#NewsBytesExplainer: फिल्मों में दिखने वाले आइने में क्यों नजर नहीं आता कैमरा?
आज के दौर में 'मिरर सेल्फी' लेने का खूब चलन है। मिरर सेल्फी यानी आइने के सामने खड़े होकर अपनी तस्वीर लेना। हाथ में फोन पकड़े ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब सामने आती हैं। जब ऐसी तस्वीरों में हमारे फोन का कैमरा साफ-साफ दिखता है तो फिल्मों और टीवी पर दिखाए जाने वाले आइनों में कैमरा नजर क्यों नहीं आता? आज समझते हैं फिल्मों में 'मिरर शॉट' कैसे फिल्माए जाते हैं।
वास्तव में नहीं रखा जाता था आइना
पुराने दौर मे आइने के दृश्य फिल्माने के लिए आइने की जगह खिड़की का इस्तेमाल होता था। इन दृश्यों में 2 कलाकार आमने-सामने बैठकर एक-दूसरे की नकल उतारते थे। इनमें से एक मुख्य अभिनेता और दूसरा उसका बॉडी डबल होता था और कैमरे को बॉडी डबल के पीछे रखा जाता था। दोनों तरफ एक जैसा सेट तैयार किया जाता था और दर्शकों को कभी पता नहीं चलता था कि वहां असल में कोई आइना नहीं है।
ऐसे दृश्यों में गलतियों की थी संभावना
यह बेहद जटिल तरीका था। आइने की छवि बनाने के लिए दोनों तरफ बिल्कुल एक जैसा सेट बनाना और एक जैसे सामान रखने में गलतियां होने की संभावना ज्यादा थीं। अगर आइने में 1-2 कलाकार ही दिख रहे हैं तो यह फिर भी मुमकिन है। कई कलाकारों को शीशे में एक साथ दिखाना मुश्किल काम था। कलाकार भी अभिनय से ज्यादा बॉडी डबल की नकल उतारने में उलझ जाते थे।
VFX ने आसान किया काम
VFX तकनीक के विकास ने आइने के दृश्यों को फिल्माना आसान कर दिया। अब आइने वाले दृश्य साधारण तरीके से फिल्माए जा सकते हैं और एडिटिंग के समय आइने में दिख रहे कैमरे को मिटाया जा सकता है। इसके लिए कैमरे के पीछे हरा पर्दा (ग्रीन स्कीन) लगाया जाता है, जिससे उसे मिटाने में आसानी हो सके। टीवी सीरियल में आइने के अधिकांश दृश्य इसी तरह से फिल्माए जाते हैं।
VFX क्या होता है?
VFX के लिए जब कलाकार अभिनय कर रहा होता है तो उसके पीछे हरे रंग का एक पर्दा लगा दिया जाता है। उसके बाद VFX सॉफ्टवेयर की मदद से हरा रंग सेलेक्ट करके उसकी जगह कोई भी बैकग्राउंड लगाया जा सकता है।
जटिल दृश्यों के लिए इस्तेमाल होता है हरा पर्दा
कई बार निर्देशक साधारण दृश्य की बजाय अपनी रचनात्मकता का इस्तेमाल करते हैं। कई बार इन दृश्यों में कैमरा गतिशील होता है तो कई बार आइने के पीछे तेज गतिविधियां दिखाई जानी होती हैं। ऐसे में ऊपर दिया तरीका काफी नहीं होता है। इन दृश्यों में कलाकार आइने की जगह हरे पर्दे के सामने अभिनय करता है। बाद में आइने में दिखने वाले दृश्य को अलग से फिल्माकर हरे पर्दे की जगह लगा दिया जाता है।
2 दृश्यों को सफाई से जोड़ देते हैं एडिटर
आइने के दृश्यों में अगर कैमरा गतिशील है तो पहले सिर्फ आइने का शॉट लिया जाता है। इसके बाद कैमरे की उसी गति और ऐंगल से वो दृश्य फिल्माया जाता है, जो आइने में दिखना है। अंत में इन दोनों दृश्यों को बेहद बारीकी से जोड़ दिया जाता है। हालांकि, इस काम में एडिटर के हाथ की सफाई काफी मायने रखती है। वीडियो एडिटर जितना अनुभवी होगा, दृश्य उतने ही दिलचस्प बनते हैं।
मिसाल है 'इंसेप्शन' का मिरर शॉट
हॉलीवुड फिल्म इंसेप्शन में आइने का एक दृश्य काफी लोकप्रिय है, जिसमें अभिनेता लियोनार्डो डिकैप्रियो एक बड़े से आइने के सामने खड़े होते हैं। आखिर में यह आइना टूट जाता है और उसमें दिख रही छवि हकीकत बन जाती है। यह दृश्य तकनीकी रूप से काफी उच्च स्तर का माना जाता है, जिसे VFX कंपनी DNEG ने बेहद सफाई और अनुभव के साथ पर्दे पर साकार किया था। विजुअल एफेक्ट और सिनेमाटोग्राफी के लिए इस फिल्म को ऑस्कर मिला था।