कोरोना: चीन में 13 जनवरी को शिखर पर होगी ताजा लहर, रोजाना आएंगे 37 लाख मामले
चीन में लागू जीरो कोविड नीति को हटाए जाने के बाद कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बीच लंदन की ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस कंपनी एयरफिनिटी ने अपनी रिपोर्ट में चीन में जारी ताजा लहर का पहला शिखर 13 जनवरी को आने का अनुमान लगाया है। उस दिन संक्रमण के 37 लाख मामले आ सकते हैं। इसी तरह मौत का शिखर 10 दिन बाद आएगा और एक दिन में करीब 25,000 मौतें हो सकती हैं।
बीजिंग में शिखर पर पहुंच चुके हैं मामले
एयरफिनिटी ने बताया कि राजधानी बीजिंग में लहर का शिखर आ चुका है और अस्पताल में भर्ती मरीजों और मौतों की संख्या का शिखर भी अगले एक या दो हफ्ते में आ जाएगा। कंपनी ने चीन के अलग-अलग प्रांतों में हालिया समय में हुए बदलावों और रिपोर्ट किए गए मामलों के आधार पर यह अनुमान लगाया है। गौरतलब है कि चीनी सरकार ने कुछ समय पहले आधिकारिक तौर पर मामलों की जानकारी देना बंद कर दिया था।
मार्च की शुरुआत में आएगा लहर का दूसरा शिखर
एयरफिनिटी ने कहा कि चीन में कोरोना वायरस संक्रमण की लहर का दूसरा चरम स्तर 3 मार्च को आ सकता है और एक दिन में 42 लाख मामले सामने आने की संभावना है। कंपनी ने आगे बताया कि महामारी की दूसरी लहर में शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण इलाके ज्यादा प्रभावित होंगे। उसने क्षेत्रीय आंकड़ों के रुझानों का इस्तेमाल करते हुए संक्रमण के चरम पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जहां वर्तमान में मामले तेजी से बढ़ रहे है।
चीन में क्यों बढ़ रहे हैं मामले?
विशेषज्ञों की मानें तो लंबे समय तक जीरो कोविड नीति लागू होने के कारण चीन में अधिक संक्रमण नहीं फैला। इसके चलते कई लोग संक्रमण से अछूते रहे और उनमें कोरोना वायरस के खिलाफ प्राकृतिक इम्युनिटी विकसित नहीं हो सकी। इसी कारण चीन में जब भी संक्रमण का एक भी मामला आया तो उससे बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए। ऐसा इस साल मार्च और अप्रैल के महीनों में देखने को मिला था जब रिकॉर्ड केस दर्ज किए गए थे।
क्या थी चीन की जीरो कोविड नीति?
चीन में पिछले तीन साल से जीरो कोविड नीति के चलते सख्त पाबंदियां लागू थीं। इसके तहत बिना लक्षण वाला नया केस मिलने पर भी संक्रमित व्यक्ति को अनिवार्य तौर पर भर्ती किया जाता था। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों को भी लंबे समय तक आइसोलेट किया जा रहा था। जीरो कोविड नीति के तहत किसी इलाके में कुछ संक्रमित मिलने पर भी कड़ा लॉकडाउन लगा दिया जाता था। इससे आर्थिक नुकसान हो रहा था।