देरी के चलते 384 इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की लागत बढ़ी, 4.66 लाख करोड़ का हुआ नुकसान- रिपोर्ट
जनवरी से लेकर मार्च तक की तिमाही में देश में चल रहे 384 इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की लागत बढ़ गई है। इन सभी परियोजनाओं में अब तय अनुमान से 4.66 लाख करोड़ रुपये ज्यादा खर्च होंगे। यानी देरी के चलते 4.66 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ये सभी परियाजनाएं 150 करोड़ या उससे ज्यादा की लागत की हैं। केंद्र सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
देरी से चल रहे 931 प्रोजेक्ट
मंत्रालय ने 150 करोड़ या उससे ज्यादा लागत वाली 1,566 परियोजनाओं का विश्लेषण किया है। इनमें से 384 की लागत में वृद्धि हुई है और 931 परियोजनाएं तय समय से देरी से चल रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है जनवरी से लेकर मार्च, 2023 की तिमाही में 1,566 परियोजनाओं में से 384 परियोजनाओं की लागत 4,66,874.46 करोड़ रुपये बढ़ गई है, जो उनकी स्वीकृत लागत का 21.59 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कौन-कौनसी परियोजनाएं शामिल?
सांख्यिकी मंत्रालय हर तिमाही में परियोजना कार्यान्वयन स्थिति रिपोर्ट (QPISR) जारी करता है। हालिया जारी रिपोर्ट में 1,566 परियोजनाओं की जानकारी है। इनमें से 1,123 बड़ी परियोजनाएं हैं, जिनकी लागत 150 करोड़ रुपये से ज्यादा और 1,000 करोड़ रुपये से कम है। 443 मेगा परियोजनाओं की जानकारी भी रिपोर्ट में है। ये वो परियोजनाएं हैं, जिनकी लागत 1,000 करोड़ या इससे ज्यादा है। इन सभी परियाजनाओं के लिए 2022-23 में कुल 2.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
12 परियोजनाओं का काम निर्धारित समय से आगे
रिपोर्ट के मुताबिक, 1,566 में से 12 परियोजनाओं का काम निर्धारित समय से आगे चल रहा है। 292 परियोजनाओं का काम निर्धारित समय के मुताबिक चल रहा है और 931 परियोजनाएं पूरी होने की मूल तिथि के आधार पर देरी से चल रही हैं। 331 परियाजनाओं के पूरा होने के समय की जानकारी नहीं दी गई है। 259 परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनकी लागत बढ़ी है और जो समय से पीछे भी चल रही हैं।
क्यों हुई परियोजनाओं में देरी?
रिपोर्ट के मुताबिक, इन परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी की वजह से लेटलतीफी हुई है। इनके अलावा लोन, डिजाइन में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी और अन्य दिक्कतों की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि कार्य को समय पर पूरा कर लागत को कम किया जा सकता था।