
जम्मू-कश्मीर से संबंधित किसी भी मुद्दे को द्विपक्षीय रूप से ही निपटाया जाएगा- विदेश मंत्रालय
क्या है खबर?
भारत और पाकिस्तान के बीच उच्च स्तरीय तनाव के बीच अब संघर्ष विराम हो गया है। दोनों देश अब सीमा पर गोली न चलाने और एक-दूसरे के खिलाफ शत्रुतापूर्वक कार्रवाई न करने पर सहमत हुए हैं।
इस बीच भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्था वाले बयान पर कहा है कि केंद्र शासित पद्रेश जम्मू-कश्मीर से संबंधित किसी भी मुद्दे को भारत और पाकिस्तान द्वारा द्विपक्षीय तरीके से ही हल किया जाएगा। इसमें किसी अन्य का हस्तक्षेप नहीं होगा।
बयान
विदेश मंत्रालय ने क्या दिया बयान?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमारा लंबे समय से राष्ट्रीय रुख रहा है कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित किसी भी मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय रूप से हल करना होगा। यह घोषित नीति नहीं बदली है। जैसा कि आप जानते हैं, लंबित मामला पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना है।"
दरअसल, राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया था कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम के लिए अमेरिका ने मध्यस्थता की थी।
संधि
सिंधु जल संधि पर क्या है भारत का रुख?
सिंधु जल संधि के सवाल पर जायसवाल ने कहा, "23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) के निर्णय के अनुसार, भारत तब तक संधि को स्थगित रखेगा जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन देना बंद नहीं कर देता है।"
उन्होंने कहा, "सिंधु संधि पर 1960 में सद्भावना और मित्रता की भावना से हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देकर इन सिद्धांतों को कमजोर किया है।"
इनकार
भारत ने ट्रंप के दावे को किया खारिज
राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार बंद करने की धमकी देने के बाद भारत और पाकिस्तान के संघर्ष विराम पर सहमत होने के दावे पर जायसवाल ने कहा, "7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू होने से लेकर 10 मई को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने पर सहमति बनने तक, भारतीय और अमेरिकी नेताओं के बीच सैन्य स्थिति के उभरने पर बातचीत होती रही थी। हालांकि, इस दौरान किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठाया गया था।"
युद्ध
विदेश मंत्रालय ने परमाणु युद्ध की संभावनाओं को किया खारिज
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से परमाणु युद्ध की अटकले जताने के सवाल पर जायसवाल ने कहा, "सैन्य कार्रवाई पूरी तरह से पारंपरिक क्षेत्र में थी। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया था कि पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी 10 मई को बैठक करेगी, लेकिन बाद में उन्होंने इसका खंडन कर दिया।"
उन्होंने कहा, "भारत का दृढ़ रुख है कि वह परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा या इसका हवाला देकर सीमा पार आतंकवाद को संचालित करने की अनुमति नहीं देगा।"
पहल
संघर्ष विराम के लिए पाकिस्तान की थी पहल
संघर्ष विराम में अन्य देशों की भूमिका के सवाल पर जायसवाल ने कहा, "दोनों देशों के DGMO के बीच 10 मई दोपहर 03:35 बजे शुरू होने वाली फोन कॉल पर समझौते की विशिष्ट तिथि, समय पर काम किया गया। इस कॉल के लिए विदेश मंत्रालय को पाकिस्तानी उच्चायोग से 12.37 बजे अनुरोध प्राप्त हुआ था। तकनीकी कारणों से पाकिस्तानी पक्ष को भारतीय पक्ष से हॉटलाइन कनेक्ट करने में कठिनाइयां हुईं। इसके बाद 15.35 बजे का समय तय किया गया था।"
मजबूर
भारत ने पाकिस्तान को संघर्ष विराम के लिए किया मजबूर
जायसवाल ने आगे कहा, "आप निश्चित रूप से इस बात को समझेंगे कि 10 तारीख की सुबह हमने पाकिस्तानी वायुसेना के प्रमुख ठिकानों पर बेहद प्रभावी हमला किया था। यही कारण था कि वे अब गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने को तैयार थे।"
उन्होंने कहा, "मैं स्पष्ट कर दूं यह भारतीय हथियारों की ताकत थी जिसने पाकिस्तान को अपनी गोलीबारी रोकने पर मजबूर किया। हमने लगभग सभी देशों को आतंकवाद के खिलाफ चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' की जानकारी दी है।"