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'12वीं फेल' रिव्यू: अव्वल रहे विक्रांत मैसी, कभी हार न मानने की प्रेरक कहानी है फिल्म
पढ़िए विक्रांत मैसी की '12वीं' फेल का रिव्यू

'12वीं फेल' रिव्यू: अव्वल रहे विक्रांत मैसी, कभी हार न मानने की प्रेरक कहानी है फिल्म

Oct 27, 2023
03:15 pm

क्या है खबर?

विक्रांत मैसी की फिल्म '12वीं फेल' 27 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म की घोषणा होने के बाद से ही यह खूब चर्चा में थी। विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म का निर्देशन किया है। फिल्म अनुराग ठाकुर कि किताब '12वीं फेल' पर आधारित है, जो IPS अफसर मनोज शर्मा के संघर्षों की कहानी है। आपको बताते हैं कि चंबल से निकले एक युवक के IPS बनने की कहानी पर बनी यह फिल्म कैसी है।

कहानी 

12वीं फेल लड़के के IPS बनने की कहानी

मनोज (विक्रांत) चंबल के एक ऐसे गांव का लड़का है, जहां भ्रष्टाचार को सामान्य माना जाता है। मनोज के पिता एक ईमानदार सरकारी कर्मचारी हैं। उनकी ईमानदारी का खामियाजा उनके परिवार को भुगतना पड़ता है। मनोज के क्षेत्र में एक नए पुलिस अफसर की तैनाती होती है, जो उसके स्कूल में नकल रुकवा देता है। नकल न होने से मनोज 12वीं में फेल हो जाता है, लेकिन अफसर की ईमानदारी से प्रभावित होकर पुलिस अफसर बनने की ठान लेता है।

मुखर्जी नगर

मुखर्जी नगर में बसती है अलग दुनिया

आर्थिक तंगी के बीच मनोज पढ़ाई के लिए किसी तरह से पहले ग्वालियर और फिर दिल्ली जाता है। दिल्ली के मुखर्जी नगर में उसे नई दुनिया नजर आती है, जहां चंद सीटों के लिए लाखों अभ्यार्थी मुकाबला कर रहे हैं। साथ ही यहां अमीर-गरीब और अंग्रेजी मीडियम और हिंदी मीडियम का भी भेद है। पैसों के बिना दिल्ली आया मनोज खर्च चलाने के लिए कभी बाथरूम साफ करने का काम करता है तो कभी आटा चक्की में काम करता है।

अभिनय

विक्रांत ने फिर किया खुद को साबित

फिल्म में विक्रांत 12वीं के छात्र से लेकर IPS अफसर बनने तक का सफर तय करते हैं। उनका किरदार गरीबी और अपमान भी महसूस करता है और पहले प्यार की मिठास भी। इन भावनाओं को उतारने में वह एक भी जगह 'फेल' नहीं होते हैं। खास बात यह है मनोज के अलग-अलग दौर के साथ, उनकी शारीरिक बनावट, चाल-ढाल भी बदल जाती है। '12वीं फेल' साबित करती है कि विक्रांत को कुछ भी दिया जाए, वह पर्दे पर ले आएंगे।

सहायक कलाकार

सहायक कलाकारों ने बनाई लय

सहायक कलाकारों ने भी फिल्म की लय को बनाए रखने का काम किया है। भले ही फिल्म का केंद्रीय किरदार मनोज का है, लेकिन यह फिल्म अलग-अलग पृष्ठभूमि से मुखर्जी नगर आने वाले लाखों छात्रों की कहानी कहती है। इन अभ्यार्थियों के किरदार में अनंत जोशी, अंशुमन पुष्कर का काम बेहतरीन है। मेधा शंकर संघर्षों के बीच प्यार लेकर आती हैं। गीता अग्रवाल चंद दृश्यों में ही आर्थिक संघर्षों की तकलीफ बयां कर देती हैं।

निर्देशन 

विधु के निर्देशन ने किया कमाल

यह निर्देशक विधु की बारीकियों का कमाल है कि दर्शक फिल्म देखते-देखते उस सफर को जीने लगते हैं। फिल्म में कई भावुक मोड़ हैं, बेइंतहा संघर्ष है, प्रेरणा है और प्यार है। इतने तत्व होने बाद भी विक्रांत और विधु की शानदार साझेदारी से कोई भी दृश्य बनावटी नहीं लगता है। संघर्ष, आर्थिक तंगी, रोमांस, दोस्ती, सबकुछ बेहद संतुलित है। फिल्म चंबल की गलियों से UPSC मुख्यालय होते हुए वापस उसी गली का प्रेरक सफर पूरा करती है।

संगीत

संतुलित रहा संगीत

विधु की खास बात यह है कि उन्होंने फिल्म में हर तत्व का संतुलित प्रयोग किया है। फिल्म में बैकग्राउंड म्यूजिक हर भावना को और मजबूत करता है और आप मनोज से जुड़ते जाते हैं। गाना 'रीस्टार्ट' फिल्म की मूल भावना को दिखाता है, जबकि रोमांटिक गाना 'बोलो ना' संघर्षों के बीच राहत लेकर आता है। विधु की अन्य फिल्मों की तरह ही इस फिल्म के शॉट्स भी लाजवाब हैं।

जानकारी

खास बातें

UPSC परीक्षाओं पर कई फिल्में और सीरीज बनी हैं, लेकिन विधु की रिसर्च, इसके फिल्मांकन और असल जगह के कारण यह फिल्म हकीकत के सबसे करीब नजर आती है। फिल्म अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्तियां 'हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा' का बेहतरीन नमूना है।

निष्कर्ष

देखें या न देखें?

क्यों देखें? विक्रांत का उम्दा अभिनय इसे बड़े पर्दे पर देखने लायक बनाता है। कभी न खत्म होने वाले संघर्षों के बीच कभी न हार मानने की जिद इसे एक प्रेरक फिल्म बनाती है। UPSC की तैयारी से जुड़े लोगों को यह फिल्म और भी पसंद आएगी। क्यों न देखें? फिल्म मनोज शर्मा की संघर्षों की कहानी है, जो कई बार भावुक करती है। बॉलीवुड मसाला फिल्मों के प्रशंसक इसे छोड़ सकते हैं। न्यूजबाइट्स स्टार- 4/5