वोडाफोन और केयर्न के साथ विवाद का कारण बने पूर्वव्यापी टैक्स कानून को खत्म करेगा भारत
क्या है खबर?
भारत सरकार ने 2012 में बनाए गए पूर्वव्यापी (Retrospective) टैक्स के विवादित कानून को खत्म करने का फैसला लिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने आज इससे संबंधित एक विधेयक को मंजूरी दी।
केंद्र सरकार के इस फैसले से वोडाफोन और केयर्न समेत 15 कंपनियों को फायदा होगा और इन्हीं कानूनों के कारण भारत का इन कंपनियों से विवाद चल रहा था।
नए विधेयकों में इन कंपनियों से वसूले गए पैसों को बिना ब्याज रिफंड करने का प्रावधान भी है।
पृष्ठभूमि
क्या है पूर्वव्यापी टैक्स कानून?
कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्काल संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार 2012 में ये कानून लेकर आई थी। इसमें विदेशी कंपनियों को 1962 के बाद हुए कैपिटन गैन पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया था।
कानून के तहत ब्रिटेन की वोडाफोन और केयर्न एनर्जी कंपनियों पर उनके पुराने सौदे के लिए टैक्स लगाया गया था। इन कंपनियों ने इन सौदों का विरोध किया था जिसके बाद मामला नीदरलैंड के हेग स्थित आर्बिट्रेशन कोर्ट पहुंचा था। भारत दोनों केस हारा था।
वोडाफोन
वोडोफान के साथ क्या विवाद था?
वोडाफोन ने 2007 में हांगकांग की टेलीकॉम कंपनी हच की भारतीय संपत्ति को 11 अरब डॉलर में खरीदा था जिसके बाद भारत सरकार ने उससे 11,000 करोड़ रुपये का टैक्स मांगा था।
कंपनी ने इसका विरोध किया जिसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में वोडाफोन के पक्ष में फैसला सुनाया जिसके बाद सरकार पूर्वव्यापी टैक्स का ये कानून ले आई।
इसके बाद मामला अंतरराष्ट्रीय आर्बिट्रेशन कोर्ट पहुंचा जिसने वोडाफोन के हक में फैसला सुनाया।
केयर्न एनर्जी
केयर्न एनर्जी के साथ क्या विवाद था?
भारत सरकार और केयर्न एनर्जी के बीच विवाद की शुरूआत 2006-2007 में हुई थी। तब केयर्न UK ने भारत स्थित अपनी केयर्न इंडिया होल्डिंग के शेयर केयर्न इंडिया को ट्रांसफर कर दिए थे।
भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि चूंकि इस ट्रांसफर से केयर्न UK को फायदा (कैपिटल गैन) हुआ है, इसलिए उसे टैक्स देना चाहिए। हालांकि कंपनी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
इसके बाद 2011 में कंपनी ने केयर्न इंडिया का ज्यादातर हिस्सा वेदांता को बेच दिया।
कोर्ट में हार
सरकार ने 10 प्रतिशत हिस्सा बेचने से रोका, लेकिन आर्बिट्रेशन कोर्ट में हुई हार
इसके बाद टैक्स अधिकारियों ने कंपनी को केयर्न इंडिया का 10 प्रतिशत हिस्सा बेचने से रोक दिया और 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के कैपिटल गैन टैक्स के एवज में इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। इसके अलावा उसने केयर्न इंडिया के केयर्न UK को लाभांश का भुगतान करने पर भी रोक लगा दी।
केयर्न मामले में आर्बिट्रेशन कोर्ट पहुंच गई जिसने सरकार को 10,000 करोड़ रुपये ब्याज और जुर्माने के साथ कर्न एनर्जी को वापस करने को कहा।
जानकारी
विदेशों में भारतीय संपत्ति को जब्त कर रही थी केयर्न
अपना बकाया लेने के लिए केयर्न विदेशों में भारत सरकार की 5,200 अरब रुपये की संपत्ति की पहचान कर ली थी और इसे जब्त करना शुरू कर दिया था। अब ये विधेयक लाकर सरकार उसे बिना ब्याज वसूली गई रकम का भुगतान कर सकती है।