तमिलनाडु: CBI की कस्टडी से गायब हुआ 100 किलोग्राम से अधिक सोना, स्थानीय पुलिस करेगी जांच
तमिलनाडु में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की कस्टडी से लगभग 103 किलोग्राम सोना गायब होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। CBI ने ये सोना 2012 में जब्त किया था और तभी से यह उसकी कस्टडी में रखा हुआ था। अभी इसे बैंकों के हवाले किया जाना था और तभी सोना गायब होने की बात सामने आई। मद्रास हाई कोर्ट ने इसे CBI की अग्नि परीक्षा बताते हुए राज्य पुलिस को मामले की जांच करने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
CBI ने 2012 में सोना-चांदी का निर्यात करने वाली सुराना कॉर्पोरेशन लिमिटेड कंपनी का 400.47 किलोग्राम सोना जब्त किया था। चेन्नई के मिनरल्स एंड मेटल्स ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (MMTC) के अधिकारियों के सुराना कॉर्पोरेशन को नाजायज फायदा पहुंचाने से संबंधित मामलों में ये सोना जब्त किया गया था। 2013 में CBI ने दूसरा मामला दर्ज कर सोने को उस मामले में ट्रांसफर कर दिया और कोर्ट ने भी बिना तोले ऐसा करने का आदेश जारी कर दिया।
SBI ने की मांग- सोने से चुकाया जाए उसका बकाया
इस बीच भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने उसका 1,160 करोड़ रुपये बकाया न चुकाने के लिए सुराना के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी और विशेष CBI कोर्ट में याचिका दायर करते हुए जब्त सोने से वसूली करने की अनुमति मांगी। सुराना ने भी इससे सहमति जताई, लेकिन CBI ने इसका विरोध किया। अंत में दिसंबर, 2019 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने सोने को उन छह बैकों में बांटने का आदेश दिया जिनका सुराना पर बकाया था।
CBI ने वजन तोलने की मशीन को बताया "सोना गायब" होने का कारण
हालांकि जब CBI ने इस साल फरवरी में बैंकों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में जब्त सोने को खोला तो ये 103.864 किलोग्राम कम निकला। इस पर कोर्ट में सफाई देते हुए CBI ने कहा कि सुराना के दफ्तर में उसी की मशीन से सभी गहनों को एक साथ तोलते हुए वे 400.47 किलोग्राम के आंकड़े पर पहुंचे थे, जबकि फरवरी में सभी गहनों को अलग-अलग और अच्छी मशीनों से तोला गया। CBI ने इसे सोने में कमी का कारण बताया।
हाई कोर्ट ने दिया चोरी की FIR दर्ज करने का निर्देश
CBI की इस दलील को खारिज करते हुए शुक्रवार को हाई कोर्ट ने कहा कि वे ये समझने में असमर्थ हैं कि 100 किलोग्राम से अधिक सोने का अंतर कैसे हो सकता है। कोर्ट ने राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाली CB-CID की चेन्नई विंग को मामले में चोरी की FIR दर्ज करने और पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को जांच सौंपने का निर्देश दिया है। CB-CID को जांच पूरी करने के लिए छह महीने का समय दिया गया है।
CBI ने कहा- स्थानीय पुलिस द्वारा जांच पर गिर आएगा हमारी प्रतिष्ठा
स्थानीय पुलिस से जांच कराने पर उसकी प्रतिष्ठा गिरने की CBI की दलील को भी खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि कानून ऐसा अंतर नहीं मानता और सभी पुलिसकर्मियों पर भरोसा किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, "ये CBI के लिए अग्नि परीक्षा हो सकती है, लेकिन इसमें कुछ नहीं किया जा सकता। अगर सीता की तरह उनके हाथ साफ हैं तो वे बाइज्जत बाहर आएंगे। अगर नहीं तो उन्हें सजा भुगतनी होगी।"