#NewsBytesExplainer: फिल्मों में इस्तेमाल होती है नकली बंदूक, जानिए कैसे फिल्माए जाते हैं गोलीबारी वाले सीन
बॉलीवुड में पिछले कुछ समय से एक्शन फिल्मों का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जिसके लिए निर्माता भी खूब जतन करते हैं। कभी वे फिल्मों में महंगी गाड़ियों के साथ जबरदस्त एक्शन कराते हैं तो कभी सितारों के हाथ में बंदूक थमा देते हैं। हालांकि, ये बंदूक असली नहीं होती है, लेकिन फिर भी सीन ध्यान से फिल्माए जाते हैं। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं और ये भी पता लगते हैं इसकी शूटिंग कैसे होती है।
गानों की तरह ही होती है एक्शन सीन की कोरियोग्राफी
फिल्मों में गोली लगने वाले सीन को भी बाकी एक्शन सीन की तरह फिल्माया जाता है। एक तरह से इसके लिए गाने की तरह कोरियोग्राफी की जाती है और बताया जाता है कि सितारों को कब और क्या करना है। इस दौरान स्टंट निर्देशक की जिम्मेदारी होती है कि वो निर्देशक के उस सीन को फिल्माने के दृष्टिकोण को पर्दे पर हूबहू उतार सके। फाइनल शॉट से पहले रिहर्सल होती है और सबसे बेहतरीन शॉट को उसमें रखा जाता है।
प्रोस्थेटिक मेकअप करता है सिर में गोली मारने वाले सीन में मदद
फिल्म में गोली मारने के सीन को फिल्माने के अलग-अलग तरीके होते हैं। जैसे सिर में गोली लगने का अलग और शरीर में लगने का अलग। सिर पर गोली लगते हुए दिखाने के लिए VFX का इस्तेमाल होता है तो प्रोस्थेटिक मेकअप का तरीका सबसे ज्यादा अपनाया जाता है। प्रोस्थेटिक मेकअप VFX से ज्यादा असली लगता है और कम खर्चीला भी होता है। ऐसे में निर्माता ज्यादातर सीन को प्रोस्थेटिक मेकअप की मदद से ही शूट करना पसंद करते हैं।
ऐसे फिल्माया जाता है शरीर पर गोली लगने वाला सीन
अगर दिखाना है कि गोली सीने पर लगी है तो सितारे के सीने पर फोम का बोर्ड लगाया जाता है। इसमें गुब्बारे जैसे स्क्विब में नकली खून भरा होता है, जिसे टेप से सितारे के कपड़ों में गोली लगने की जगह छुपाया जाता है। इसे एक रिमोट से जोड़ते हुए कपड़े में एक छोटा का छेद किया जाता है। जब गोली लगते हुए दिखानी होती है तो बटन दबाया जाता है और उसमें ब्लास्ट होकर खून बाहर निकल आता है।
सितारों को लगता है झटका
स्क्विब में ब्लास्ट होना खतरनाक नहीं होता, लेकिन सितारों को थोड़ा झटका लगता है। इससे उन्हें पता चलता है कि सीन में गोली चल गई और उन्हें प्रतिक्रिया देनी है। सीन में जिनती गोली लगने वाली होती है, उतनी ही ब्लड स्क्विब लगाई जाती हैं।
बंदूक से गोली नहीं, निकलती है चिंगारी
फिल्मों में दिखाई देता है कि बंदूक से गोली निकलती है, लेकिन असल में शूटिंग में इस्तेमाल होने वाली बंदूक नकली रहती हैं और उनमें से बस एक चिंगारी बाहर आती है। इस चिंगारी के साथ थोड़ा धुआं भी निकलता है, जिसकी पहुंच बस 1 मीटर ही होती है और ये तुरंत खत्म हो जाता है। सीन में असली गोली दिखने का काम स्पेशल इफेक्ट की टीम (SFX) करती है और इसके लिए ब्लड स्क्विब का सहारा लेती है।
किराए पर दी जाती हैं शूटिंग के लिए बंदूक
सलमान खान की 'टाइगर' फ्रैंचाइजी और अभिषेक बच्चन की 'धूम' सहित कई शानदार फिल्मों में काम काम कर चुके स्पेशल इफेक्ट विशेषज्ञ विशाल त्यागी का कहना है कि फिल्मों में इस्तेमाल होने वाली बंदूक को वे सिर्फ किराए पर देते हैं। उन्होंने बताया कि ये सभी बंदूक नकली होती हैं, जिससे किसी को कोई नुकसान नहीं होता। वे तुर्की और बल्गेरिया जैसे देशों से बंदूक आयात भी करते हैं, लेकिन यह बिजनेस सिर्फ फिल्मों के लिए ही चलाया जाता है।
पहले असली बंदूक का होता था इस्तेमाल
अब फिल्मों में असली दिखने वाली नकली बंदूकों के साथ आसानी से शूटिंग हो जाती है तो पहले के जमाने में ऐसा नहीं होता था। ऐसे में निर्देशक असली बंदूक का इस्तेमाल करते थे, जो खतरनाक होता था पर धीरे-धीरे लोगों को विकल्प मिलने लगे और ये बदलाव आया। ईटाइम्स को कबीर खान ने बताया था कि फिल्म 'काबुल एक्सप्रेस' (2006) में उन्होंने असली बंदूकों का इस्तेमाल किया था, जिसमें अफगानी एक्शन निर्देशक अब्दुल बशीर मुजाहिद ने मदद की थी।
इन निर्देशकों ने किया नकली बंदूकों का इस्तेमाल
ईटाइम्स से आदित्य धर ने बताया था कि उन्हें भारत में विक्की कौशल अभिनीत फिल्म 'उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक' के लिए बंदूक नहीं मिली थी। ऐसे में उनके पास नकली AK47 का इस्तेमाल करने या फिर कुछ नया ढूंढने का विकल्प था, लेकिन फिर उन्होंने सर्बिया से हेलिकॉप्टर, मिराज और बंदूक ली थीं। वेब सीरीज 'नाइट मैनेजर' के निर्देशक संदीर मोदी ने बताया कि उन्हें राइफल के अलावा कुछ नहीं मिला तो उन्होंने अपनी SFX टीम से बंदूक बनवाई थी।