
भारत में प्रचलित हैं ये 5 पारंपरिक नाट्य शैलियां, इनके बारे में जानें
क्या है खबर?
भारत में कई पारंपरिक नाट्य शैलियां हैं, जो देश के विभिन्न हिस्सों की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं।
ये नाट्य शैलियां न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि समाज के मुद्दों को भी उजागर करती हैं। इनका इतिहास सदियों पुराना है और इनमें संगीत, नाच और अभिनय का अनोखा मिश्रण होता है।
आइए आज हम आपको भारत की पांच प्रमुख पारंपरिक नाट्य शैलियों के बारे में बताते हैं।
#1
कठपुतली (राजस्थान)
कठपुतली राजस्थान की एक प्रसिद्ध पारंपरिक नाट्य शैली है, जो विशेष रूप से जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर क्षेत्रों में प्रचलित है।
इसमें लकड़ी या धागे से बने कठपुतलों का उपयोग किया जाता है। कठपुतली को नचाते हुए धार्मिक और सामाजिक विषयों पर आधारित कहानियां प्रस्तुत की जाती हैं।
इसमें कठपुतली कलाकार अपनी कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। यह राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा है।
#2
रामलीला (उत्तर प्रदेश)
रामलीला उत्तर प्रदेश की एक प्रमुख पारंपरिक नाट्य शैली है, जो भगवान राम की कहानी को प्रस्तुत करती है।
इस नाटक में राम, सीता, हनुमान और रावण जैसे पात्रों का अभिनय किया जाता है।
रामलीला का आयोजन दशहरा उत्सव के दौरान होता है और इसमें हजारों लोग भाग लेते हैं।
इस नाटक में धार्मिक और ऐतिहासिक तत्वों का अनोखा मेल होता है, जो दर्शकों को आकर्षित करता है।
#3
कुचिपुड़ी (आंध्र प्रदेश)
कुचिपुड़ी आंध्र प्रदेश की एक प्रमुख पारंपरिक नाट्य शैली है, जो धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर आधारित होती है।
इसमें संगीत, नृत्य और अभिनय का अनोखा मेल होता है। कुचिपुड़ी में कलाकार खास तरह के मेकअप और वस्त्र पहनते हैं, जो उन्हें अलग-अलग पात्रों में बदल देते हैं।
इस कला में रंगीन परिधान और संगीत का खास महत्व होता है, जो दर्शकों को आकर्षित करता है।
#4
ओडिसी (उड़ीसा)
ओडिसी उड़ीसा राज्य की एक प्रमुख पारंपरिक नाट्य शैली है, जो भगवान जगन्नाथ की कहानी को प्रस्तुत करती है।
इसमें कलाकार खास तरह के मेकअप और वस्त्र पहनते हैं, जो उन्हें अलग-अलग पात्रों में बदल देते हैं।
इसमें भी रंगीन परिधान और संगीत का खास महत्व होता है, जो दर्शकों को आकर्षित करता है। ओडिसी की जटिल मुद्राएं और तालबद्ध नृत्य इसे अन्य शैलियों से अलग बनाते हैं।
#5
छऊ (ओडिशा)
छऊ ओडिशा राज्य की एक अनोखी पारंपरिक नाट्य शैली है, जिसमें युद्ध, वीरता और शौर्य की कहानियां प्रस्तुत होती हैं।
यह मुख्य रूप से छऊ नर्तकों द्वारा किया जाता है, जो युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हैं।
छऊ में कलाकार खास तरह के मेकअप और वस्त्र पहनते हैं, जो उन्हें अलग-अलग पात्रों में बदल देते हैं।
इसमें युद्ध कौशल और वीरता की कहानियों को जीवंत किया जाता है।