CDS से संबंधित नियमों में बड़ा बदलाव, अब लेफ्टिनेंट रैंक के अधिकारी भी होंगे पात्र
केंद्र सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति से संबंधित नियमों में बड़ा बदलाव किया है। रक्षा मंत्रालय ने आज इस संबंध में नई गाइडलाइंस जारी की, जिनमें पद के लिए योग्य अधिकारियों के दायरे को बढ़ा दिया गया है। अब 62 साल से कम उम्र के लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल और वाइस एडमिरल रैंक के मौजूदा या रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों को भी इस पद पर नियुक्त किया जा सकेगा। रिटायर प्रमुख भी CDS के लिए पात्र होंगे।
तीनों सेनाओं के अधिनियमों में किया गया बदलाव
लेफ्टिनेंट रैंक के सैन्य अधिकारियों का CDS बनने का रास्ता साफ करने के लिए केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं से संबंधित अधिनियमों में संशोधन किया है। ये अधिनियम वायुसेना अधिनियम 1950, सेना अधिनियम 1950 और नौसेना अधिनियम 1950 हैं। इन तीनों में बदलाव के लिए कल तीन नोटिफिकेशन जारी किए गए थे। इन नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि सरकार CDS का कार्यकाल अधिकतम 65 साल की उम्र तक बढ़ा सकती है।
नियमों में बदलाव से क्या फायदा होगा?
CDS की नियुक्ति से संबंधित नियमों में इस बदलाव के बाद इस पद के पात्र अधिकारियों की संख्या अधिक हो जाएगी और सरकार के पास CDS की नियुक्ति के लिए अधिक विकल्प मौजूद रहेंगे। इस बदलाव से लेफ्टिनेंट रैंक के सैन्य अधिकारियों को भी फायदा होगा और उनके पास अपने वरिष्ठ अधिकारियों को पीछे छोड़ कर CDS बनने का मौका होगा। लेफ्टिनेंट रैंक के अधिकारियों के वरिष्ठ सैन्य प्रमुख होते हैं जो अधिकतम तीन साल इस पद पर रहते हैं।
देश के पहले CDS थे जनरल रावत, उनकी मौत के बाद से खाली है पद
बता दें कि जनरल बिपिन रावत देश के पहले CDS थे और पिछले साल दिसंबर में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मौत के बाद से ही ये पद खाली पड़ा है। ये हादसा 8 दिसंबर को तब हुआ था जब जनरल रावत अपनी पत्नी और स्टाफ के साथ वायुसेना के हेलिकॉप्टर से तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज जा रहे थे। इसी दौरान कुनूर के पास घने कोहरे की वजह से उनका हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया।
कब बना था CDS का पद और इसकी क्या जिम्मेदारियां?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से CDS का पद बनाने की घोषणा की थी। CDS देश की तीनों सेनाओं के प्रमुखों से ऊपर का पद होता और सैन्य बलों और प्रधानमंत्री के बीच संपर्क का काम करता है। CDS का मुख्य काम तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करना है, ताकि किसी संघर्ष या युद्ध की स्थिति में वे बेहतर तालमेल के साथ काम कर सकें।
कारगिल युद्ध के बाद सामने आया था CDS पद बनाने का विचार
भारत में तीनों सेनाओं के प्रमुख के तौर पर CDS का पद बनाए जाने की मांग सबसे पहले कारगिल युद्ध के बाद उठी थी। युद्ध के बाद तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल समूह (GOM) ने CDS पद की स्थापना की सिफारिश की थी। सिफारिश में कहा गया था कि अगर कारगिल युद्ध के समय ये व्यवस्था होती तो भारतीय सेनाओं को हुए नुकसान को कम किया जा सकता था।