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    उत्तराखंड में क्यों आई बाढ़ और अभी यहां क्या स्थिति है?

    उत्तराखंड में क्यों आई बाढ़ और अभी यहां क्या स्थिति है?

    लेखन मुकुल तोमर
    Feb 07, 2021
    08:35 pm

    क्या है खबर?

    उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है और 125 से अधिक लोग अभी भी लापता चल रहे हैं। प्रशासन ने मौत का आंकड़ा बढ़ने की आशंका जताई है।

    इस बीच बचाव कार्य पूरी तेजी के साथ जारी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पूरे अभियान पर नजर रखे हुए हैं।

    आइए आपको बताते हैं कि ये बाढ़ कैसे आई और आज पूरे दिन में क्या-क्या हुआ।

    कारण

    क्यों आई बाढ़?

    चमोली जिले के जोशीमठ के तपोवन में आज सुबह नंदा देवी ग्लेशियर का एक टुकड़ा टूट गया जिससे अलकनंदा और धौली नदियों में बाढ़ आ गई। समस्या तब और बढ़ गई जब बाढ़ के कारण अलकनंदा नदी पर बना ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट का एक बांध टूट गया और इससे निचले इलाकों में तेज बहाव के साथ पानी जाने लगा।

    बाढ़ में आसपास के कई घर भी बह गए और प्रशासन ने सैकड़ों लोगों को सुरक्षित इलाकों पर पहुंचाया है।

    लापता

    लापता लोगों में ज्यादातर पॉवर प्रोजेक्ट में काम कर रहे मजदूर

    प्रशासन के अनुसार, पॉवर प्रोजेक्ट में लगभग 160 मजदूर काम कर रहे थे और इनमें से ज्यादातर लापता हैं। अब तक 10 लोगों के शव बरामद किए जा रहे हैं। मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है और राज्य के मुख्य सचिव ओम प्रकाश घटना में 100-150 लोगों के मरने की आशंका जता चुके हैं।

    मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है।

    बचाव अभियान

    बचाव अभियान में जुटीं कई टीमें

    राहत और बचाव अभियान की बात करें तो राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की चार टीमें और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) की दो टीमें सबसे पहले बचाव कार्य के लिए पहुंचीं।

    राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की पांच टीमों को भी तैयार किया गया है और चार टीमों को गाजियाबाद से एयरलिफ्ट किया जाएगा।

    मेडिकल टीमों को भी मौके पर भेजा गया है और जोशीमठ में 30 बेड के अस्पताल को घायलों के लिए तैयार रखा गया है।

    मदद

    बचाव कार्य में मदद कर रहे सेना, वायुसेना और नौसेना

    सेना, वायुसेना और नौसेना भी बचाव कार्य में मदद के लिए सामने आए हैं। सेना ने अपने छह कॉलम को मदद के लिए भेजा है। हर कॉलम में 100 सैनिक हैं।

    एक एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर और दो चीता हेलीकॉप्टर्स को हवाई सर्वे में लगाया गया है, वहीं C-130 और An32 परिवहन विमानों को बचावकर्मियों को एयरलिफ्ट करने के काम में लगाया गया है।

    नौसेना की सात टीमों को भी स्टैंडबाई पर रखा गया है।

    मदद

    हालात पर नजर रख रहे प्रधानमंत्री, दिया हरसंभव मदद का भरोसा

    मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री रावत से बात की। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।

    उन्होंने ट्वीट कर बताया, 'मैं लगातार उत्तराखंड में हालातों पर नजर रख रहा हूं। पूरा देश उत्तराखंड के साथ है और लोगों की सलामती की दुआ कर रहा है। लगातार वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर रहा हूं और NDRF की तैनाती, उनके राहत और बचाव कार्यों की जानकारी ले रहा हूं।'

    जानकारी

    उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात ने भी दिया मदद का भरोसा

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने भी उत्तराखंड सरकार को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। तुर्की ने भी बयान जारी करते हुए भारत सरकार को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।

    खतरा

    नियंत्रण में बाढ़ का पानी, निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा नहीं

    मुख्यमंत्री रावत के अनुसार, नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है और स्थिति नियंत्रण में है।

    केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) ने भी कहा है कि इस समय निचले इलाकों में बाढ़ आने का कोई खतरा नहीं है और पानी के स्तर में इजाफे को काबू में कर लिया गया है। उसने घटनास्थल के पास के गांवों को भी अब कोई खतरा न होने की बात कही है।

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