केदारनाथ: प्रधानमंत्री मोदी ने किया आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण; आखिर क्यों है खास?
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उत्तराखंड में केदारनाथ धाम में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची पुनर्निर्मित प्रतिमा का अनावरण किया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य पुनर्निर्मित समाधि पर उनकी प्रतिमा के समक्ष बैठने का अनुभव बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं।
उन्होंने प्रतिमा के पुनर्निर्माण कार्यों का श्रेय बाबा केदार को देते हुए कहा कि यह दशक उत्तराखंड का है और आने वाले वर्षों में कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा।
पृष्ठभूमि
कौन थे आदि शंकराचार्य?
शंकराचार्य को चार मठों की स्थापना करने के लिए जाना जाता है। वैशाख मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को उनकी जयंती मनायी जाती है। केरल में जन्मे आदि शंकराचार्य भारतीय आध्यात्मिक धर्म गुरू थे।
उस दौरान उन्होंने भिन्न-भिन्न मतों में बंटे हिंदू धर्मों को जोड़ने का काम किया था।
उन्होंने अद्वैत वेदांत के सिद्धांत को समेकित किया और रामेश्वरम में श्रृंगेरी मठ, उड़ीसा में गोवर्धन मठ, गुजरात में शारदा मठ और उत्तराखंड में ज्योतिर मठ स्थापित किया।
बाढ़
साल 2013 की बाढ़ में बह गई थी आदि शंकराचार्य की मूल प्रतिमा
बता दें कि केदारनाथ धाम में साल 2013 में आई भीषण बाढ़ के दौरान आदि शंकराचार्य की मूल प्रतिमा बह गई थी।
उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पिछले केदारनाथ दौरे पर इस प्रतिमा के पुनर्निमाण में खासी रुचि दिखाते हुए इसका कार्य शुरू कराया था।
इस प्रतिमा के पुनर्निमाण की जिम्मेदारी मैसूर के प्रमुख मूर्तिकार अरुण योगीराज को सौंपी गई थी। उन्होंने एक साल के समय में आठ अन्य कारीगरों के साथ मिलकर इसका निर्माण किया है।
विशेषता
क्या है आदि शंकराचार्य की नई प्रतिमा की विशेषता?
आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची इस प्रतिमा का वजन 35 टन है। इसे मूर्तिकार अरुण योगीराज की टीम ने क्लोराइट शिस्ट से तैयार किया है। क्लोराइट शिस्ट एक ऐसी चट्टान होती है जो बारिश, धूप और कठोर जलवायु का सामना करने में सक्षम होती है।
बताया जा रहा है कारीगरों ने इस मूर्ति के कुल 18 मॉडल तैयार किए थे। उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सभी मॉडन का अवलोकन करने के बाद एक इस मॉडल का चयन किया है।
जानकारी
प्रधानमंत्री मोदी ने दी उत्तराखंड में सरकार के प्रयासों की जानकारी
उत्तराखंड में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह उत्तराखंड का दशक है। बीते 100 सालों में जितने यात्री आए होंगे, उससे ज्यादा लोग अगले 10 सालों में आ जाएंगे।
उन्होंने कहा कि देश के हर कोने में लोग इस पवित्र माहौल से जुड़े हुए हैं। भले ही वो सशरीर नहीं हैं, लेकिन ऑनलाइन के जरिए हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। आप सभी शंकराचार्य की समाधि की पुनर्स्थापना के साक्षी हैं।
जुड़ाव
"जब भी यहां आता हूं, कण-कण से जुड़ जाता हूं"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मैं जब भी बाबा केदारनाथ धाम आता हूं तो यहां के कण-कण से जुड़ जाता हूं। यहां की अनुभूति के बारे में व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। दिवाली के मौके पर मैं सैनिकों के साथ था और आज तो मैं सैनिकों की ही धरती पर हूं।"
उन्होंने कहा, "केदारनाथ धाम में आई आपदा से मैं व्यथित हो गया था, लेकिन मुझे विश्वास था कि एक दिन केदारनाथ धाम फिर खड़ा हो जाएगा।"
समीक्षा
केदारनाथ में पुनर्विकास कार्यों की कर रहा हूं समीक्षा- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मैंने ड्रोन फुटेज के माध्यम से केदारनाथ धाम में किए जा रहे विभिन्न कार्यों की प्रगति की समीक्षा की है। मैं इन कार्यों के लिए उनके मार्गदर्शन के लिए यहां सभी 'रावलों' को धन्यवाद देना चाहता हूं।"
इससे पहले उन्होंने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के सामने बैठकर आराधना की और फिर राज्य में जारी 130 करोड़ रुपये की विभिन्न पुनर्विकास परियोजनाओं का भी उद्धाटन किया। प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत भी किया गया।
जानकारी
प्रधानमंत्री मोदी ने किया भगवान शिव का रूद्राभिषेक
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ मंदिर पहुंचकर भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की और उनका रूद्राभिषेक किया। इस दौरान मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचने पर पुजारियों ने प्रधानमंत्री मोदी का उनके माथे पर लेप लगाकर स्वागत किया।