उत्तराखंड बाढ़: अब तक 36 शव बरामद, तपोवन सुरंग के पास राहत अभियान फिर शुरू
क्या है खबर?
उत्तराखंड के चमोली जिले में आई बाढ़ के बाद राहत और बचाव अभियान में जुटे प्रशासन को अब तक 36 शव मिल चुके हैं।
गुरुवार को दो शव मिले थे। बाढ़ के बाद कुल 204 लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनमें से 36 के शव मिल चुके हैं। बाकी लोगों की तलाश का अभियान जारी है।
दूसरी तरफ राज्य सरकार ने खतरों वाली जगहों पर बसे परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट करने के आदेश दे दिए हैं।
पृष्ठभूमि
ग्लेशियर टूटने से आई थी बाढ़
बीते रविवार को चमोली जिले के जोशीमठ के तपोवन में नंदा देवी ग्लेशियर का एक टुकड़ा टूट गया जिससे अलकनंदा और धौली गंगा नदियों में बाढ़ आ गई।
समस्या तब और बढ़ गई जब बाढ़ के कारण तपोवन में अलकनंदा नदी पर बना ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट का एक बांध टूट गया।
बाढ़ से तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना को भी नुकसान पहुंचा और इससे संबंधित एक निर्माणाधीन सुरंग में लगभग 30 से अधिक लोग फंस गए।
जानकारी
गुरुवार को मिले दो शव
अधिकारियों ने बताया कि लापता लोगों में से दो के शव गुरुवार को अलकनंदा नदी के किनारे मिले हैं। अभी तक कुल 36 शव बरामद हुए हैं, जिनकी पहचान का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही बाकी लोगों की तलाश जारी है।
राहत अभियान
तपोवन सुरंग में फिर शुरू हुआ बचाव अभियान
गुरुवार को तपोवन सुरंग के पास नदी में पानी बढ़ने के करण रोके गए राहत और बचाव अभियान को फिर से शुरू कर दिया गया है।
इस सुरंग में 30 से अधिक लोग फंसे हुए हैं। इन्हें निकालने के लिए सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग की जा रही है। साथ ही सुरंग से मलबा भी हटाया जा रहा है।
यह मलबा अब पहले से ज्यादा ठोस रूप लेने लगा है, जिससे इसे हटाना थोड़ा आसान हो जाएगा।
जानकारी
केंद्रीय गृह सचिव ने बैठक कर लिया स्थिति का जायजा
गुरुवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर तपोवन सुरंग के पास चल रहे राहत और बचाव अभियान की समीक्षा की थी। उन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) को स्थिति का विश्लेषण करने का आदेश दिया है।
राहत कार्य
कब तक पूरा हो जाएगा राहत कार्य?
जब गढ़वाल डिवीजनल कमिश्नर रविवाथ रमन से पूछा गया कि सुरंग से लोगों को निकालने में कितना वक्त लगेगा तो उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। यह सब इस पर निर्भर करता है कि सुरंग के अंदर कितना कीचड़ और मलबा है। स्थितियों के हिसाब से काम किया जा रहा है।
एक और अधिकारी ने बताया कि तकनीकी कारणों की वजह से ड्रिलिंग का काम भी रोकना पड़ा था।
ऐहतियात
खतरे वाली जगहों पर बसे परिवारों को दूसरी जगह भेजा जाएगा
दूसरी तरफ राज्य सरकार ने चार जिलों में प्राकृतिक आपदाओं के समय सबसे ज्यादा खतरा झेलने वाली जगहों पर बसे 50 परिवारों को दूसरी जगह बसाने की अनुमति दे दी है।
गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस संबंध में आपदा प्रबंधन विभाग के एक प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी है।
इसके तहत उत्तराकाशी के 30, चमोली के 13 और टिहरी और बागेश्वर जिले से चार-चार परिवारों को दूसरी जगहों पर बसाया जाएगा।