अगले साल जून तक पूरी तरह तैयार होगी हमारी कोरोना वायरस की वैक्सीन- भारत बायोटेक
तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी पा चुकी भारत बायोटेक ने कहा है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सिन' जून, 2020 तक पूरी तरह से तैयार होगी, हालांकि सरकार चाहे तो आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी देकर इसे इससे पहले भी लॉन्च कर सकती है। कंपनी के कार्यकारी निदेशक साई प्रसाद ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि कंपनी 12-14 राज्यों के लगभग 25,000 लोगों पर अपनी वैक्सीन का अंतिम चरण का ट्रायल करने की योजना बना रही है।
2021 की दूसरी तिमाही तक मिल सकते हैं ट्रायल के संपूर्ण नतीजे- प्रसाद
प्रसाद ने कहा, "अगर सभी मंजूरियां समय पर मिलती हैं तो मेरे हिसाब से 2021 की दूसरी तिमाही- अप्रैल, मई, जून- में हमें अपने तीसरे चरण के ट्रायल के परिणाम मिल सकते हैं। ये (वैक्सीन के) प्रभावी होने के पूर्ण नतीजे होंगे।" उन्होंने कहा, "हम अपने सभी चरणों- पहले, दूसरे और तीसरे- के क्लिनिकल ट्रायल संपूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन मेरा विचार है कि सरकार आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी देने पर भी विचार कर रही है।"
क्या होती है आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी की व्यवस्था?
बता दें कि किसी भी वैक्सीन को लाइसेंस देने से पहले उसके सभी ट्रायलों के पूर्ण नतीजे आना जरूरी है, लेकिन मौजूदा महामारी जैसी आपातकालीन स्थितियों में सरकार वैक्सीन को प्रभावी और सुरक्षित साबित करने वाला आंशिक डाटा आने के बाद ही इसके आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी दे सकती है। इसके लिए आपातकालीन प्रयोग लाइसेंस जारी किया जाता है, हालांकि प्रसाद का कहना है कि भारत बायोटेक ऐसी किसी आपातकालीन मंजूरी पर जोर नहीं दे रही है।
हमारा इरादा हर चीज को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने का- प्रसाद
प्रसाद ने कहा, "हमारा इरादा (वैक्सीन के) प्रभावी और सुरक्षित होने के संबंध में हर चीज को उसके तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाना है। लेकिन मेरा अनुमान है कि सरकार के अंदर आपाताकालीन प्रयोग की अनुमति के संबंध में चर्चा चल रही है।"
"25 साइट्स पर लगभग 26,000 लोगों पर हो सकता है ट्रायल"
कोवैक्सिन के तीसरे चरण के ट्रायल की जानकारी देते हुए प्रसाद ने कहा कि कंपनी की योजना देशभर में 25,000-26,000 लोगों का पंजीकरण करने की है। उन्होंने कहा कि टेस्टिंग सेंटर्स की संख्या बढ़ सकती है और कंपनी का लक्ष्य 25 टेस्टिंग साइट्स का है। उन्होंने कहा, "पिछले दो महीने से हम इन साइट्स को विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं और अभी 12 से 14 राज्यों में ऐसी साइट्स हैं।"
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर विकसित की गई है कोवैक्सिन
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है। NIV ने बिना लक्षण वाले कोरोना मरीज से वायरस का स्ट्रेन आइसोलेट किया और इसे भारत बायोटेक को भेजा था। उसके बाद कंपनी ने इसका इस्तेमाल करते हुए हैदराबाद में 'इनएक्टिवेटेड' वैक्सीन बनाने का काम शुरू किया। दो दिन पहले ही कंपनी को तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी मिली है और ये अगले महीने शुरू हो सकता है।
भारत में ये वैक्सीनें भी इंसानी ट्रायल में
बता दें कि कोवैक्सिन के अलावा दो ऐसे ही वैक्सीने हैं जिनका भारत में इंसानी ट्रायल चल रहा है। इसमें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन भी शामिल है जिसका अगस्त से तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है औऱ नवंबर तक ये ट्रायल पूरा हो सकता है। इसके अलावा जायडस कैडिला की वैक्सीन का भी पहले और दूसरे चरण का ट्रायल चल रहा है और कंपनी तीसरे चरण के ट्रायल की अनुमति का इंतजार कर रही है।