
उत्तराखंड आपदा: बचाव और राहत अभियान जारी, अब तक 32 शव मिले
क्या है खबर?
उत्तराखंड के चमोली जिले में आई बाढ के बाद राहत और बचाव कार्य अभी जारी है।
बचाव दल लगभग 2.5 किलोमीटर लंबी तपोवन सुरंग से कीचड़ और मलबा हटाने में जुटा हुआ है। यहां 30 से अधिक लोग फंसे बताए जा रहे हैं।
वही आधिकारिक आंकड़ो के अनुसार अभी तक 32 शव बरामद हो चुके हैं और 197 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
इसके अलावा बाढ़ में बहकर कई पशुओं की भी मौत हो गई है।
पृष्ठभूमि
रविवार को ग्लेशियर टूटने से आई थी बाढ़
चमोली जिले के जोशीमठ के तपोवन में रविवार सुबह नंदा देवी ग्लेशियर का एक टुकड़ा टूट गया जिससे अलकनंदा और धौली नदियों में बाढ़ आ गई।
समस्या तब और बढ़ गई जब बाढ़ के कारण तपोवन में अलकनंदा नदी पर बना ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट का एक बांध टूट गया। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि बांध का अधिकांश हिस्सा पूरी तरह तबाह हो गया है।
बाढ़ में पांच पुल और कई घर भी बह गए।
बचाव कार्य
बचाव और राहत अभियान में लगे हैं सैकड़ों जवान
बचाव अभियान के लिए भारतीय सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) के 600 से अधिक जवानों को तैनात किया गया है, जो दिन-रात काम पर जुटे हुए हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को आपदा प्रभावित गांवों में राशन और दूसरी मदद पहुंचाने के लिए ITBP जवानों को धन्यवाद दिया।
ये जवान सामान के साथ कई किलोमीटर चढ़ाई कर इन गांवों तक पहुंच रहे हैं।
बयान
केंद्र से मिल रही हरसंभव मदद- रावत
मुख्यमंत्री रावत ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राशन वितरण, स्वास्थ्य सेवा, कनेक्टिविटी को सुचारू बनाने के लिए सरकार पूरी तरह प्रयासरत है। केंद्र सरकार से राज्य को हरसंभव मदद मिल रही है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया है।
बचाव कार्य
सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के प्रयास जारी
बाढ़ से तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना को भी नुकसान पहुंचा और इससे संबंधित एक निर्माणाधीन सुरंग में लगभग 30 मजदूर फंस गए।
ये सुरंग लगभग 2.5 किलोमीटर लंबी बताई जा रही है। इसमें सैकड़ों टन मलबा फंसा हुआ है जिससे सुरंग बंद हो गई है।
लोगों को निकालने के लिए नौसेना की भी मदद ली जा रही है। हालांकि, अभी तक सुरंग में फंसे किसी भी व्यक्ति से राहत और बचाव दल का संपर्क नहीं हो पाया है।
जानकारी
लोगों के जिंदा बाहर आने की उम्मीद
एक अधिकारी ने बताया कि सुरंग में जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। इसमे फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए विशेष उपकरणों की मदद ली जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यहां फंसे लोगों को जिंदा बाहर निकाल लिया जाएगा।
प्रतिक्रिया
जयराम रमेश बोले- ऐसे प्रोजेक्ट रोकने के लिए मेरी आलोचना हुई
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि पर्यावरण मंत्री रहते हुए उत्तराखंड में नदियों पर हाइडल प्रोजेक्ट को हरी झंडी न देने पर उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'बतौर पर्यावरण मंत्री मैंने पारिस्थितिकी आधार पर उत्तराखंड में अलकनंदा, भागीरथी और दूसरी नदियों पर हाइडल प्रोजेक्ट को रोक दिया था, जिसके बाद मेरी आलोचना हुई। उस समय इम प्रोजेक्ट को पूरे असर को समझा नहीं जा रहा था।'