उत्तरारखंड बाढ़: जल विद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे हैं 30-35 श्रमिक, बचाने का काम जारी
उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के पास ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ में लापता हुए लोगों में से अब तक 15 के शव बरामद किए जा चुके हैं और 187 से अधिक लोग लापता हैं। घटना में छह लोग घायल भी हुए हैं। इसी तरह धौली गंगा नदी पर तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के लिए बनाई गई सुरंग में भी 30-35 लोगों के फंसे होने की सूचना है और उन्हें निकालने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।
ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़
चमोली जिले के जोशीमठ के तपोवन में रविवार सुबह नंदा देवी ग्लेशियर का एक टुकड़ा टूट गया जिससे अलकनंदा और धौली गंगा नदियों में बाढ़ आ गई। समस्या तब और बढ़ गई जब बाढ़ के कारण तपोवन में अलकनंदा नदी पर बना ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट का एक बांध टूट गया। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि बांध का अधिकांश हिस्सा पूरी तरह तबाह हो गया है। बाढ़ में पांच पुल और कई घर भी बह गए।
15 लोगों के शव मिले, केंद्र और राज्य का मुआवजे का ऐलान
बचाव अभियान के दौरान अब तक 15 लोगों के शव भी बरामद हुए हैं। मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है और राज्य के मुख्य सचिव ओम प्रकाश घटना में 100-150 लोगों के मरने की आशंका जता चुके हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा देना का ऐलान किया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख रुपये दिए जाएंगे, वहीं गंभीर रूप से घायलों को 50,000-50,000 रुपये दिए जाएंगे।
जल विद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे करीब 50 लोग
उत्तराखंड पुलिस के अनुसार घटना के बाद लापता चल रहे 202 लोगों में से करीब 170 जल विद्युत परियोजना में काम कर रहे मजदूर और कर्मचारी हैं। बचाव अभियान के दौरान एक सुरंग के अंदर फंसे 12 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। इसके अलावा लगभग 30-35 अन्य लोग एक दूसरी सुरंग में फंसे हुए हैं और बचाव टीमों ने रातभर उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अभियान चलाया। ये सुरंग 2.5 किलोमीटर लंबी बताई जा रही है।
JCB और पोकलैंड मशीनों से हटाया जा रहा है सुरंग का मलबा- अहिरवार
तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के प्रबंध निदेशक आरपी अहिरवार ने बताया कि 480 मेगावाट की इस परियोजना में काम कर रहे 30-35 कर्मचारियों और श्रमिकों के एक अन्य सुरंग में फंसे होने की आशंका है। वर्तमान में JCB और पोकलैंड मशीनों से सुरंग में जमा मलबे को हटाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बचाव अभियान युद्ध स्तर पर चल रहा है और फंसे लोगों को जिंदा बचाने के प्रयास जारी हैं।
सेना समेत कई बलों की टीमें चला रहीं बचाव अभियान
राहत और बचाव अभियान की बात करें तो राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) औऱ भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) की कई टीमें बचाव कार्य में लगी हुई हैं। सेना ने अपने छह कॉलम को मदद के लिए भेजा है। हर कॉलम में 100 सैनिक हैं। एक एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर, दो चीता हेलीकॉप्टर्स, C-130 और An32 परिवहन विमानों को भी बचाव अभियान में लगाया गया है। नौसेना की सात टीमों को स्टैंडबाई पर रखा गया है।