सरकार ने दवा निर्माण के नए मानक तय किए, विदेश में हुई मौतों के बाद फैसला
केंद्र सरकार ने भारतीय दवाई निर्माता कंपनियों के लिए दवाई निर्माण के नए मानक तय किए हैं। ये मानक इसी साल से लागू हो जाएंगे और कंपनियों को इनका पालन करते हुए दवाईयों का निर्माण करना होगा। इनमें दवाओं की गुणवत्ता, लैबलिंग, परीक्षण और लाइसेंस जैसी कई बातें शामिल हैं। बता दें कि भारत में बनी दवाओं से विदेश में कई लोगों की मौत होने के बाद ये फैसला लिया गया है।
नए मानकों में क्या-क्या हैं?
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि दवा निर्माता को अपने उत्पादों की गुणवत्ता की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि वे अपने उपयोग के लिए उपयुक्त हैं और लाइसेंस के लिए जरूरी चीजों का पालन करते हैं। निर्माता की जिम्मेदारी होगी कि उसका उत्पाद सुरक्षा या गुणवत्ता में कमी के कारण किसी की जिंदगी को खतरे में नहीं डाले। परीक्षण में सफल होने पर ही उत्पाद पर 'तैयार' का लेबल लगाया जाए।
अधिकारी को देनी होगी खराब दवा वापस लेने की जानकारी
नियमों के तहत, दवा कंपनियों को किसी दवाई को वापस लेने के बारे में लाइसेंसिंग अधिकारी को सूचित करना होगा और इसकी खराबी या कमियों के बारे में भी जानकारी देनी होगी। अभी तक दवा वापस लेने से जुड़ी जानकारी के बारे में सूचित करने का कोई प्रावधान नहीं था। इसके अलावा कंपनियों को दवाओं की दोबारा टेस्टिंग या बैच वेरिफिकेशन के लिए सैंपल की पर्याप्त संख्या भी सुनिश्चित करनी होगी।
सरकार ने क्यों लिया ये फैसला?
दरअसल, 2022 में भारतीय दवाओं के इस्तेमाल से विदेश में कई मौतें होने की मामले सामने आए थे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अगस्त में कहा था कि दिसंबर 2022 से 162 दवा फैक्ट्रियों के निरीक्षण में सामने आया था कि यहां कच्चे माल की ठीक से टेस्टिंग नहीं की जा रही है। भारत की 8,500 छोटी दवा फैक्ट्रियों में से एक-चौथाई से भी कम विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय किए गए अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरी थीं।
कंपनियों ने नियम के अमल को लेकर मांगी मोहलत
सरकार ने नए मानकों को लागू करने के लिए बड़ी कंपनियों को 6 महीने और छोटी कंपनियों को एक साल तक का अधिकतम समय दिया है। कई कंपनियों ने इस समयसीमा को बढ़ाने की मांग की है। इन कंपनियों का कहना है कि इन मानकों पर खरा उतरने के लिए जो निवेश लगेगा, उससे आधी से ज्यादा कंपनियां बंद हो जाएंगी। कंपनियों ने कमजोर वित्तीय हालत और कर्ज का हवाला देकर समयसीमा बढ़ाने की मांग की है।
क्या है भारतीय दवाओं से मौतों का मामला?
अक्टूबर, 2022 में अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत के बाद WHO ने भारतीय कंपनी की बनाई 4 दवाओं को लेकर अलर्ट जारी किया था। दिसंबर, 2022 में उज्बेकिस्तान ने दावा किया था कि भारत में बने एक सिरप को पीने से 18 बच्चों की मौत हो गई है। इस मामले में कंपनी के 3 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था और कंपनी का लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया था।