रेलवे ने रखा केवल स्वदेशी पुर्जों के इस्तेमाल का लक्ष्य, बाहर से नहीं लेगा सामान
सीमा पर जारी तनाव के बीच देश में चीनी सामान और कंपनियों आदि के बहिष्कार की मांग की जा रही है। अब रेलवे भी इस दिशा में कदम बढ़ाने पर विचार कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे का लक्ष्य केवल भारत में बने पुर्जों का इस्तेमाल करना है ताकि आयात को बिल्कुल रोका जा सके। इससे पहले रेलवे ने बड़े सिग्नल प्रोजेक्ट से एक चीनी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाया था।
रेलवे के बनाए पुर्जे निर्यात करने के प्रयास- यादव
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने भी मीडिया से बात करते हुए पुर्जों के आयात को रोकने की बात कही। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि रेलवे के बनाए गए पुर्जों का निर्यात किया जा सके।" जब उनसे यह पूछा गया कि क्या रेलवे बोली प्रक्रिया में चीनी कंपनियों को भाग लेने से रोकेगा तो उन्होंने कहा, "हम अधिकतर ऐसी निविदाएं आमंत्रित करते हैं, जहां केवल घरेलू बोलीदाताओं को भाग लेने की अनुमति होती है।"
रेलवे ने अपनाई मेक इन इंडिया की नीति- यादव
पिछले दो-तीन सालों में रेलवे ने चीन से आने वाले सामान पर अपनी निर्भरता कम की है। यादव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "हमने मेक इन इंडिया नीति अपनाई है। हमारे सिग्नल सिस्टम में 70 प्रतिशत पुर्जे भारत में निर्मित हैं।" उन्होंने कहा, "हमारी कोशिश है कि हम ज्यादा से ज्यादा भारत में बने उत्पाद इस्तेमाल करें और निर्यात को बंद कर दें। हम प्रयास कर रहे हैं कि रेलवे का बनाया सामान दूसरे देशों में निर्यात किया जा सके।"
रेलवे ने चीनी कंपनी को किया प्रोजेक्ट से बाहर
इससे पहले गुरुवार को रेलवे ने 'खराब प्रदर्शन' के आधार पर कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे ईस्टर्न डेडिकेटेट फ्रेट कॉरिडोर पर चल रहे सिग्नल और संचार के काम से एक चीनी कंपनी का अनुबंध खत्म कर दिया था। रेलवे ने 2016 में चाइना रेल सिग्नल एंड कम्युनिकेशन कॉर्प की कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन कॉर्प के साथ कॉरिडोर पर सिग्नल लगाने के लिए 471 करोड़ रुपये का अनुबंध किया था।
BSNL को भी चीनी सामान इस्तेमाल न करने के निर्देश
रेलवे के अलावा भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) भी अपग्रेडेशन के लिए चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं करेगी। दूरसंचार विभाग ने BSNL को 4G अपग्रेडेशन के लिए चीन में बने उपकरण इस्तेमाल न करने को कहा है। इसके अलावा विभाग निजी मोबाइल कंपनियों से चीन में निर्मित उपकरणों पर अपनी निर्भरता कम करने को कहने पर विचार कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा स्थिति में चीनी उपकरणों से बने नेटवर्क की सुरक्षा जांच का विषय है।