ऑस्कर की दौड़ में शामिल हुई रणदीप हुड्डा की फिल्म 'स्वातंत्र्य वीर सावरकर'
क्या है खबर?
इस साल कई फिल्में रिलीज हुईं, जिनमें से कुछ दर्शकों को बेहद पसंद आई तो कुछ को दर्शकों ने नकार दिया।
छोटे बजट की जिन फिल्मों ने दर्शकों के साथ-साथ समीक्षकों का भी दिल जीत लिया, उनमें से एक 'लापता लेडीज' है, जिसे भारत की तरफ से ऑस्कर 2025 के लिए आधिकारिक एंट्री के तौर पर चुना गया है।
अब खबर है कि अभिनेता रणदीप हुड्डा की फिल्म 'स्वातंत्र्य वीर सावरकर' को भी ऑस्कर 2025 के लिए भेजा गया है।
पोस्ट
फिल्म के निर्माता ने यूं जताया आभार
फिल्म के निर्माता संदीप सिंह ने इंस्टाग्राम पर यह खबर साझा की है और इसे लेकर उन्होंने आभार व्यक्त किया है।
उन्होंने पोस्ट कर लिखा, 'सम्मानित और विनम्र, हमारी फिल्म 'स्वातंत्र्य वीर सावरकर' को आधिकारिक तौर पर ऑस्कर के लिए भेजा गया है। इसके लिए फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया का धन्यवाद। यह सफर शानदार रहा है और हम उन सभी के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने इस दौरान हमारा साथ दिया है।'
फिल्म
इस फिल्म से निर्देशक बने रणदीप
इस फिल्म से रणदीप ने बतौर निर्देशक अपने करियर की शुरुआत की थी। सावरकर की भूमिका निभाकर रणदीप ने दर्शकों से जमकर वाहवाही भी लूटी थी।
उधर अभिनेत्री अंकिता लोखंडे ने फिल्म में सावरकर की पत्नी यमुना बाई का किरदार निभाया था। उन्हें भी इसके लिए खूब बधाइयां मिल रही हैं।
यह फिल्म 22 मार्च को हिंदी और मराठी 2 भाषाओं में रिलीज हुई थी।
फिल्म को समीक्षकों ने खूब सराहा था। यह फिल्म ZEE5 पर देखी जा सकती है।
खुशी
खुशी से गदगद हो उठे प्रशंसक
निर्माता का पोस्ट देख एक यूजर ने लिखा, 'वाह! बधाई हो। यह फिल्म सचमुच ऑस्कर की हकदार है।'
एक ने लिखा, 'ये हुई ना बात।' एक लिखते हैं, ' आखिरकार फिल्म सही जगह पर पहुंच गई है। इसको ऑस्कर मिलना भी चाहिए।'
'स्वातंत्र्य वीर सावरकर' की कहानी वीर सावरकर के जीवन पर आधारित है, जो उनके बचपन से लेकर उनके जीवन के अंतिम चरण तक की यात्रा तय करती है। अमित सियाल भी इस फिल्म में अहम भूमिका में हैं।
परिचय
सावरकर थे कौन?
सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को नासिक के भागपुर गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर है। वह एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, समाज सुधारक और हिंदुत्व के दर्शन के सूत्रधार थे।
वह अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते थे, इसलिए उन्हें 'वीर' उपनाम मिला।
सावरकर ने 'मित्र मेला' के नाम से एक संगठन की स्थापना की, जिसने लोगों को भारत की 'पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता' के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।