकार के पास अब कानून वापस लेने या किसानों के खिलाफ बल प्रयोग के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है। इससे पहले किसानों ने 4 जनवरी को होने वाली बातचीत असफल रहने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी थी।
किसानों ने बताई आगे की रणनीति
किसान नेता दर्शन पाल ने कहा, "हम सोमवार को सरकार के साथ बात करने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में 5 जनवरी को मामले की सुनवाई होगी। अगर कोई समाधान नहीं निकलता है और बातचीत असफल रहती है तो हम 6 जनवरी को कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे। 23 जनवरी को राज्यपालों के घरों के बाहर प्रदर्शन करेंगे।" उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद 26 जनवरी को हम ट्रैक्टरों पर तिरंगा लगाकर दिल्ली में बड़ी रैली करेंगे।"
MSP को लेकर गुमराह कर रही सरकार- चढ़ूनी
किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर गुमराह कर रही है। भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, "सरकार हमें गुमराह कर रही है। वो कह रहे हैं कि MSP खत्म नहीं होगी, लेकिन हम मांग कर रहे हैं कि MSP पर खरीद की गारंटी का कानून बनना चाहिए। यह हमारा अधिकार है।" किसान नेताओं ने सरकार पर दुष्प्रचार का भी आरोप लगाया है।
आंदोलन को तेज करने की बात कह चुके हैं किसान
इससे पहले किसानों ने शुक्रवार शाम को चेतावनी दी थी कि 4 जनवरी को होने वाली बातचीत अगर असफल रहती है तो वे आंदोलन को तेज करेंगे और बातचीत के सफल न होने पर हरियाणा में पेट्रोल पंप बंद करवाना शुरू करेंगे। किसान नेता 4 जनवरी को होने वाली बैठक में तीनों नए कृषि कानून रद्द करवाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की गारंटी के कानून की मांग के साथ बैठक में भाग लेने जाएंगे।
पिछले बैठक में दो मांगों पर बनी सहमति, लेकिन गतिरोध बरकरार
बीते 30 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच बने गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों की छठे दौर की औपचारिक बातचीत हुई थी। इसमें सरकार हवा की गुणवत्ता से संबंधित अध्यादेश और बिजली को लेकर आने वाले अध्यादेश से किसानों को दूर रखने पर सहमत हो गई है, लेकिन कानून रद्द करने और MSP पर खरीद की गारंटी के मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाई। 4 जनवरी को फिर इन पर चर्चा होगी।
क्यों विरोध कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।