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उत्तर प्रदेश: कोरोना वायरस के 69 मरीजों को अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर करना पड़ा इंतजार

उत्तर प्रदेश: कोरोना वायरस के 69 मरीजों को अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर करना पड़ा इंतजार

Apr 25, 2020
02:45 pm

क्या है खबर?

उत्तर प्रदेश के सैफई में कोरोना वायरस के मरीजों को लेकर एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। गुरूवार सुबह आगरा से यहां पहुंचे कोरोना वायरस के 69 मरीजों को एक सरकारी अस्पताल के बाहर घंटों फुटपाथ पर इंतजार करना पड़ा। मुंह पर मास्क लगाए ये मरीज आसपास टहलते रहे और पुलिसकर्मी भी उनसे दूर रहे। बाद में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ ने आकर उन्हें अस्पताल के कोरोना वायरस वार्ड में भर्ती किया।

मामला

आगरा के पारस अस्पताल से सैफई पहुंचे थे मरीज

कोरोना वायरस का केंद्र बने उत्तर प्रदेश के आगरा में संक्रमण के ज्यादा मामले होने के बाद 69 मरीजों को सैफई के इटावा स्थित उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के सरकारी अस्पताल भेजने का फैसला लिया गया था। बुधवार रात को आगरा के पारस अस्पताल से रवाना होने के बाद ये गुरूवार सुबह एक बस के जरिए सैफई पहुंचे, लेकिन उन्हें अस्पताल में भर्ती करने के लिए मौके पर कोई भी मेडिकल स्टाफ या डॉक्टर मौजूद नहीं था।

वीडियो

मरीजों से दूर खड़े हैं पुलिसकर्मी

मामले के वायरल वीडियो में मास्क पहने मरीजों को अस्पताल के बाहर बैठे और टहलते हुए देखा जा सकता है। उसने काफी दूर दूसरी तरफ तीन पुलिसकर्मी खड़े हैं जिनमें से एक ने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) किट पहनी हुई है। एक पुलिसकर्मी फोन किसी से फोन पर बात कर रही है। 'NDTV' की रिपोर्ट के अनुसार, ये मरीज कम से कम एक घंटे तक यहीं फुटपाथ पर बैठे रहे और कोई उन्हें अंदर दाखिल करने नहीं आया।

ट्विटर पोस्ट

देखें घटना का वीडियो

वीडियो

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मौके पर पहुंच मरीजों से इंतजार करने को कहा

इलाके के इनचार्ज वरिष्ठ पुलिस अधिकारी चंद्रपाल सिंह मौके पर पहुंचने वाले पहले सरकारी अधिकारी रहे। एक वीडियो में उन्हें अन्य पुलिसकर्मियों के साथ कुछ दूरी से मरीजों को संबोधित करते हुए सुना जा सकता है। वे कह रहे हैं, "मुझे भरोसा है कि एक मेडिकल टीम जल्द ही आएगी और एक लिस्ट बनाकर आप सभी को अंदर लेगी। जो हुआ सो हुआ। अगर आप इधर-उधर जाएंगे तो हर किसी को संक्रमण लग जाएगा।"

गलती स्वीकारी

कुलपति बोले- संवाद की कमी के कारण हुआ ऐसा

वीडियो में पुलिस अधिकारी चंद्रपाल आगे कहते हैं, "इसकी कोई सूचना नहीं थी वर्ना सूची बना ली गई होती। कोई भी सूचना नहीं थी, आप सभी अचानक से आए हैं।" वहीं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजकुमार ने संवाद की कमी की बात स्वीकारते हुए कहा कि अस्पताल के डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ का इसमें कोई दोष नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं ये नहीं कह सकता कि किसकी तरफ से लापरवाही हुई, लेकिन मरीजों को एक दिन पहले पहुंचना था।"

बयान

डॉ राजकुमार बोले- अलर्ट पर थी हमारी टीम

डॉ राजकुमार ने कहा, "जब इतनी बड़ी संख्या में मरीज आते हैं तो एक जिम्मेदार अधिकारी या डॉक्टर सूची के साथ आता है। इसके बाद हम मरीजों को अंदर लेते हैं। लेकिन संवाद में कमी थी। हमारी टीम अलर्ट पर थी। लेकिन वे तय समय पर नहीं पहुंचे और अगले दिन पहुंचे। मुझे पता चला है कि हमारी टीम को इसकी सूचना नहीं थी। उनके पास दस्तावेज नहीं होने के बावजूद हमने उन्हें भर्ती कर लिया है।"

बयान

"मरीजों के इधर-उधर घूमने की पुष्टि नहीं"

मरीजों के इधर-उधर घूमने की खबरों पर डॉ राजकुमार ने कहा, "मुझे नहीं पता कि वे आसपास कहीं घूमे, लेकिन अगर आप ऐसा कह रहे हैं तो हो सकता है कि वे आसपास घूमे हों। मैं इसकी पुष्टि नहीं कर पाया हूं।"

स्थिति

उत्तर प्रदेश में क्या है कोरोना वायरस की स्थिति?

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,621 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 25 लोगों की मौत हुई है। राज्य सरकार के अनुसार, राज्य के 75 में से 57 जिलों में अब तक कोरोना वायरस के मामले सामने आ चुके हैं। आगरा कोरोना वायरस का केंद्र बना हुआ है और यहां 358 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से आठ मरीजों की मौत हुई है।