
असम में विदेशी बताकर लोगों को जबरन बांग्लादेश भेजे जाने के मामले क्या हैं?
क्या है खबर?
असम में लोगों को विदेशी होने के संदेह में हिरासत में लेने और फिर जबरन बांग्लादेश भेजने से जुड़े कई मामले सामने आए हैं।
27 मई की रात एक शिक्षक समेत 14 लोगों को सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा जबरन बांग्लादेश भेजने की जानकारी सामने आई थी। उक्त शिक्षक की नागरिकता से जुड़े मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में कुछ और याचिकाएं भी दाखिल की गई हैं।
आइए जानते हैं मामला क्या है।
संख्या
अब तक 49 लोग 'नो मेन्स लैंड' में भेजे गए- रिपोर्ट
असम सरकार ने विदेशी न्यायाधिकरण की ओर से विदेशी घोषित किए गए कम से कम 49 लोगों को भारत और बांग्लादेश के बीच स्थित नो मैंस लैंड में भेज दिया है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट में इनकी संख्या ज्यादा बताई गई है।
मानवाधिकार संगठन सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस ने बताया है सैकड़ों लोगों को हिरासत में भी लिया गया है।
इनमें कई ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जमानत मिल चुकी थी।
शिक्षक
क्या है शिक्षक को बांग्लादेश भेजे जाने का मामला?
27 मई की रात BSF ने एक शिक्षक खैरुल इस्लाम समेत 14 लोगों को जबरन बांग्लादेश सीमा में भेज दिया था।
BBC के मुताबिक, इसके बाद बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (BGB) ने सभी को भारत लौटाने का प्रयास किया, लेकिन BSF ने इन्हें घुसपैठिया बताते हुए वापस नहीं लिया।
BBC बांग्ला से बात करते हुए इस्लाम ने कहा, "मुझे बुरी तरह मारा-पीटा गया। आंखों पर पट्टी बांधकर और हाथों को पीठ के पीछे बांध कर सीमा पर ले जाया गया।"
याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में पहुंचा मामला?
लोगों को जबरन भेजने को लेकर ऑल BTC माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
इसमें मांग की गई है कि किसी को तब तक न निकाला जाए, जब तक न्यायाधिकरण द्वारा उसे विधिवत विदेशी घोषित न किया जाए, उसकी नागरिकता की विदेश मंत्रालय से पुष्टि न हो और उसे अपील या समीक्षा का मौका न मिला हो।
वहीं, एक शख्स ने अपनी मां को हिरासत में लिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 63 घोषित विदेशियों को निकालने का दिया था आदेश
इसी साल 4 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को 63 घोषित विदेशियों को 2 हफ्तों के भीतर उनके देश वापस भेजने का आदेश दिया था।
मानवाधिकार संगठनों और याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस आदेश का गलत इस्तेमाल करते हुए असम सरकार ने व्यापक और अंधाधुंध अभियान शुरू कर दिया है। सरकार उन लोगों को भी सीमा पार भेज रही है, जिनकी नागरिकता की जांच नहीं हुई है और उन्हें अपील का मौका भी नहीं मिला है।
मुख्यमंत्री
मामले पर मुख्यमंत्री का क्या कहना है?
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी नागरिक घोषित किए गए 30,000 लोग गायब हो चुके हैं। अभी NRC अपडेट प्रक्रिया रुकी हुई है। अब इसको तेज करने का निर्णय लिया गया है। हमें कोई विदेशी मिलता है, तो हम कानून के अनुसार कार्रवाई करेंगे। कोई भी घोषित विदेशी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। अगर किसी ने अपील नहीं की है तो उसका यहां रहने का अधिकार समाप्त हो जाता है।"