क्या CBSE वापस करेगा परीक्षा फीस? दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया आठ सप्ताह का समय
क्या है खबर?
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द होने के बाद विद्यार्थियों से ली गई परीक्षा फीस वापस करने से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की।
इसमें कोर्ट ने CBSE को याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में लेने और आठ सप्ताह में यह तय करने का आदेश किया कि क्या याचिकाकर्ता को परीक्षा शुल्क, पूर्ण या आंशिक रूप से वपास किया जा सकता है या नहीं?
प्रकरण
CBSE ने रद्द कर दी थी 10वीं और 12वीं की परीक्षा
बता दें कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के कारण CBSE ने अप्रैल में 10वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने का निर्णय किया था।
इसके बाद 1 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई विशेष बैठक में 12वीं की परीक्षा को भी रद्द करने का निर्णय किया गया था।
उसके बाद CBSE ने 12वीं कक्षा का परिणाम 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा में प्रदर्शन के आधार पर 31 जुलाई तक जारी करने का निर्णय किया था।
याचिका
एक अभिभावक ने फीस वापस के लिए दायर की थी याचिका
परीक्षा रद्द किए जाने के बाद गत दिनों CBSE से संबद्ध स्कूल में पढ़ने वाली 10वीं कक्षा की छात्रा की मां दीपा जोसेफ ने एक जनहित याचिका दायर कर परीक्षा फीस वापस करने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि उन्होंने परीक्षा शुल्क के रूप में 2,100 का भुगतान किया था, लेकिन CBSE ने परीक्षा रद्द कर दी।
ऐसे में CBSE को परीक्षा शुल्क का कम से कम कुछ हिस्सा सभी छात्रों को वापस करना चाहिए।
सुनवाई
दिल्ली हाई कोर्ट ने CBSE को निर्णय के लिए दिया आठ सप्ताह का समय
मामले की सुनवाई में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि परीक्षा रद्द होने से CBSE का खर्च कम हुआ है।
जस्टिस प्रतीक जालान ने CBSE को निर्देश दिया कि वो याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में ले और आठ सप्ताह के अंदर यह तय करे कि याचिकाकर्ता को परीक्षा शुल्क, पूर्ण या आंशिक रूप से वपास किया जा सकता है या नहीं?
उन्होंने याचिकाकर्ता को निर्णय से संतुष्ट नहीं होने पर दुबारा याचिका दायर करने की भी छूट दी है।
बचाव
CBSE ने किया अपना बचाव
CBSE ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि वह एक स्वयं वित्तपोषित संस्था है और उसे केंद्र से फंड नहीं मिलता है। बोर्ड का पूरा खर्च परीक्षा शुल्क पर निर्भर है। परीक्षाओं के अलावा बोर्ड को इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बनाए रखना होता है और यह सब परीक्षा शुल्क से ही चलता है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि CBSE कुछ खर्च नहीं कर रहा है। परीक्षा के अलावा भी अन्य खर्च होते हैं।
समर्थन
वकीलों ने किया जस्टिस जालान का समर्थन
सुनवाई के दौरान जस्टिस प्रतीक जालान ने कहा कि उनका बेटा भी CBSE बोर्ड की कक्षा 10वीं में पढ़ता है। ऐसे में उनके मामले में दी गई राहत का प्रत्यक्ष लाभार्थी होने की संभावना है।
इस पर वकीलों ने कहा कि उन्हें जस्टिस जालान द्वारा याचिका पर की जा रही सुनवाई पर काई आपत्ति नहीं है।
हालांकि, CBSE ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने कानून का उल्लंघन नहीं किया और याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है।