मुंबई में 51 प्रतिशत बच्चे हो चुके हैं कोरोना वायरस से संक्रमित, सर्वे में मिली एंटीबॉडी
क्या है खबर?
मुंबई में बच्चों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए किए गए सीरोलॉजिकल सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा बच्चों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए किए गए सिरो सर्वे में 51.18 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई है।
इसका मतलब यह है कि शहर में 51 प्रतिशत से अधिक बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इसने सरकार की चिंता की बढ़ा दी है।
सीरोलॉजिकल सर्वे
सबसे पहले जानें क्या होते हैं सीरोलॉजिकल सर्वे
किसी आबादी में संक्रमण किस हद तक फैल गया है, यह पता लगाने के लिए सीरोलॉजिकल सर्वे किए जाते हैं।
इसमें लोगों के खून में कोरोना वायरस की एंटीबॉडीज की मौजूदगी की जांच की जाती है। एंटीबॉडीज एक प्रकार की प्रोटीन होती हैं जो हमला करने वाले वायरस से लड़कर उसे खत्म कर करती हैं।
किसी व्यक्ति के खून में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज पाए जाने का मतलब है कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुका है।
रिपोर्ट
सीरो सर्वे में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
NDTV के अनुसार BMC द्वारा 1 अप्रैल से 15 जून के बीच सीरो सर्वे किया गया था। इसके लिए नायर और कस्तूरबा अस्पताल की लैब से 18 साल से कम उम्र के 2,176 बच्चों के नमूने लिए गए थे।
इनमें 10-14 साल के 53.43 प्रतिशत, 15-18 साल के 51.39 प्रतिशत और एक से चार साल के 51.04 प्रतिशत और 5-9 साल के 47.33 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई। ऐसे में कुल 51.18 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी मिली है।
बयान
दूसरी लहर में बच्चों में बढ़ा कोरोना वायरस का संक्रमण- BMC
BMC की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मार्च 2021 में बच्चों पर किए गए पहले सीरो सर्वे की तुलना में इसमें बच्चों की सीरोपॉजिटिविटी में बढ़ोतरी हुई है।
पिछले सर्वे में 18 साल से कम उम्र के 39.4 प्रतिशत बच्चों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बाई गई थी, लेकिन इस सर्वे में यह 51.18 प्रतिशत पर पहुंच गई है। BMC ने कहा कि इससे साफ है कि दूसरी लहर में बच्चे खासे प्रभावित हुए हैं।
अन्य
कर्नाटक में संक्रमित मिले थे 1.4 लाख बच्चे
पिछले महीने कर्नाटक में कराए गए एक सर्वे में सामने आया था कि मार्च की शुरुआत से मई की शुरुआत के बीच 1.4 लाख बच्चे कोरोना वायरस की चपेट में आए थे। इनमें से 40,000 बच्चों की उम्र 10 साल से कम थी।
इसी तरह पिछले महीने ही महाराष्ट्र के औरंगाबाद में भी चिकित्सा अधिकारियों ने एक सर्वे के आधार पर कहा था कि मई में जिले में 8,000 से अधिक बच्चे कोरोना वायरस की चपेट में आए थे।
चिंता
सर्वे रिपोर्ट ने बढ़ाई महामारी की तीसरी लहर को लेकर चिंता
बता दें कि गत दिनों दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि लॉकडाउन में ढील के बाद लोगों के व्यवहार को देखते हुए महामारी की तीसरी लहर छह से आठ सप्ताह में दस्तक दे सकती है।
ऐसे में उनकी चेतावनी और सीरो सर्वे की रिपोर्ट ने चिकित्सा विशेषज्ञों की चिंता को बढ़ा दिया है। सर्वे की रिपोर्ट से जाहिर हो रहा है कि तीसरे लहर में बच्चे कहीं अधिक प्रभावित होंगे।
राहत
सरकार ने कही तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने के सुबूत नहीं मिलने की बात
तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका के बीच सरकार ने कहा है कि इस बात के कोई सुबूत नहीं मिले हैं कि तीसरी लहर विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित करेगी। डॉ गुलेरिया ने तीसरी लहर में बच्चों के सुरक्षित होने की बात कही है।
इसी तरह भारतीय बाल रोग अकादमी ने कहा है कि तीसरी लहर में बच्चे गंभीर रूप से बीमार होने के सुबूत नहीं मिले हैं। 90 प्रतिशत बच्चों में लक्षण भी नहीं दिखेंगे।