#Exclusive: 1,200 किमी साइकिल चलाकर पिता को घर ले गई ज्योति, बोलीं- कोई मुश्किल नहीं आई
लॉकडाउन के चलते एक 15 वर्षीया लड़की ने अपने घायल पिता को साइकिल पर बैठाकर 1,200 किमी की यात्रा पूरी की है। ज्योति कुमारी के इस साहस से हर कोई अवाक है और साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (CFI) ने उन्हें ट्रॉयल के लिए भी बुलाया है। 15 मई को सात दिन की कठिन यात्रा के बाद हरियाणा के गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंची ज्योति ने न्यूजबाइट्स से खास बातचीत की है। आइए जानते हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश।
दरभंगा में पढ़ती हैं, पिता की मदद के लिए गुरुग्राम गई थीं ज्योति
ज्योति दरभंगा में ही कक्षा आठ में पढ़ाई करती हैं और 26 जनवरी को वह अपने पिता के एक्सीडेंट हो जाने के बाद गुरुग्राम पहुंची थीं। उनके पिता गुरुग्राम में ही ई-रिक्शा चलाते हैं। एक्सीडेंट से उनके पैर में चोट आ गई थी। ज्योति अभी अपने पिता के पास ही थीं कि कोरोना वायरस के कारण 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा हो गई। लॉकडाउन ने ज्योति और उनके पिता की परेशानियां और भी बढ़ा दी।
लॉकडाउन की मार ने किया साइकिल से घर जाने को मजबूर- ज्योति
ज्योति ने बताया कि पहले लॉकडाउन में तो उनके लिए ठीक-ठाक था, लेकिन बाद में उन्हें परेशानी होने लगी। उन्होंने बताया, "लॉकडाउन के बाद खाने से लेकर रहने तक की दिक्कत होने लगी। कमरे से हमें निकाला जा रहा था। इसलिए अन्य लोगों को घर जाता देखकर हमारे मन में भी घर जाने का विचार आया।" उन्होंने बताया की उन्होंने अपने घायल पिता की हालत देखी और उन दोनों ने 500 रूपये में पुरानी साइकिल खरीदकर यात्रा शुरु कर दी।
रास्ते में ज्यादा परेशानी नहीं आई- ज्योति
ज्योति ने बताया कि गुरुग्राम से दरभंगा तक उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं आई। उनके पास कुछ पैसे थे जिनसे वे रास्ते में थोड़ा बहुत कुछ खा लेते थे। वे रात को कहीं आराम करते थे और सुबह फिर से चल पड़ते थे।
CFI ट्रॉयल के लिए जाना चाहती हैं, लेकिन अभी घाव हैं
ज्योति ने बताया कि उन्हें CFI से ट्रॉयल आया है और उनका परिवार इस ऑफर के लिए काफी खुश है। उन्होंने कहा कि उन्हें इन चीजों की ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन अभी तत्काल वह ट्रॉयल के लिए नहीं जा सकती। ज्योति ने मासूमियत से कहा, "अभी तो हम बहुत थके हैं और सीट पर बैठे-बैठे हमारे पीछे घाव हो गए हैं। हमें बस घाव ठीक होने तक का समय चाहिए, उसके बाद हम कहीं भी जाने को तैयार हैं।"
इंडिया के लिए खेलूंगी तो पिता को और भी खुशी मिलेगी- ज्योति
ज्योति को जब हमने समझाया कि यदि वह ट्रॉयल में सफल रहीं तो उन्हें फ्री में ट्रेनिंग दी जाएगी और वह भारतीय एथलीट भी बन सकती हैं तो उनकी आवाज में खुशी और उम्मीद साफ नजर आ रही थी। उन्होंने कहा, "हमें पैसों का लालच नहीं है, लेकिन यदि हमें इंडिया के लिए खेलने का मौका मिलेगा तो यह काफी खुशी की बात होगी और हमारा परिवार इसको लेकर काफी खुश है।"
मेरे पापा मेरे सबकुछ हैं- ज्योति
15 साल की लड़की पिता को लेकर इतना कठिन सफर तय कर आई है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अपने पिता से कितना प्यार करती है। ज्योति बताती हैं, "हमारे लिए हमारे पापा ही सबकुछ हैं। हमें किसी चीज का लालच नहीं है। हमें केवल हमारे पापा चाहिए।" उन्होंने कहा कि यदि उन्हें मौका मिला तो वह एथलीट बनकर अपने पिता को और सुख देने की पूरी कोशिश करेंगी।
मैं साइकिल लेकर खूब घूमती थी- ज्योति
ज्योति ने बताया कि वह कड़ी मेहनत करने से कभी नहीं घबराती और घर पर वह कभी खाली बैठती ही नहीं। उन्होंने कहा, "मेहनत करने से हमें कोई दिक्कत नहीं है। घर पर तो हम पांच मिनट भी नहीं बैठते थे। पूरा दिन हम साइकिल लेकर ही गांव में रेस लगाते रहते थे।" ज्योति ने कहा कि वह CFI में हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। वहीं ज्योति का कहना है कि वह कभी गुरुग्राम नहीं जाएंगी।
"कोई मुश्किल नहीं आई"
पिता को साइकिल पर बैठाकर 1,200 किलोमीटर चलने के बाद ज्योति इस बात से अपने सारे गम भूल गई कि पत्रकार उनसे बात कर रहे हैं। जब भी उनसे पुछा कि उनको क्या-क्या मुश्किलें आईं तो उन्होंने एक ही जवाब दिया, "कोई मुश्किल नहीं आई।"