केंद्र सरकार की पूजा खेडकर पर बड़ी कार्रवाई, तत्काल प्रभाव से IAS सेवा से किया बर्खास्त
केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के पुणे में फर्जी दस्तावेजों को लेकर नौकरी गंवाने वाली पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने उन्हें दोषी मानते हुए तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से बर्खास्त कर दिया है। शुक्रवार को जारी किए गए एक आधिकारिक आदेश में खेडकर को IAS (परिवीक्षा) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत बर्खास्त किया गया है। आइए इस पूरी खबर पर नजर डालते हैं।
सरकार ने इस नियम के तहत की कार्रवाई
सरकार ने खेडकर को IAS (परिवीक्षा) नियम, 1954 के नियम 12, अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने और सिविल सेवा परीक्षा 2022 नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाने पर सेवा से बर्खास्त किया है। UPSC ने कहा, "खेडकर की जांच से सामने आया कि उन्होंने अपने नाम, माता-पिता के नाम, अपनी तस्वीर, हस्ताक्षर, ई-मेल आइडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर परीक्षा नियमों के तहत स्वीकार्य सीमा से परे जाकर धोखाधड़ी को अंजाम दिया है।"
खेडकर ने नाम बदलकर दी थी IAS परीक्षा
खेडकर ने साल 2020-21 तक 'पूजा दिलीपराव खेडकर' नाम से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कोटे के तहत UPSC की परीक्षा दी थी। इसके बाद 2021-22 में सभी प्रयासों के खत्म होने के बाद वह OBC और PWBD (बेंचमार्क विकलांग व्यक्ति) कोटे के तहत परीक्षा में शामिल हुई थी। इस बार उन्होंने 'पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर' नाम का इस्तेमाल किया। इस प्रयास में वह 821 रैंक के साथ परीक्षा पास करने में सफल रही थीं।
दिल्ली पुलिस ने स्टेटस रिपोर्ट में किया था चौंकाने वाला खुलासा
इससे पहले खेडकर के खिलाफ दर्ज मामले में दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में पेश की अपने स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि खेडकर OBC नॉन-क्रीमी लेयर आरक्षण की हकदार नहीं थी और परीक्षा में उनके आवेदन में गलत जानकारी पेश करने की सुनियोजित साजिश रची गई थी। हालांकि, खेडकर ने इन सभी आरोपों को नकारते हुए खुद को 47 प्रतिशत दिव्यांग बताया था। इसके बाद पुलिस ने इसकी जांच में उनका दिव्यांगता प्रमाणपत्र भी फर्जी निकल आया था।
क्या है खेडकर से जुड़ा पूरा विवाद?
खेडकर सहायक कलेक्टर के पद पर तैनाती मिलते ही अपनी मांगों को लेकर विवादों में घिरी थीं। उन पर विकलांगता और OBC का फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर नौकरी पाने में उसका दुरुपयोग करने के आरोप लगे थे। इस मामले में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी और भविष्य में परीक्षा देने पर भी रोक लगा दी। UPSC ने उनके खिलाफ FIR भी दर्ज कराई है, जिसमें उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से गिरफ्तारी से राहत मिली है।