#NewsBytesExplainer: क्या है फिल्मों के जॉनर और सब-जॉनर में अंतर? जानिए इनके प्रकार
सिनेमाघर हो या फिर OTT प्लेटफॉर्म, यहां हर हफ्ते दर्शकों के मनोरंजन के लिए नई फिल्म हाजिर हो जाती हैं। इनमें किसी में जबरदस्त एक्शन देखने को मिलता है तो कोई सस्पेंस और थ्रिलर से भरपूर होती है। इसी तरह अलग-अलग तरह की फिल्में दर्शकों के बीच आती हैं, जिन्हें उनकी कहानी के हिसाब से शैलियों (जॉनर) में बांटा जाता है। आइए आज फिल्मों की शैलियों के प्रकार जानते हैं और साथ ही उप-शैली (सब-जॉनर) का अंतर समझते हैं।
सबसे पहले शैलियों के बारे में जानिए
किसी भी फिल्म की शैली (जॉनर) उसे एक निर्धारित वर्ग का हिस्सा बना देती है। इससे किरदार, कहानी और उसकी टोन को समझने में मदद मिलती है। साथ ही दर्शकों के लिए यह जानना आसान हो जाता है कि उन्हें फिल्म में क्या देखने को मिलेगा और यह उन्हें पसंद आएगी या नहीं। जैसे अगर किसी को एक्शन नहीं पसंद है और किसी फिल्म का जॉनर ही एक्शन है तो वह उसे देखने से पहले अपना निर्णय ले सकता है।
उप-शैली में होता है अंतर
फिल्मों की उप-शैली (सब-जॉनर) भी शैली का हिस्सा है, लेकिन इसमें थोड़ा अंतर है। शैली में बस कॉमेडी, एक्शन और रोमांस होता है, तो उप-शैली में 2 जॉनर होते हैं। जैसे एक्शन थ्रिलर और क्राइम थ्रिलर या रोमांस कॉमेडी और एक्शन कॉमेडी। इन दोनों उप-शैलियों में थ्रिलर और कॉमेडी शामिल है, लेकिन इन्हें फिल्माने का तरीका और संवाद एकदम अलग होंगे। आसान भाषा में समझें तो इसमें एक साथ 2 जॉनर का मिश्रण देखने को मिलता है।
एक्शन फिल्में करती हैं रोमांच पैदा
एक्शन शैली की फिल्में तेज गति वाली होती हैं, जिनमें जबरदस्त लड़ाई दिखती है तो धीमी गति से फिल्माए जाने वाले शॉट्स भी शामिल होते हैं। एक्शन फिल्में देखने में रोमांच पैदा करती हैं और दर्शकों को भरपूर मनोरंजन का वादा करती हैं। इस श्रेणी में जासूसी फिल्मों के साथ आपदा, पुलिस या जवानों पर बनाई गई फिल्में आती हैं। इसकी कुछ उप-शैलियां भी हैं, जिसमें वॉर और मिलिट्री एक्शन, स्पाई एक्शन और मार्शल आर्ट एक्शन शामिल हैं।
कॉमेडी के साथ हंसने के लिए हो जाइए तैयार
कॉमेडी एक ऐसी शैली है, जिसे सिनेमा की शुरुआत से ही हर उम्र के लोग देखना पसंद करते हैं। ऐसी फिल्में लोगों को हंसाने का वादा करती हैं, जो सबसे मुश्किल कामों में से एक है। इसके साथ ही ये मनोरंजन का भी भरपूर डोज देती हैं। कॉमेडी फिल्मों की भी अलग-अलग उप-शैलियों हैं, जिसमें ब्लैक कॉमेडी, डार्क कॉमेडी, व्यंगात्मक कॉमेडी, स्लैपस्टिक कॉमेडी, स्क्रूबॉल कॉमेडी और पैरोडी कॉमेडी शामिल हैं। इन्हें फिल्माने का तरीका भी अलग होता है।
ये हैं कॉमेडी की उप-शैलियां
स्लैपस्टिक कॉमेडी में एक्शन देखने को मिलता है, जैसे किसी का गिर जाना या मार देना वो भी ऐसे कि उसे देखकर हंसी आ जाए। स्क्रूबॉल कॉमेडी का नाम बेसबॉल पिच स्क्रूबॉल के नाम पर रखा गया, जो 1934 से 1941 तक ही चली। इसमें गरीबों को महान और अमीरों को सनकी और फिजूलखर्ची दिखाई जाती है। व्यंगात्मक कॉमेडी में हंसी-मजाक के साथ किसी मुद्दे पर बात की जाती है। जैसे सान्या मल्होत्रा की नेटफ्लिक्स पर आई फिल्म 'कटहल' थी।
हॉरर के साथ मिस्ट्री और थ्रिलर से होगा मनोरंजन
हॉरर फिल्मों देखने वाले दर्शकों का एक अलग वर्ग होता है, जो इन्हें देखना काफी पसंद करते हैं। इनकी कहानी ऐसी होती है, जो लोगों को डर के साथ ही एक अलग दुनिया में ले जाती है। इन फिल्मों को अलग-अलग उप-शैलियों में भी बांटा गया है, जिसमें कई तरह की फिल्में शामिल हैं। इसके अलावा मिस्ट्री और थ्रिलर शैली भी हैं, जिसमें अंत तक रहस्य को बरकरार रखा जाता है। कैटरीना कैफ की 'मेरी क्रिसमस' इसका उदाहरण है।
रोमांस के साथ ड्रामे का तड़का
रोमांस शैली के नाम से ही समझ आता है कि इसमें प्रेम कहानियां दिखाई जाती हैं। ये कहानी दो नायकों के इर्द-गिर्द ही घूमती है। अब रोमांस के साथ थोड़ा ड्रामा तो होना बनता ही है। ऐसे में इसके नाम की ही तरह इन फिल्म में खूब ड्रामा देखने को मिलता है, जिसे दर्शक पसंद करते हैं। इसमें ऐतिहासिक फिल्मों वाले प्यार से लेकर रोमांटिक कॉमेडी, रोमांटिक एक्शन और म्यूजिकल रोमांस सहित कई शैलियां शामिल हो जाती हैं।
ये भी हैं इसका हिस्सा
इन सबके अलावा भी फिल्मों की कई शैलियां हैं, जो लोगों का मनोरंजन करती हैं। इसमें साइंस फिक्शन से लेकर फैंटसी, ऐतिहासिक, वॉर, क्राइम, स्पाई, एडवेंचर, स्पोर्ट्स सहित कई शैलियां मौजूद हैं। इन अलग-अलग शैलियों में हर साल सैंकड़ों फिल्मों रिलीज हो जाती हैं।
शैली ही नहीं, ग्रेड में भी बांटी जाती हैं फिल्में
फिल्मों को शैलियों के अलावा ग्रेड में भी बांटा जाता हैं। इन्हें कहानी, प्रोडक्शन और सितारे की पहुंच के हिसाब से A, B या C ग्रेड मिलते हैं। A ग्रेड की फिल्म बड़े पैमाने पर बड़े सितारों के साथ बनती हैं तो B ग्रेड की फिल्में कम बजट में छोटे सितारों के साथ बनती हैं। C ग्रेड उन फिल्मों को दी जाती है, जिनका बजट सबसे कम होता है और उनमें आपत्तिजनक दृश्य भी होते हैं।