पाकिस्तानी सेना ने पहली बार स्वीकार की करगिल युद्ध में अपनी भूमिका, क्या बोले सेना प्रमुख?
करगिल युद्ध के करीब 25 साल बाद पाकिस्तान की सेना ने इस संघर्ष में अपनी भूमिका को आधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लिया है। पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने युद्ध में सेना का हाथ होने की बात कबूल की है। इससे पहले हमेशा पाकिस्तान युद्ध में सीधी सैन्य भागीदारी से इनकार करता रहा है। पड़ोसी मुल्क की सेना घुसपैठियों को 'कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानी' या 'मुजाहिदीन' बताती थी।
क्या बोले असीम मुनीर?
6 सितंबर को रक्षा दिवस के मौके पर रावलपिंडी में पाकिस्तान की सेना के मुख्यालय में अलग-अलग संघर्षों में मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों को सम्मानित किया जाना था। यहां जनरल मुनीर ने कहा, "पाकिस्तानी समुदाय बहादुरों का समुदाय है, जो स्वतंत्रता के महत्व और इसके लिए भुगतान करने के तरीके को समझता है। चाहे वह 1948, 1965, 1971 हो या 1999 का करगिल युद्ध हो, हजारों सैनिकों ने देश और इस्लाम के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है।"
भूमिका को लेकर क्या था पाकिस्तान का आधिकारिक रुख?
आधिकारिक पद पर रहते हुए कभी किसी पाकिस्तान नेता या सैन्य अधिकारी ने युद्ध में सेना की भूमिका स्वीकार नहीं की थी। पाकिस्तान शुरू से दावा करता आया है कि करगिल युद्ध में कश्मीरी उग्रवादी शामिल थे, जिन्हें वह मुजाहिदीन बताता है। यही वजह है कि पाकिस्तान ने युद्ध में मारे गए सैनिकों के शवों को लेने से भी इनकार कर दिया था। भारत ने इन पाकिस्तानी सैनिकों का अंतिम संस्कार किया था।
अनाधिकारिक बयान दे चुके हैं कई लोग
हालांकि, पाकिस्तान के कई नेता और सेना से जुड़े लोग अनाधिकारिक तौर पर सेना की भूमिका को स्वीकार कर चुके हैं। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) शाहिद अजीज, परवेज मुशर्रफ और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अनाधिकारिक तौर पर करगिल युद्ध में पाकिस्तान के शामिल होने की बात मानी थी। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद नवाज ने कहा था कि इस युद्ध में पाकिस्तान की भूमिका थी और पाकिस्तान ने लाहौर समझौते का उल्लंघन किया था।
क्या था करगिल युद्ध?
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था। दरअसल, पाकिस्तानी सैनिकों ने आतंकवादियों के वेश में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर नियंत्रण रेखा (LOC) पर कब्जा कर लिया था। 10 मई को भारतीय सेना को घुसपैठ का पता लगा और 26 मई को भारत ने 'ऑपरेशन विजय' शुरू कर करीब 3 महीने बाद विजय प्राप्त की थी। इसी मौके पर भारत हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाता है।