राजस्थान: अस्पताल में दो दिन में 10 शिशुओं की मौत, प्रशासन बोला- ऐसा होता रहता है
क्या है खबर?
एक तरफ देश जहां नागरिकता कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) के सवालों से जूझ रहा है, वहीं दूसरी तरफ बीच-बीच में एक-दो ऐसी खबरें आती हैं जो बताती हैं कि देश के सामने असली समस्याएं क्या हैं।
राजस्थान के कोटा से ऐसी ही एक खबर आई है जहां एक अस्पताल में दो दिन के अंदर 10 शिशुओं की मौत हो गई और अस्पताल प्रशासन कह रहा है कि इसमें कुछ असामान्य नहीं है।
जानकारी
23 दिसंबर को छह और 24 दिसंबर को चार शिशुओं की मौत
दरअसल, कोटा के जे के लोन अस्पताल में 23 दिसंबर को छह और 24 दिसंबर को चार नवजात शिशुओं की मौत हुई थी। इन शिशुओं में पांच लड़के और चार लड़कियां शामिल हैं जिनकी उम्र एक दिन से लेकर एक साल तक थी।
बयान
मौतों पर क्या बोले अस्पताल अधीक्षक?
इन मौतों पर बयान देते हुए अस्पताल अधीक्षक डॉ एचएल मीणा ने कहा, "ज्यादातर शिशुओं और बच्चों को नाजुक स्थिति में निजी और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से अस्पताल रेफर किया जाता है। इसके कारण अस्पताल में प्रतिदिन औसतन दो से तीन शिशुओं की मौत होती है। कई दिन ऐसे भी होते हैं तब किसी की मौत नहीं होती। इसलिए दो दिन में 10 शिशुओं की मौत होना हालांकि ज्यादा है लेकिन इसमें कुछ असामान्य नहीं है।"
जांच
जांच के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय समिति
डॉ मीणा ने इस दौरान बताया कि पिछले कुछ सालों में अस्पताल में शिशु मृत्यु दर में कमी आई है।
इस बीच अस्पताल प्रशासन ने 10 शिशुओं की मौत पर तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई है।
बच्चों का इलाज करने वाले विभाग के अध्यक्ष डॉ अमृत लाल बैरवा को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। डॉ बैरवा ने सभी दस शिशुओं की मौत का कारण बताते हुए सफाई दी है।
बयान
डॉ बैरवा ने बताया शिशुओं की मौत का ये कारण
डॉ बैरवा ने बताया, "पांच नवजातों में से तीन को H1 ग्रेड का गंभीर एस्फिक्सिया (जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी) था, जबकि बाकी दो नवजातों को इंफेक्शन के साथ सेप्टिसेमिया था। ये अपने जन्म के 24 से 48 घंटे के अंदर ही मर गए।"
उन्होंने आगे बताया, "एक साल तक के बाकी पांच शिशुओं में से तीन को नाजुक स्थिति में अस्पताल रेफर किया गया था। दो को ऐंठन और एस्पिरेशन के कारण भर्ती किया गया था।"