#NewsBytesExplainer: कौन हैं अशोक चव्हाण और उनके इस्तीफे का कांग्रेस पर क्या असर पड़ सकता है?
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को महाराष्ट्र में एक और बड़ा झटका लगा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को पत्र लिखकर पूर्व मुख्यमंत्री 65 वर्षीय अशोक चव्हाण ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया है। चव्हाण के भाजपा में जाने की अटकलें हैं। इससे पहले मिलिंद देवड़ा और बाबा सिद्दीकी ने कांग्रेस का साथ छोड़ा था। आइए जानते हैं अशोक चव्हाण कौन हैं और कांग्रेस को क्या नुकसान हो सकता है।
राजनीतिक परिवार से आते हैं अशोक चव्हाण
अशोक चव्हाण का जन्म 28 अक्टूबर, 1958 को मुंबई में हुआ था। चव्हाण को राजनीति उनके पिता शंकरराव चव्हाण से विरासत में मिली है। वह भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे थे। उन्होंने 1985 में संजय गांधी निराधार योजना के नांदेड़ शहर अध्यक्ष के रूप में राजनीतिक करियर शुरू किया था। वह महाराष्ट्र के 2 बार सांसद और 4 बार विधायक रहे हैं। चव्हाण की पत्नी अमिता चव्हाण भी वर्तमान में भोकर निर्वाचन क्षेत्र से महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्य हैं।
चव्हाण का राजनीतिक सफर कैसा रहा है?
शरद पवार और फिर विलासराव देशमुख की सरकार में चव्हाण में कई अहम मंत्रालय संभाले। 26/11 मुंबई आतंकी हमले के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव के इस्तीफे के बाद 2008 में चव्हाण मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2009 विधानसभा चुनाव जीतकर वे दोबारा मुख्यमंत्री बने। हालांकि, 9 नवंबर, 2010 को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। चव्हाण 2019 में उद्धव ठाकरे की सरकार में भी मंत्री थे। इसके अलावा वे 2015-2019 तक महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
चव्हाण महाराष्ट्र कांग्रेस में जाने-माने नाम
चव्हाण महाराष्ट्र में कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक माना जाते थे। वह राहुल गांधी के करीबी भी थे। चव्हाण ने महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव सहित पार्टी के भीतर विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं और उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस 2009 का विधानसभा चुनाव जीती थी। यही नहीं, जब महा विकास अघाडी की सरकार बनी थी, तब शिवसेना (उद्धव गुट) के साथ बात करने वालों में चव्हाण भी शामिल थे।
चव्हाण ने अब कांग्रेस से इस्तीफा क्यों दिया?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चव्हाण कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष नाना पटोले से नाराज चल रहे थे। कांग्रेस चाहती थी कि वह लोकसभा चुनाव लड़ें, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। इसके अलावा वह नाना पटोले के विधानसभा अध्यक्ष पद छोड़ने से भी नाराज थे। उनका मानना था कि पटोले के कारण ही महाराष्ट्र में सरकार गिरी। वह खुद महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बनना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने इससे मना कर दिया, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ गई।
चव्हाण के कांग्रेस छोड़ने से महाराष्ट्र में पार्टी पर क्या होगा असर?
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, चव्हाण कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता छोड़ने के बाद भाजपा से राज्यसभा जा सकते हैं। उनके साथ ही 10-12 विधायक अपना पाला बदल सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र में कांग्रेस लोकसभा चुनावों से पहले ही हाशिये पर जा सकती है। 3 बड़े नेताओं के जाने से 2019 विधानसभा चुनाव में 45 सीटें वाली कांग्रेस के लिए अपनी सीटों को कायम रख पाना भी कठिन साबित हो सकता है।
भाजपा की नजर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर क्यों है?
हाल के कई ओपिनियन पोल में महाराष्ट्र में INDIA गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और शरद गुट शामिल है, उसके आगामी लोकसभा चुनाव में आगे रहने का अनुमान लगाया। इनमें INDIA गुट को 26-28 सीटें और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को 19-21 सीटें मिलने का अनुमान है। यही कारण है कि भाजपा की नजर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर हैं। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी दावा किया कि कई नेता भाजपा के संपर्क में हैं।