अजमेर जेल में कैदियों को दिए जा रहे थे VIP कमरे, आठ लाख रुपये था किराया
राजस्थान की अजमेर जेल में कई कैदियो को पैसे के बदले VIP सुविधाएं दिए जाने और प्रति महीने आठ लाख रुपये में उन्हें VIP कमरे प्रदान करने का मामला सामने आया है। एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) की जांच में ये खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि अच्छे परिवारों से आने वाले कैदियों को पैसे लेकर न केवल प्रतिबंधित चीजें प्रदान की जाती थीं बल्कि उन्हें बैरक के अंदर भी VIP सुविधाएं प्रदान की जाती थीं।
हर बैरक के साथ था एक VIP कमरा
ACB के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर 'हिंदुस्तान टाइम्स' को बताया कि अजमेर केंद्रीय जेल की हर बैरक में एक VIP कमरा था जहां अमीर कैदियों को VIP सुविधाएं दी जाती थीं। उन्होंने बताया, "जांच के दौरान हमने पाया कि बैरक संख्या एक से लेकर 15 तक में अमीर पृष्ठभूमि से आने वाले कैदियों के लिए VIP कमरे थे। इन कैदियों को विशष खाना, साफ कपड़े और साफ कमरे जैसी सुविधाएं दी जाती थीं।"
कैदियों के परिजनों से जेल के बाहर पैसे इकट्ठा करते थे बिलौचिये
अधिकारी ने बताया कि अमीर कैदी इन VIP कमरों के लिए हर महीने आठ लाख रुपये देते थे। उन्होंने बताया, "जेल स्टाफ का बिचौलिया कैदियों के परिजनों से जेल के बाहर पैसे लेता था। जहां कुछ परिजन कैश में पैसा देते थे, वहीं कुछ ऑनलाइन पैसे भी देते थे।" अधिकारी ने जानकारी दी कि बैंकों से रैकेट में शामिल आरोपियों के बैंक स्टेटमेंट मांगे गए हैं और अब तक 18 बैंक अकाउंट्स को जब्त कर लिया गया है।
15,000 रुपये में मिलता था सिगरेट का पैकेट
वहीं ACB के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि कैदियों के परिजन तंबाकू, सिगरेट जैसी प्रतिबंधित चीजों के लिए भी पैसे देते थे। उन्होंने बताया, "सिगरेट के एक पैकेट के लिए 12,000-15,000 रुपये और तंबाकू के पैकेट के लिए 300-500 रुपये का रेट था।"
जुलाई में सामने आया था रैकेट, अब तक 12 लोग गिरफ्तार
बता दें कि ACB ने जुलाई में इस रैकेट का भंडाफोड़ किया था और अभी तक मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें चार जेल कर्मचारी, दो कैदी और कैदियों के परिजन शामिल हैं। मामले में पिछले हफ्ते एक पूर्व जेलर और तीन बिचौलियों को गिरफ्तार किया गया। इन चारों आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि इस रैकेट में हर महीने 25 लाख रुपये का भुगतान किया जाता था।
अन्य जेलों के कर्मचारी भी जांच के घेरे में
जांच के अनुसार, तीनों बिचौलिये जेलर जसवंत सिंह की ओर से कैदियों के परिजनों से पैसे इकट्ठे करते थे, जिसके बदले उन्हें जेल में विशेष सुविधाएं दी जाती थीं। ऐसी ही शिकायतों के आधार पर अन्य जेलों के कर्मचारी भी जांच के घेरे में हैं।