आत्महत्या करने के लिए उकसाने के मामले में CBI को बड़ी कामयाबी, आरोपी को दिलवाई सजा
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को आत्महत्या करने के लिए उकसाने के एक पेचीदा मामले में आरोपी को कड़ी सजा दिलवाने में बड़ी कामयाबी मिली है। CBI की जांच के कारण पुदुचेरी की एक कोर्ट ने मेडिकल छात्रा प्रियदर्शिनी की आत्महत्या के 11 वर्ष पुराने मामले में प्रदीप नामक व्यक्ति को दोषी पाते हुए 5 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने पुदुचेरी के तिरुकन्नूर के रहने वाले प्रदीप पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
क्या है पूरा मामला?
आंध्र प्रदेश के तिरुपति की रहने वाली प्रियदर्शिनी पुदुचेरी के एक मेडिकल कॉलेज में चौथे वर्ष की छात्रा थीं। उनका प्रदीप के साथ काफी समय से प्रेम संबंध चल रहा था। प्रियदर्शिनी का शव मई, 2012 को हॉस्टल के उसके कमरे में पंखे से लटका हुआ मिला था। प्रियदर्शिनी के पिता ने दावा किया था कि प्रदीप ने बाद में उनकी बेटी के साथ दूरी बनानी शुरू कर दी थी, जिससे दोनों के बीच मतभेद पैदा हो गए थे।
मद्रास हाई कोर्ट ने CBI को सौंपी थी जांच
प्रियदर्शिनी के पिता ने अपनी बेटी के आत्महत्या के मामले में पुदुचेरी के थिरुबुवनई पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई थी। हालांकि, पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से निराश होने के बाद उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने अप्रैल, 2015 में केस की जांच CBI को सौंपने का आदेश दिया था। इसके बाद CBI ने नवंबर, 2017 में आरोपी प्रदीप के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।
एक मैसेज बना मामले में सबसे अहम सबूत
NDTV के मुताबिक, CBI ने मामले की सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि प्रदीप ने प्रियदर्शिनी के साथ प्रेम संबंध तोड़ते वक्त उसके चरित्र पर सवाल उठाते हुए एक मैसेज किया था। इस मैसेज से आहत होकर युवती ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। CBI ने कोर्ट के सामने इसी मैसेज को एक अहम सबूत के तौर पर पेश किया था। इसे चेन्नई के फॉरेंसिक विशेषज्ञों की टीम ने प्रियदर्शिनी के फोन से बरामद किया था।
आत्महत्या के लिए उकसाने को लेकर क्या है कानून?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित है। इसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है और यह साबित होता है कि उसे आत्महत्या करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति ने उकसाया था तो दोषी को एक वर्ष से लेकर 10 वर्ष की जेल की सजा हो सकती है। हालांकि, इन मामलों में दोषसिद्धि काफी मुश्किल है क्योंकि उकसावे की बात को सिद्ध करने के लिए मजबूत सबूत होना जरूरी है।
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