पुणे की आधी से ज्यादा आबादी तक पहुंच चुका कोरोना संक्रमण, सीरो सर्वे में आया सामने
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के प्रसार को देखने के लिए पुणे में हुए सीरोलॉजिकल सर्वे में सामने आया है कि लगभग 51.5 प्रतिशत लोगों के शरीर में इससे लड़ने वाली एंटीबॉडी विकसित हो चुकी हैं।
यह सर्वे उन इलाकों में किया गया था, जहां से रोजाना बड़ी संख्या में संक्रमित मिल रहे थे।
इससे पहले मुंबई के झुग्गी-बस्ती इलाकों में हुए सर्वे में पता चला था कि वहां 57 प्रतिशत लोगों के शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी मौजूद हैं।
सर्वे
क्या होता है सीरोलॉजिकल सर्वे?
इस सर्वे के नतीजों को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इससे ज्यादा खतरे वाले इलाकों में संक्रमण के प्रसार का पता चलता है।
पुणे में कई संस्थानों ने मिलकर यह सर्वे किया था, जिसमें केंद्र सरकार की वैज्ञानिक संस्थाएं भी शामिल थीं।
इस सर्वे में किसी इलाके के लोगों के सैंपल इकट्ठे कर यह देखा जाता है कि कितने लोगों में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडीज विकसित हुई हैं और उनके विकसित होने की दर क्या है।
सीरोलॉजिकल सर्वे
सर्वे में शामिल किए गए थे 1,664 लोगों के सैंपल
पुणे 1.30 लाख संक्रमितों के साथ देश का सबसे बुरी तरह प्रभावित शहर बना हुई है। इसने संक्रमितों की आधिकारिक संख्या के मामले में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई को पीछे छोड़ दिया है।
सर्वे में सामने आया है कि केस्बापेठ-सोमवरपेठ इलाके में 36.1 प्रतिशत और लोहिया नगर-केसरवाड़ी में 65.4 प्रतिशत लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज बन चुकी हैं।
20 जुलाई से 5 अगस्त तक चले इस सर्वे के लिए 1,664 लोगों के सैंपल जांचे गए थे।
पुणे
अपार्टमेंट में रहने वाले लोग ज्यादा सुरक्षित
सर्वे में पता चला कि बंगलों में रहने वाले 43.9 प्रतिशत और किराये के घरों से लेकर अस्थायी मकानों में रहने वाले 56-62 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडीज बनी हुई हैं।
किसी व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी बनने का मतलब है कि वह बिना लक्षण दिखे कोरोना वायरस से संक्रमित और बिना इलाज के ठीक हो चुका है।
वहीं अपार्टमेंट में रहने वाले 33 प्रतिशत लोगों के संक्रमण की चपेट में आने की आशंका है।
जानकारी
सार्वजनिक शौचालय इस्तेमाल करने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा ज्यादा
इसके अलावा सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करने वाले 62.2 प्रतिशत लोगों की तुलना में स्वतंत्र शौचालय इस्तेमाल करने वाले 45.3 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई हैं। सार्वजनिक शौचालय के उपयोग से कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है।
पुणे
18-30 साल की उम्र के 52.5 प्रतिशत लोगों में पाई गईं एंटीबॉडी
सर्वे के नतीजों के मुताबिक, महिलाओं और पुरुषों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है। 52.8 प्रतिशत पुरुष और 50.1 प्रतिशत महिलाओं में एंटीबॉडीज पाई गईं।
हालांकि, आम धारणा के विपरित बुजुर्ग लोग अन्य की तुलना में संक्रमण से ज्यादा सुरक्षित मिले। यहां 66 साल से अधिक उम्र के 39.8 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडीज पाई गईं।
इसकी तुलना में 18-30 साल के 52.5 प्रतिशत लोगों के शरीर में एंटीबॉडी पाई गई।
जानकारी
सर्वे में शामिल की गईं सभी श्रेणियां- घोष
सर्वे करने वाली टीम में शामिल इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक एजुकेशन रिसर्च के अर्नब घोष ने कहा इसे तरह से डिजाइन किया गया था ताकि इसमें उम्र, लिंग और निवास स्थान आदि सभी श्रेणियां शामिल हो सकें।