दिल्ली हिंसा: मदीना मस्जिद आगजनी मामले में पुलिस के रवैये पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में हुई हिंसा के दौरान मदीना मस्जिद में आगजनी की घटना के मामले पुलिस की उदासीनता पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने उदासीनता के चलते यह भी नहीं बताया कि उसने इस मामले में अलग से FIR दर्ज की है। राष्ट्रीय राजधानी में घटित इस घटना की जांच में पुलिस के इस रवैये से कोर्ट को बड़ा दुख हुआ है।
दंगाइयों ने 25 फरवरी, 2020 को दिया था घटना को अंजाम
बता दें 25 फरवरी, 2020 को शिव विहार इलाके में बिजली कटौती के बाद दंगाइयों ने मदीना मस्जिद में तोड़फोड़ करते हुए आग लगा दी थी। इससे वहां रखे रसोई गैस सिलेंडरों में विस्फोट हो गया था। बाद में एक स्थानीय ने मस्जिद पर भगवा झंडा फहरा दिया था। उस दौरान एक प्रत्यक्षदर्शी वकील अहमद ने भीड़ को रोकने का प्रयास किया था, लेकिन भीड़ ने उस पर तेजाब से हमला कर दिया। इससे उसकी आंखों की रोशनी चली गई।
पुलिस ने 4 अप्रैल को की थी मामले में पहली गिरफ्तारी
इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 4 अप्रैल, 2020 सबसे पहले मस्जिद कमेटी के सदस्य हाशिम अली को गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ स्थानीय नरेश चंद ने 28 फरवरी को उसकी तीन दुकानों में आग लगाने और सामान लूट ले जाने का मामला दर्ज कराया था। अली ने जमानत मिलने के बाद 1 मार्च, 2020 को उसके घर में आगजनी की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने इस शिकायत को नरेश की FIR में ही शामिल कर लिया।
कोर्ट ने पुलिस को दिए थे मस्जिद में आगजनी के मामले में अलग FIR के आदेश
पुलिस की ओर से मस्जिद में आगजनी के मामले में कोई कार्रवाई नहीं करने पर वकील एमआर शमशाद ने अतिरिक्त सत्र न्यायालय में याचिका दायर कर कार्रवाई की मांग की थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 1 फरवरी, 2021 को पुलिस को मामले में दंगाइयों के खिलाफ अलग FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके बाद 17 मार्च को कोर्ट ने मामले की जांच पुलिस उपायुक्त को सौंपते हुए स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए थे।
पूछताछ में पुलिस ने कोर्ट में लिया यू-टर्न
मामले में कोर्ट ने जब पुलिस से केस डायरी, गवाहों के बयान और सबूतों पर पूछताछ की तो पुलिस ने यू-टर्न ले लिया। पुलिस का कहना था कि इस मामले में एक अलग FIR का पता लगा है। वह घटना के बाद करावल नगर थाने में दर्ज की गई थी। इस पर कोर्ट ने पुलिस पर मामले में उदासीनता बरतने और जांच में जल्दबाजी करने तथा केस डायरी के लिए गवाहों के बयान दर्ज करने की बात कही।
पुलिस ने स्वीकार की अपनी गलती
पुलिस ने कोर्ट में स्वीकार किया था कि वह अनजाने में अपनी पहले की स्थिति रिपोर्ट में उल्लेख नहीं कर पाई कि मदीना मस्जिद की प्राथमिकी वास्तव में एक अलग प्राथमिकी के रूप में दर्ज की गई थी। पुलिस अब नई केस डायरी तैयार करेगी।
पुलिस ने दायर की थी मामले के दोबारा जांच के लिए पुनरीक्षण याचिका
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में मामले की जांच के लिए पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए बुधवार को कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया और मामले से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड अतिरिक्त मुख्य महानगर न्यायाधीश कोर्ट (ACMM) को भेज दिया। इस दौरान कोर्ट ने ACMM को पूरे मामले पर पूरी तरह से दोबारा विचार करने के लिए मामले में FIR दर्ज करने को कहा है, क्योंकि पूरे प्रकरण अगल FIR का मामला सामने आया है।
कोर्ट ने पुलिस की उदासीनता पर की टिप्पणी
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि जांच एजेंसी द्वारा अपनाए गए उदासीन रवैये से काफी दुख हुआ है। जब परिवादी ने मामले की जांच के लिए कोर्ट में याचिका दायर की तब तक पुलिस को यह भी पता नहीं था कि मामले में करावल नगर थाने में अलग FIR दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी का कर्तव्य है कि वह पूरे तथ्यों के बारे में ACMM को अवगत कराए और उसके सामने पूरी रिपोर्ट रखे।