#NewsBytesExplainer: जानिए कब शुरू हुआ डबिंग का दौर और कैसे विश्व स्तर तक पहुंची भारतीय फिल्में
आज के दौर में फिल्म इंडस्ट्री तेजी से प्रगति कर रही और भारतीय सिनेमा की पहुंच भी विश्व स्तर तक हो रही है। पहले जहां लोग अपनी ही भाषा की फिल्में देख पाते थे तो अब किसी भी भाषा में बनी फिल्म को डबिंग की मदद से आसानी से देखा जा रहा है। इससे न सिर्फ सिनेमा का विस्तार हो रहा है बल्कि डबिंग आर्टिस्ट की मांग भी बढ़ रही है। आइए जानते हैं डबिंग की दुनिया के बारे में।
कैसे होती है डबिंग
डबिंग का मतलब होता है किसी विजुअल को उसी रूप से आवाज देना, जैसा वह दिखाई दे रहा है। वीडियो में किरदार क्या और किस भावना से कह रहा है इन सभी बातों का ध्यान रखा जाता है। इसके लिए सबसे जरूरी होता एक अच्छा डबिंग आर्टिस्ट, जो न सिर्फ किरदार की भावना को समझे बल्कि उसकी आवाज में दम हो। कई सितारे खुद अलग-अलग भाषा में आवाज देना पसंद करते हैं तो कुछ डबिंग आर्टिस्ट की मदद लेते हैं।
डबिंग के लिए ये सबसे जरूरी
किसी भी फिल्म की डबिंग करने से पहले पटकथा लेखक, डबिंग निर्देशक और रिकॉर्डिंग इंजीनियर को सबसे पहले फिल्म देखनी होती है। इसके बाद चर्चा शुरू होती है और फिर फिल्म की डबिंग के लिए स्क्रिप्ट लिखी जाती है। स्क्रिप्ट लिखते समय सबसे जरूरी बात, जिसे ध्यान में रखना होता है वो यह है कि इसमें कुछ भी सीधे ट्रांसलेट नहीं किया जाता। इसमें बोल-चाल वाले शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि दर्शक भी फिल्म से जुड़ाव महसूस करे।
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90 के दशक में हुआ डबिंग का विस्तार
भारतीय सिनेमा में डबिंग का विस्तार 90 के दशक में हुआ, जब फिल्म निर्माताओं को टेलीविजन के प्रचलन के साथ नए बाजार में कदम रखने की इच्छा हुई। डिस्कवरी वर्ल्ड की बदौलत भारतीय दर्शकों ने पहली बार डब किए गए कंटेंट को देखा था। 90 के दशक की शुरुआत में डिज्नी द्वारा डबिंग मुख्य रूप से बच्चों की एनीमेशन कार्टून तक ही सीमित थी। इसके बाद हॉलीवुड फिल्मों को हिंदी में डब करने का चलन भी तेजी से बढ़ा।
'जुरासिक पार्क' थी सफलता पाने वाली पहली डब फिल्म
1994 में आई 'जुरासिक पार्क' डब करने के बाद व्यावसायिक सफलता पाने वाली सबसे पहली फिल्म बनी थी। इसके बाद से हॉलीवुड की फिल्में न सिर्फ हिंदी बल्कि तमिल, तेलुगू सहित कई अन्य भाषाओं में रिलीज होने लगीं। 2012 से हिंदी डब हॉलीवुड फिल्में घरेलू बॉक्स ऑफिस पर अपनी छाप छोड़ रही हैं और भारतीय वितरकों के लिए मुनाफा कमा रही हैं। इसी तरह भारतीय फिल्मों को भी अलग-अलग भाषा में डब करके विदेश में रिलीज किया जा रहा है।
ऐसे समझें
आपने हॉलीवुड फिल्म को हिंदी में देखा होगा तो ध्यान दिया होगा कि कई बार उसमें बॉलीवुड फिल्मों के डायलॉग भी सुनने को मिलते हैं। इसी को लेकर डबिंग आर्टिस्ट मयूर पूरी ने 'द जंगल बुक' का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अंग्रेजी के डायलॉग 'रेड फ्लावर' को 'लाल फूल' न कहकर हिंदी में 'रक्त फूल' कहा था। उन्होंने बताया कि अक्सर अंग्रेजी के डायलॉग को भावना के आधार पर ही दूसरी भाषा में डब किया जाता है।
डबिंग के बाद दुनिया भर में छाईं भारतीय फिल्में
पिछले काफी समय से भारतीय सिनेमा की फिल्म पैन इंडिया लेवल पर रिलीज हो रही हैं और उसके बाद ये दुनिया भर में अलग-अलग भाषाओं में डब होकर धूम मचा रही हैं। ताजा उदाहरण शाहरुख खान की 'पठान' का है, जो भारतीय बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने के बाद विदेशी बाजार में भी शानदार प्रदर्शन कर रही है। अब इसका डब वर्जन 13 जुलाई को रूस में भी रिलीज होने के लिए तैयार है, जिसको लेकर प्रशंसक उत्सुक हैं।
इन फिल्मों ने भी किया कमाल
एसएस राजामौली की 'बाहुबली' और 'RRR' हो या फिर यश की KGF, ये सभी फिल्में दुनिया भर में अपना डंका बजाने में सफल रही हैं। इसके अलावा धनुष की 'थंडीराम' भी भारतीय भाषाओं के अलावा फ्रेंच, स्पेनिश, पुर्तगाली, कोरियन में भी डब की गई थी।
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