'योद्धा' रिव्यू: सेना की वर्दी में फिर चमके सिद्धार्थ मल्होत्रा, एक्शन-पटकथा से पैसा वसूल बनी फिल्म
'शेरशाह' के बाद सिद्धार्थ मल्होत्रा को फिर से सेना की वर्दी पहने देखने की इच्छा रखने वाले सिनेप्रेमियों की ख्वाहिश पूरी हो गई है। सिद्धार्थ, धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले बनी 'योद्धा' के साथ देश के दुश्मनों को धूल चटाने लौट आए हैं। इसका निर्देशन सागर अंब्रे और पुष्कर ओझा ने किया है। सिद्धार्थ, राशी खन्ना और दिशा पाटनी जैसे कलाकारों से सजी यह फिल्म 15 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। चलिए जानते हैं कैसी है 'योद्धा'।
प्लेन हाइजैक पर आधारित कहानी
यह कहानी एक प्लेन हाइजैक की है, जिसका एयर कमांडर अरुण कात्याल (सिद्धार्थ) है। इस हाईजैक के सभी सुराग अरुण के इसमें सम्मलित होने की ओर इशारा करते हैं और जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है संदेह बढ़ता जाता है। सुरक्षा बलों के साथ-साथ यात्रियों का मानना भी यही है कि अरुण योद्धा (भारतीय सेना की विशेष टास्क फोर्स) के निलंबन का बदला ले रहा है। लेकिन क्यों? इसके तार अरुण के जीवन के हाल ही के घटनाक्रम से जुड़े हैं।
गद्दार या सेवक?
अरुण, 'योद्धा' का फर्स्ट कमांडिंग ऑफिसर होता है, जो अपनी बहादुरी के साथ ही आदेश का पालन ना करने और बिना सोचे-समझे कार्रवाई करने के लिए मशहूर है। अपने आत्मविश्वास के कारण वह अतीत में एक प्लेन हाइजैक में भारत के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक की जान बचाने में विफल रहता है, जो उसके निलंबन और उसके ऊपर किए जा रहे शक का कारण बनती है। अब अरुण गद्दार है या देश का सेवक? ये जानने के लिए फिल्म देखनी होगी।
'शेरशाह' से कितनी अलग 'योद्धा'?
'शेरशाह' से 'योद्धा' बहुत अलग है। बायोग्राफिकल फिल्म में जहां सिद्धार्थ ने पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ी थी, वहीं इस फिक्शनल कहानी में योद्धा बनकर सिद्धार्थ ने पड़ोसी मुल्क की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है।
सेना की वर्दी में फिर चमके सिद्धार्थ
सिद्धार्थ की अदाकारी में हमें एक नयापन देखने को मिला। उन्होंने फिर साबित कर दिया कि सेना की वर्दी उनमें अलग करिश्मा पैदा करती है। फिल्म के हर सीन में सिद्धार्थ अलग रूप से चमके हैं, चाहे फिर वह प्रेमी हो या फिर देशभक्ति से ओत-प्रोत सैनिक। वह एक्शन करने में उत्कृष्ट रहे, जो फिल्म का मुख्य आकर्षण बना। एक बार फिर उन्होंने देश को बचाने की हुंकार लगाई और साबित कर दिया कि वह बेहतरीन कलाकार हैं।
राशी और दिशा की शानदार अदाकारी
राशी ने राज्य सचिव (प्रियंवदा कत्याल) और सिद्धार्थ की पत्नी बन अच्छा प्रदर्शन किया। सिद्धार्थ और राशी का बंधन कहानी में एक भावनात्मक परत जोड़ता है और राशी अपने किरदार के साथ पूरा न्याय करती हैं। एयर होस्टेस बनीं दिशा छोटी लेकिन प्रभावशाली भूमिका में हैं। वह जैसे-जैसे अपने उद्देश्य की ओर बढ़ती हैं, वैसे-वैसे सभी अचंभित होते जाते हैं। उनका यह रूप सभी के लिए चौंकाने वाला होगा। खलनायक के रूप में सनी हिंदूजा ने छाप छोड़ी है।
अलग करिश्मा बनाती है फिल्म
'योद्धा' की घिसी-पिटी शुरुआत को छोड़कर यह अपनी शैली की एक जबरदस्त फिल्म कहलाई जा सकती है। भारतीय सिनेमा की बेहतरीन एक्शन-थ्रिलर के बीच 'योद्धा' अपनी बंधी हुई कहानी और दिल दहला देने वाले एक्शन सीन से अलग ही करिश्मा बनाने में सफल हुई है। कहानी को और जानदार इसका बेहतरीन क्लाइमैक्स बनाता है। फिल्म में शुरुआत से लेकर आखिर तक इतने ट्विस्ट हैं कि आपको आंखें झपकाने का समय भी नहीं मिलता है।
सागर और पुष्कर के निर्देशन ने दिया नया दृष्टिकोण
'योद्धा' के जरिए सिनेमा की दुनिया में शुरुआत कर रहे सागर अम्ब्रे और पुष्कर ओझा का काम तारीफ के काबिल है। उन्होंने कहानी कहने के ढंग और सामान्य पटकथा को प्रभावशाली बनाने वाले अपने काम से साबित किया है कि नए लोग नया दृष्टिकोण ला सकते हैं। सबसे अच्छी बात उनकी पटकथा का ऑन-पॉइंट बनाना है जो रोमांचकारी है और सारहीन नहीं है। निर्देशकों को अभिव्यक्त करने की आजादी देने के लिए करण जौहर भी तारीफ के हकदार हैं।
यहां खली कमी
अगर फिल्म करण की हो तो फिल्म में थोड़ा बॉलीवुड मसाला होना तो बनता है, ऐसे में कहीं-कहीं 'योद्धा' अखरती है। योद्धा एक ही समय में कई चीजों को छूने की कोशिश करती है, जिसके कारण कुछ चीजों के साथ न्याय करने में चूकती है। एक्शन फिल्मों की सबसे बड़ी समस्या उनके संवाद होते हैं। लेखक निश्चित रूप से कुछ बेहतर और जोरदार संवादों के साथ काम कर सकते थे।
संगीत में हो सकता था सुधार
संगीत तनिष्क बागची और विशाल मिश्रा ने दिया है, जो प्रभावित करने में विफल रहा। फिल्म देखने के बाद अधिकांश गाने भूल जाएंगे, केवल एक को छोड़कर, जो बी प्राक का 'किस्मत बदल दी' है। हालांकि, बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की रफ्तार के साथ चलता है।
देखें या ना देखें?
क्यों देखें?- देश की रक्षा के लिए सेना के जज्बे को दिखाती फिल्में देखना पसंद है तो 'योद्धा' आपके लिए बनी है। 2 घंटे 13 मिनट की यह फिल्म एक्शन से भरपूर है और इसमें ऐसे कईं तत्व हैं, जो इसे खास बनाते हैं। सिद्धार्थ के प्रशंसक हैं तो इसे देखना तो बनता है। क्यों ना देखें?- अगर आपको एक्शन और मसालेदार फिल्में देखने से परहेज है तो ये आपको कतई रास नहीं आएगी। न्यूजबाइट्स स्टार- 3.5/5