
#DilBecharaReview: अपनी आखिरी फिल्म में खुलकर जिंदगी जीना सिखा गए सुशांत सिंह राजपूत
क्या है खबर?
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन के करीब डेढ़ महीने बाद उनकी आखिरी फिल्म 'दिल बेचारा' का शुक्रवार शाम को डिज्नी+ हॉटस्टार पर प्रीमियर हुआ। लंबे समय से फैंस इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
फिल्म के रिलीज होते ही फैंस के चेहरों पर मुस्कान भी है और आंखों में नमी भी, क्योंकि जिंदादिल शख्स सुशांत अब दोबारा हमें कभी जिंदगी का कोई नया पाठ नहीं पढ़ाएंगे।
आइए जानते हैं कैसी है उनकी आखिरी फिल्म।
कहानी
किज्जी बासु को है जिंदगी से बहुत शिकायतें
इस फिल्म की कहानी थाइरॉयड कैंसर से जूझ रही लड़की किज्जी बासु (संजना संघी) की है, जो अपनी मां (स्वास्तिका मुखर्जी) और पिता (साश्वता चटर्जी) के साथ जमशेदपुर में रहती है।
उसे अपनी जिंदगी से बहुत शिकायतें हैं। वह हमेशा सोचती है कि मरने के बाद क्या उनके अपने खुश रह पाते हैं? क्या उनके चेहरों पर फिर से खुशी लौट पाती है? इसलिए उसने अपने ऑक्सीजन सिलेंडर, जिसे वह पुष्पेंदर कहती है, उसे अपना बेस्ट फ्रेंड बना लिया है।
आगे की कहानी
मैनी ने सिखाया किज्जी को जिंदगी जीना
इसी अकेलेपन के बीच किज्जी की जिंदगी में रजनीकांत के गानों पर नाचते हुए इमैन्युअल राजकुमार जूनियर उर्फ मैनी (सुशांत सिंह राजपूत) की एंट्री होती है।
मैनी का मसखरा बर्ताव किज्जी को बहुत अजीब लगता है, लेकिन देखते ही देखते उसे उसके इसी अंदाज से प्यार होने लगता है।
मैनी की हरकतों ने किज्जी को हंसना सिखा दिया। मौत का इंतजार करने वाली किज्जी अब जीना चाहती है क्योंकि उसे मैनी से प्यार हो गया है।
ट्विस्ट
मैनी का एक सच कर देगा भावुक
किज्जी, अभिमन्यु वीर (सैफ अली खान) की फैन है और मरने से पहले उससे मिलना चाहती है। वहीं मैनी का सपना है किज्जी के सपनों को पूरा करना।
कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब मैनी का दिल पसीजने वाला सच सामने आता है।
फिल्म के आखिरी 30 मिनट भावुक करने वाले हैं। फिल्म के आखिरी पलों में ऐसा लगता है जैसे हम सुशांत की असली जिंदगी को पर्दे पर देख रहे हैं। बस उसे दिखाने का तरीका बदल दिया।
अभिनय
मैनी के किरदार में दिल जीत लेंगे सुशांत
एक कलाकार मर कर भी कभी नहीं मरता। उसका काम हमेशा लोगों के जहन में उसे जिंदा रखता है। ऐसा ही कुछ सुशांत ने भी कर दिखाया। वह एक बेहतरीन कलाकार थे जो उन्होंने एक बार फिर से अपनी इस फिल्म में साबित कर दिया।
फिल्म में सुशांत के किरदार ने न सिर्फ किज्जी बासु को हंसना सिखाया है, बल्कि वह आपके दिल को भी खुश कर जाएंगे। मैनी के किरदार में सुशांत ने किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी।
जानकारी
सुशांत की दमदार एक्टिंग
सुशांत के एक्सप्रेशन्स, डायलॉग डिलिवरी, कॉमिक टाइमिंग, हर चीज बेहद खूबसूरत है। उनके चेहरे पर बेचैनी, उदासी, मस्ती, प्यार और मासूमियत हर तरह के भाव साफ छलके हैं। मैनी के किरदार के लिए सुशांत से बेहतर कोई हो ही नहीं सकता था।
अभिनय
बाकी कलाकारों का काम भी शानदार
वहीं फिल्म के बाकी किरदारों की बात करें तो इस फिल्म से संजना संघी ने बतौर लीड एक्ट्रेस अपना अभिनय सफर शुरु किया है। पहली फिल्म के मुताबिक उन्होंने अपने किरदार के साथ इंसाफ किया।
स्वास्तिका मुखर्जी और साश्वत चटर्जी एक जिम्मेदार और कूल माता-पिता के किरदार में जचे हैं।
JP की भूमिका में साहिल वैद को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। जबकि अभिमन्यु के किरदार में सैफ अली खान कुछ ही देर के लिए नजर आए।
निर्देशन
अंत तक फिल्म के साथ बांधे रखने में कामयाब हुए मुकेश छाबड़ा
मुकेश छाबड़ा ने इस फिल्म से निर्देशन करियर की शुरुआत की है। उन्होंने फिल्म में हर किरदार का चुनाव बारीकी से किया है।
लेखक जॉन ग्रीन के लोकप्रिय नॉवेल 'द फॉल्ट इन ऑवर स्टार्स' पर आधारित इस फिल्म में मुकेश ने सुशांत के अभिनय की ताकत का भरपूर इस्तेमाल किया है।
उन्होंने एक से एक शानदार संवादों को इस्तेमाल कर फिल्म को और दिलचस्प बनाया है। मुकेश अंत तक दर्शकों को फिल्म के साथ जोड़े रखने में कामयाब होते हैं।
गाने और सिनेमैटोग्राफी
पहले ही दिल जीत चुके हैं गाने
फिल्म के गाने 'दिल बेचारा', 'तुम ना हुए मेरे', 'मैं तुम्हारा' और 'खुलके जीने का' पहले ही हिट हो चुके हैं। इसमें बैकग्राउंड स्कोर एआर रहमान ने दिया है। गाने फिल्म की कहानी पर बिल्कुल सटीक बैठते हैं। आपको कहीं भी ऐसा नहीं लगेगा कि इन्हें जबरदस्ती इसमें डाला गया है।
वहीं सिनेमैटोग्राफी की बात करें तो जमशेरपुर से पेरिस तक खूबसूरत लोकेशन्स को कैमरे में कैद किया गया है। इसमें इस्तेमाल किए गए रंग आपको एक सुकून महसूस करवाएंगे।
समीक्षा
जरूर देखें सुशांत की आखिरी फिल्म
इस फिल्म को देखने के लिए केवल एक ही वजह काफी है और वह है 'सुशांत सिंह राजपूत।'
जो फैंस उन्हें याद कर रो रहे हैं यह फिल्म उनके चेहरों पर भी मुस्कान ले आएगी।
सुशांत की अदाकारी पर आज तालियां बज रही हैं और आंखों में आंसू हैं, बस इन तारीफों को बटोरने वाला वह कलाकार ही हमारे बीच मौजूद नहीं है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो यह फिल्म सुशांत को एक श्रद्धांजलि है, इसे एक बार जरूर देखें।