न्यूजीलैंड आम चुनाव: प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न की लेबर पार्टी की ऐतिहासिक जीत
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने शनिवार को हुए चुनावों के नतीजों में शानदार जीत हासिल कर दोबारा सत्ता हासिल करने की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। हालांकि, अभी तक सभी मतों की गिनती नहीं हुई है, लेकिन सामने आए नतीजों में लेबर पार्टी को 49 फीसदी वोट मिले हैं। इसका मतलब है कि न्यूजीलैंड में दशकों बाद कोई अकेली पार्टी अपने दम पर सरकार बना सकेगी। वहीं विपक्षी नेशनल पार्टी को अब तक 27 प्रतिशत वोट मिले हैं।
आर्डर्न की पार्टी को मिल सकती है 64 सीटें
ये चुनाव सितंबर में प्रस्तावित थे, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इन्हें एक महीने आगे खिसका दिया गया था। कई राजनीतिक विश्लेषक आर्डर्न की इस जीत को ऐतिहासिक बता रहे हैं। आर्डर्न की पार्टी को 64 सीटें मिल सकती हैं, जो बहुमत के आंकड़े (61) से ज्यादा है। न्यूज़ीलैंड में 1996 में लागू हुई नई संसदीय प्रणाली के बाद से पहली बार किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता नजर आ रहा है। यहां कुल 120 सीटें हैं।
चुनाव जीतने के बाद आर्डर्न ने कही यह बात
बीबीसी के अनुसार, नेशनल पार्टी की नेता जूडिथ कॉलिंस ने अपनी हार स्वीकार करते हुए जेसिंडा आर्डर्न को जीत के लिए बधाई दी है। वहीं जीत के बाद पार्टी समर्थकों को संबोधित करते हुए आर्डर्न ने कहा, "न्यूज़ीलैंड ने लेबर पार्टी को 50 सालों में सबसे बड़ा समर्थन दिया है। हम आपके समर्थक को हल्के में नहीं लेंगे। मैं वादा करती हूं कि हमारी पार्टी न्यूजीलैंड के हर नागरिक के लिए काम करेगी।"
नेशनल पार्टी का दो दशकों में सबसे खराब प्रदर्शन
दूसरी तरफ नेशनल पार्टी को 35 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। पार्टी का पिछले 20 सालों में यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। कॉलिंस ने कहा कि यह कड़ा मुकाबला था और लेबर पार्टी ने शानदार जीत हासिल की है।
चुनावों में पिछड़ने का अनुमान लगा रहे थे विश्लेषक
आर्डर्न को एक करिश्माई नेता माना जाता है। उन्होंने मार्च, 2019 में क्राइस्टचर्च में हुए आंतकी हमले और दिसंबर में ज्वालामुखी विस्फोट के बाद पैदा हुई स्थितियों में शानदार नेतृत्व किया था। 40 वर्षीय आर्डर्न वोग और टाइम जैसी मशहूर पत्रिकाओं के कवर पर भी नजर आ चुकी हैं। हालांकि, इस साल फरवरी में राजनीतिक विश्लेषक ऐसे अनुमान लगा रहे थे कि अपने वादे पूरे न कर पाने के कारण आर्डर्न आगामी चुनावों में पिछड़ सकती हैं।
"आर्डर्न ने किये पूरे न होने लायक वादे"
अल जजीरा से बात करते हुए राजनीतिक विशेषज्ञ बेन थॉमस ने कहा कि उन्होंने पूरे न होने लायक वादे किए थे। उन्होंने अगले 10 सालों में अनगिनत बच्चों को गरीबी से बाहर निकालने और एक लाख घर बनाने की बात कही थी। वादों के मुताबिक अभी तक एक लाख घर बन जाने चाहिए थे, लेकिन अब तक सैकड़ों की संख्या में ही घर बने हैं। उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर और परिवहन में निवेश की बात कही, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं हुआ।
कोरोना वायरस ने लहर बदल दी
कोरोना वायरस महामारी से निपटने में आर्डर्न के दिखाए नेतृत्व की दुनियाभर में तारीफ हुई है। इससे चुनावी लहर उनके पक्ष में हो गई। थॉमस ने कहा, "आप इसे प्रधानमंत्री को कोरोना वायरस का फायदा मिलने या न्यूजीलैंड को प्रधानमंत्री का फायदा मिलने के तौर पर देख सकते हैं।" न्यूजीलैंड महामारी पर नियंत्रण पाने में सफल रहा है। यहां अभी तक कोरोना वायरस के 2,000 से कम मामले सामने आए हैं और 25 मौतें हुई हैं।
हर तीन साल में होते हैं आम चुनाव
न्यूजीलैंड में हर तीन साल पर आम चुनाव होते हैं। नई संसदीय व्यवस्था लागू होने के बाद यहां मतदाताओं को अपनी पसंदीदा पार्टी और स्थानीय सीट से प्रतिनिधि चुनने के लिए अलग-अलग वोट देने का विकल्प मिलता है। संसद में पहुंचने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 5 प्रतिशत वोट या संसदीय सीट जीतनी होती है। सरकार बनाने के लिए 120 सीटों में 61 का बहुमत होना अनिवार्य है।
पिछले चुनावों के नतीजे क्या रहे थे?
तीन साल पहले हुए चुनावों में नेशनल पार्टी सबसे ज्यादा सीट जीतकर आगे रही थी, लेकिन वो सरकार नहीं बना सकी थी। तब लेबर पार्टी ने ग्रीन पार्टी और न्यूज़ीलैंड फर्स्ट पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई और जेसिंडा आर्डर्न पहली बार प्रधानमंत्री बनीं।