'माया दर्पण' के निर्देशक कुमार साहनी का निधन, 83 की उम्र में कहा दुनिया को अलविदा
मनोरंजन जगत से एक दुखद खबर सामने आ रही है। दिग्गज फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक कुमार साहनी का निधन हो गया है। निर्देशक का कोलकाता में शनिवार रात को उम्र संबंधी समस्याओं के कारण निधन हुआ है। वह 83 वर्ष के थे। 'माया दर्पण', 'ख्याल गाथा' और 'तरंग' जैसी कई शानदार फिल्मों के लिए जाने जाने वाले साहनी के निधन की खबर के सामने आने के बाद से इंडस्ट्री में भी गम का माहौल है।
काफी समय से बीमार थे निर्देशक
समाचार एजेंसी PTI से बात करते हुए साहनी की करीबी दोस्त और अभिनेत्री मीता वशिष्ठ ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए बताया कि निर्देशक कोलकाता के एक अस्पताल में उम्र से संबंधित बीमारियों के चलते भर्ती थे। इसके बाद शनिवार यानी 24 फरवरी की रात को 11 बजे के आसपास उनका निधन हो गया। अभिनेत्री का कहना है कि साहनी पिछले काफी समय से बीमार थे और उनकी सेहत में सुधार नहीं हो रहा था।
निर्देशक को दी जा रही श्रद्धांजलि
लघु फिल्मों से की थी करियर की शुरुआत
साहनी का जन्म 7 दिसंबर, 1940 को देश के बंटवारे से पहले सिंध के लरकाना जिले, पाकिस्तान में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार बॉम्बे (अब मुंबई) आ गया, जहां से उन्होंने स्कूली शिक्षा के बाद बॉम्बे विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। अपने करियर की शुरुआत साहनी ने फ्रांस में लघु फिल्में बनाकर की थी। इसके बाद 1972 में उन्होंने 'माया दर्पण' के साथ हिंदी फिल्मों का रुख किया, जिसे सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।
FTII के छात्र थे साहनी
साहनी ने 1958 और 1962 के बीच राजनीति विज्ञान और इतिहास का अध्ययन किया था। इसके बाद उन्होंने फिल्म स्कूल में दाखिला लिया और स्कॉलरशिप पर IDHEC, पेरिस में पढ़ाई करने चले गए। जब साहनी भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII), पुणे में पढ़ाई कर रहे तो वह मशूहर निर्देशक ऋत्विक घटक के पसंदीदा छात्रों में से एक थे। उन्होंने फ्रांस में रहते हुए रॉबर्ट ब्रेसन की फिल्म 'यूने फेम डूस' में सहायक के रूप में भी काम किया था।
निर्देशक की कुछ शानदार फिल्में
साहनी अपनी कहानी कहने की कला के लिए जाने जाते थे। उन्होंने संगीत और नृत्य पर आधारित 2 फिल्में 'ख्याल गाथा' (1989) और 'भवन्तराना' (1991) बनाई थीं, जिसमें रोजमर्रा की जिंदगी को दिखाया गया था। 1997 में साहनी ने रवीन्द्रनाथ टैगोर के 1934 के उपन्यास 'चार अध्याय' पर फिल्म बनाई, जिसमें एक ओडिसी नृत्यांगना नंदिनी घोषाल ने मुख्य भूमिका निभाई थी। मालूम हो कि निर्देशक को फिल्म 'तरंग' और 'भवन्तराना' के लिए भी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।