राम मंदिर पर बोले जावेद अख्तर- जश्न में कोई बुराई नहीं, यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला
क्या है खबर?
जावेद अख्तर अपनी बेहतरीन गीतों और शायरियों के साथ ही अपने विचारों के लिए भी जाने जाते हैं। फिल्मी कार्यक्रमों के मंचों पर अक्सर उनके राजनैतिक विचार सुनने को मिलते हैं।
उनके इन बयानों का खूब समर्थन भी होता है और इन पर विवाद भी होते हैं।
अब उन्होंने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर अपनी बात कही है। उन्होंने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
राम मंदिर
यह दुनिया का सबसे बड़ा उत्सव- जावेद
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, जावेद ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब यह फैसला सुप्रीम कोर्ट का है, तो फिर इस पर हंगामा करने का कोई मतलब नहीं है।
बकौल जावेद, यह दुनिया का सबसे बड़ा उत्सव है। इसका जश्न मनाने में कोई बुराई नहीं है।
जावेद अजंता-एलोरा फिल्म फेस्टिवल में पहुंचे हुए थे। उन्होंने अन्य मुद्दों पर भी बात की।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को है, जिसे लेकर अयोध्या में बड़ी तैयारी चल रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी मुख्य यजमान होंगे। उद्घाटन में 25,000 लोग शामिल होंगे। ट्रस्ट ने तमाम राजनीतिक दलों के लोगों को न्योता भेजा है।
उर्दू
उर्दू को बताया धर्मनिरपेक्ष भाषा
उर्दू के बारे में जावेद ने कहा, "यह कभी भी मौलवियों की भाषा नहीं थी। जब कुरान का अनुवाद किया गया तो मौलवियों ने फतवा जारी कर दिया था। उन्होंने उर्दू को घटिया भाषा तक करार दे दिया था। मौलवियों ने आपत्ति जताई कि पवित्र कुरान को ऐसी भाषा कैसे दी जा सकती है।"
जावेद ने आगे कहा कि यह शुरू से ही व्यापक विचारधारा वाले, धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील लोगों की भाषा है।
भाषा
उर्दू धर्म की नहीं, क्षेत्र की भाषा है- जावेद
उर्दू पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली जैसे राज्यों में बोली और लिखी जाती है।
उन्होंने कहा के अनुसार, यह एक ऐसी भाषा है, जो शुरू से ही प्राचीन रीति-रिवाजों का खंडन करती है। कुछ लोग मुसलमानों ने नफरत करते हैं, इसलिए इस भाषा को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। यह किसी धर्म की नहीं बल्कि क्षेत्र की भाषा है।
जावेद पहले भी कई मौकों पर उर्दू के बारे में अपनी राय रख चुके हैं।
अजंता-एलोरा
एलोरा की गुफाएं देखकर हैरान हुए जावेद
जावेद की लिखी हुई लाइन 'जिस्म जैसे अंजता की मूरत कोई' बेहद लोकप्रिय है।
यहां बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह लाइन उन्होंने असल में अजंता-एलोरा की गुफाएं देखने से पहले लिखी थीं। हालांकि बाद में जब उन्होंने यह गुफा देखी, तो अवाक रह गए।
उन्होंने हैरानी जताई, "कैसा जुनून होगा उन लोगों में जिन्होंने इस असाधारण सुंदरता को मूर्त रूप दिया। मैं आश्चर्य चकित हूं कि उन्होंने किस तरह से इन मूर्तियों को रूप दिया है।"