
उत्तर प्रदेश: कानपुर में बढ़ा जीका वायरस का प्रकोप, 66 हुई संक्रमितों की संख्या
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी के लगातार कम होते मामलों की बीच अब उत्तर प्रदेश में जीका वायरस ने परेशानी बढ़ा दी है।
पिछले महीने भारतीय वायुसेना के एक वारंट ऑफिसर के जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि होने के बाद से तेजी से इसके मामले बढ़ रहे हैं। कानपुर में शुक्रवार को भी 30 और लोगों को इससे संक्रमित पाया गया है।
ऐसे में जिले में संक्रमितों की कुल संख्या 66 हो गई है। इसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
पृष्ठभूमि
कानपुर में 23 अक्टूबर को सामने आया था जीका वारयस का पहला मामला
बता दें कि 23 अक्टूबर को कानपुर में भारतीय वायुसेना के एक वारंट ऑफिसर के सबसे पहले जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई थी। वह कई दिनों से बुखार से पीड़ित थे। इसको लेकर उन्हें वायुसेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
लक्षणों के आधार पर अस्पताल ने उनका सैंपल जांच के लिए पुणे भेजा था, जिसमें उन्हें जीका वायरस से संक्रमित पाया गया था। उसके बाद से पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया था।
बयान
30 अन्य लोगों के हुई संक्रमण की पुष्टि
जिला मजिस्ट्रेट विशाक जी अय्यर ने कहा कि कानपुर में 30 और लोगों के जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है।
वायुसेना केन्द्र के आसपास के इलाकों में लोगों के नमूने एकत्र किये गये थे, जिन्हें जांच के लिये लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) भेजा गया था। इनमें से 30 को संक्रमित पाया गया है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को मामलों में अचानक आई तेजी से नहीं घबराने की सलाह देते हैं।
निर्देश
मुख्यमंत्री ने दिए घर-घर सैनिटाइजेशन और फॉगिंग के निर्देश
इतना संख्या में लोगों के जीका वायरस से संक्रमित पाए जाने पर वायुसेना स्टेशन के हैंगर की परिधि में हाई अलर्ट जारी किया गया है।
इसी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सख्त निगरानी और मच्छरों के खात्मे के लिए घर-घर सैनिटाइजेशन और फॉगिंग अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।
इसी तरह जिले में बुखार के मामलों की छंटनी करते हुए जीका वायरस की जांच करने को कहा है।
संक्रमण
आखिर क्या है जीका वायरस?
जीका संक्रमण एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी है। रोग के लक्षणों में बुखार, त्वचा पर चकत्ते, आंख आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता और सिरदर्द शामिल हैं।
भले ही इस वायरस से संक्रमित अधिकतर लोग लोग उपचार लेने के सात दिनों के भीतर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने पर यह गंभीर परेशानी पैदा कर सकता है। ऐसे में यह राज्य के लिए चिंता की बात है।
अन्य विवरण
जीका संक्रमण का अभी तक नहीं है कोई उपचार
जीका वायरस पहली बार 1947 में युगांडा में बंदरों में पाया गया था। इसके बाद साल 1952 में युगांडा और संयुक्त गणराज्य तंजानिया के लोगों में इसकी पुष्टि हुई थी।
एशिया, अफ्रीका, अमेरिका और प्रशांत द्वीपों में इस बीमारी के फैलने की सूचना मिली है।
भारत में इसका पहला प्रकोप साल 2017 में अहमदाबाद में देखने को मिला था। परेशानी की बात यह है कि वर्तमान में जीका वायरस की कोई वैक्सीन या विशिष्ट उपचार नहीं है।