दिल्ली दंगा: CAA विरोधी महिला प्रदर्शनकारियों को मिलती थी दैनिक मजदूरी- चार्जशीट
क्या है खबर?
दिल्ली दंगों को लेकर पिछले सप्ताह कड़कड़डूमा अदालत में पेश की गई चार्जशीट में पुलिस ने कई बड़े आरोप लगाए हैं।
चार्जशीट में लगाए गए आरोपों के अनुसार शाहीन बाग और जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) जैसे स्थानों के पास नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में बैठी महिलाओं को दिल्ली में हुए दंगों के मुख्य षड्यंत्रकारियों द्वारा दैनिक मजदूरी का भुगतान किया गया था।
आरोपियों ने महिलाओं का इस्तेमाल सेक्यूलर कवर, जेंडर कवर और मीडिया कवर के लिए किया था।
जानकारी
पुलिस ने 16 सितंबर को दायर की थी चार्जशीट
बता दें कि 16 सितंबर को कड़कड़डूमा अदालत में दायर की गई चार्जशीट में पुलिस ने 15 लोगों को आरोपी बनाया है। इन पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (UAPA), आर्म्स एक्ट और भारतीय दंड संहिता की अलग-अलग धाराएं लगाई गई हैं।
आरोप
पुलिस ने इन पर लगाया भुगतान की व्यवस्था करने का आरोप
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पुलिस ने गवाहों के बयान और व्हाट्सएप चैट के आधार पर आरोप लगाया है कि शिफा-उर-रहमान (जामिया समन्वय समिति की सदस्य और JMI के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष) और अन्य लोगों ने नकद और बैंक खातों में मुख्य रूप से चंदा एकत्र किया और धरने पर बैठी महिला को रसद और दैनिक मजदूरी प्रदान करने के लिए इस राशि का उपयोग किया था।
इसके चलते धरना स्थल पर प्रतिदिन महिला और बच्चों की भीड़ बढ़ती गई।
सुविधाएं
AAJMI ने प्रदर्शनकारियों को मुहैया कराई थी ये सुविधाएं
पुलिस का आरोप है कि जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व छात्र संघ (AAJMI) ने प्रदर्शनकारियों को जामिया मिलिया विरोध स्थल के गेट नंबर सात पर माइक, पोस्टर, बैनर, रस्सियां आदि भी मुहैया कराए थे।
AAJMI ने विरोध के लिए किराए पर ली गई बसों का भुगतान भी किया। विरोध स्थल पर AAJMI का दैनिक खर्च 5,000- 10,000 रुपये के बीच था।
पुलिस ने दिसंबर 2019 में जामिया में हुई हिंसा को दिल्ली दंगे का पूर्ववर्ती रूप बताया है।
योजना
महिलाओं और बच्चों को ढाल बनाकर किया आगे
पुलिस का आरोप है कि जामिया और शाहीन बाग प्रदर्शन स्थल दंगाइयों ने जानबूझकर छोड़ते हुए किसी भी प्रकार की गतिविधि को अंजाम नहीं दिया। महिलाओं को आगे किया और फरवरी 2020 में उनका विरोध मुख्य रूप से जामिया में दिसंबर में हुई हिंसा के खिलाफ रखा गया।
पुलिस ने दावा किया कि षड्यंत्रकारियों ने प्रदर्शनों को धर्मनिरपेक्ष मोर्चे से जोड़ने की कोशिश की और पुलिस से बचने के लिए ढाल के रूप में महिलाओं और बच्चों का सहारा लिया।
अहसास
दिसंबर 2019 की असफलता ने षड्यंत्रकारियों को कराया अहसास
पुलिस ने आरोप लगाया कि दिसंबर 2019 में जामिया में हुई हिंसा बड़े स्तर पर देश का ध्यान ज्याद नहीं खींच पाई थी। इससे षड्यंत्रकारियों को अहसास हो गया था कि उन्हें उद्देश्य पूरा करने के लिए सेक्यूलर कवर, जेंडर कवर और मीडिया कवर की आवश्यकता है।
इसके बाद आरोपियों ने दिल्ली दंगों की साजिश रची और उसमें महिला और बच्चों को आगे रखा गया। इसकी आड़ में षड्यंत्रकारियों ने दिल्ली दंगा कराया, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई।
दंगे
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में तीन दिन चले थे दंगे
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में इस साल 24 से 26 फरवरी के बीच लगातार तीन दिन दंगे हुए थे। इनमें 53 लोगों की मौत हुई थी, जबकि लगभग 500 घायल हुए थे। मरने वालों में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल भी शामिल थे।
इस दौरान संपत्ति का भी भारी नुकसान हुआ था और दंगाइयों ने घरों, दुकानों और वाहनों समेत जो भी आगे आया, उसमें आग लगा दी। एक पेट्रोल पंप को भी आग लगाई गई थी।