म्यांमार: नोबेल विजेता आंग सू की को चार साल की सजा; क्या है पूरा मामला?
क्या है खबर?
सैन्य शासित म्यांमार में एक कोर्ट ने नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की को चार साल जेल की सजा सुनाई है। उनके पास से एक वॉकी-टॉकी पाए जाने के बाद सू की को ये सजा दी गई है।
उन्हें पिछले साल भी दो मामलों में सजा सुनाई गई थी और उनकी जेल की सजा अब छह साल की हो गई है।
उन पर कुल एक दर्जन मामले चल रहे हैं जिनमें कुल 100 साल की सजा का प्रावधान है।
मामला
सू की के घर से मिले थे छह गैरकानूनी वॉकी-टॉकी
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि 1 फरवरी, 2021 को गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद ही सू की के घर से छह गैरकानूनी तरीके से आयात किए गए वॉकी-टॉकी बरामद किए गए थे।
पिछले साल कोर्ट ने उन्हें एक निर्यात-आयात कानून को उल्लंघन करने के लिए दो साल और सिग्नल जैमर्स का सेट प्रयोग करने के लिए एक साल की सजा सुनाई थी। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
अन्य मामले
कोरोना नियमों के उल्लंघन के लिए भी सू की को हुई है सजा
सू की को 6 दिसंबर को कोरोना वायरस से संबंधित नियम तोड़ने के लिए दो साल की सजा भी सुनाई गई थी। बाद में इस सजा को घटाकर दो साल कर दिया गया।
उन्हीं दी जा रही इन सजाओं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना की जा रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को कहा कि सू की को सुनाई गई ताजा सजा को एक जन नेता के खिलाफ हास्यास्पद मुकदमे में नवीनतम कार्रवाई बताया है।
पक्ष
सू की के समर्थकों ने मुकदमों को बताया फर्जी
सू की के समर्थकों ने कहा है कि उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे आधारहीन और झूठे हैं और उनके राजनीतिक करियर का अंत करने के लिए ऐसा किया जा रहा है ताकि सेना बिना किसी चुनौती के अपनी सत्ता को चलाने के लिए स्वतंत्र हो जाए।
वहीं सैन्य सरकार ने कहा है कि सू की को उचित प्रक्रिया के तहत उनके प्रशासन द्वारा नियुक्त जज की कोर्ट में मौका दिया जा रहा है।
सैन्य तख्तापलट
सेना ने पिछले साल किया था चुनी हुई सरकार का तख्तापलट
बता दें कि पिछले साल 1 फरवरी को म्यांमार की सेना ने चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया था और सर्वोच्च नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट समेत कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में लेकर देश में एक साल के लिए आपातकाल लगा दिया था।
तख्तापलट के बाद पूर्व जनरल म्यिंट स्वी को कार्यकारी राष्ट्रपति बना दिया गया था और सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग ने देश का शासन अपने हाथों में ले लिया था।
सैन्य शासन
म्यांमार में सैन्य शासन का पुराना इतिहास
गौरतलब है कि म्यांमार में सैन्य शासन और तख्तापलट का पुराना इतिहास है और 1948 में आजादी के बाद यहां पहली बार 1962 में सैन्य तख्तापलट हुआ था।
इसके बाद यहां पांच दशक तक सैन्य तानाशाही बनी रही और इसी दौरान सू ची ने 1989 से 2010 तक लगभग दो दशक नजरबंदी में गुजारे।
2011 में सेना ने अचानक सैन्य शासन हटा दिया और इसके बाद 2015 और 2019 में हुए दो चुनावों में NLD ने बड़ी जीत दर्ज की।