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    #NewsBytesExplainer: महिला किरदारों को लेकर कैसे बदला बॉलीवुड का रुख?

    #NewsBytesExplainer: महिला किरदारों को लेकर कैसे बदला बॉलीवुड का रुख?
    लेखन आकांक्षा शर्मा
    Mar 08, 2023, 10:28 am 1 मिनट में पढ़ें
    #NewsBytesExplainer: महिला किरदारों को लेकर कैसे बदला बॉलीवुड का रुख?
    बॉलीवुड में यूं बदले महिला किरदार

    महिला किरदार बॉलीवुड का एक अहम हिस्सा हैं। लंबे वक्त तक फिल्मों में महिलाओं को सिर्फ हीरो के साथ रोमांस करने के लिए इस्तेमाल किया गया। इनके अलावा उन्हें बूढ़ी मां, लाचार बहन जैसी भूमिकाएं मिलीं, जिसकी मदद करके अभिनेता 'हीरो' बन जाता है। '90 और 2000 के दशक में महिलाएं पर्दे पर ग्लैमर लेकर आईं। हालांकि, बीते एक दशक में बॉलीवुड में कई मजबूत महिला किरदार देखे गए। हिंदी सिनेमा में बदलाव के इस सफर पर नजर डालते हैं।

    समाज बदला तो फिल्में बदलीं

    समाज और फिल्में एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। फिल्मों की छवि समाज में और समाज की छवि फिल्मों में नजर आती है। फिल्मों में महिलाओं के चित्रण में बदलाव का बड़ा कारण खुद समाज में हुआ बदलाव है। वक्त के साथ महिलाएं शिक्षित और स्वतंत्र होने लगीं। वे वकील, डॉक्टर, पायलट, सैनिक आदि बनने लगीं। फिल्ममेकर्स इन बदलावों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। ऐसे में फिल्मों में भी सिर्फ खूबसूरत नहीं, बल्कि स्वतंत्र और दृढ़ महिला किरदार शामिल होने लगे।

    महिला निर्देशकों की एंट्री 

    लंबे वक्त तक फिल्में सिर्फ पुरुष कहानीकार और निर्देशकों के चश्में से बनती रहीं। फिल्म जगत में महिला निर्देशकों की एंट्री बड़ा बदलाव लेकर आई। खास बात ये है कि वे सिर्फ महिला केंद्रित फिल्मों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि कई प्रगतिशील और प्रेरक फिल्में बनीं। उन्होंने ग्लैमर और रोमांस से हटकर जिंदगी के अन्य पहलुओं को छुआ। गौरी शिंदे की 'इंग्लिश विंग्लिश', जोया अख्तर की 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा', मेघना गुलजार की 'राजी' यादगार नामों में से एक हैं।

    जब महिलाओं ने थामी स्क्रिप्ट की कमान

    जब स्क्रिप्ट और कहानी के क्षेत्र में महिलाएं शामिल हुईं तो पर्दे के लिए गढ़े जाने वाले किरदारों में बदलाव साफ नजर आने लगा। महिला निर्देशकों की तरह लेखकों ने भी खुद को महिला प्रधान फिल्मों के खांचे में नहीं रखा। उन्होंने एक से बढ़कर एक किरदार दिए। रीमा कागटी ने 'गोल्ड' और 'गली बॉय' जैसी फिल्में लिखीं। जूही चतुर्वेदी ने 'अक्टूबर', 'विकी डोनर' और 'पीकू' जैसी फिल्में लिखीं। अलंकृता श्रीवास्तव, अन्विता दत्त जैसी लेखकों ने अपनी अलग पहचान बनाई।

    महिला कलाकारों ने भी बदला रास्ता

    फिल्मों में मजबूत महिला किरदारों के बढ़ने की वजह खुद महिला कलाकार भी हैं। कई अभिनेत्रियों ने सिर्फ ग्लैमरस और रोमांटिक किरदार करने की बजाय अपने लिए मजबूत संदेश देने वाली फिल्में चुनीं। विद्या बालन, तापसी पन्नू, ऋचा चड्ढा और राधिका आप्टे जैसी अभिनेत्रियों ने अपनी अलग लीक गढ़ी है। तब्बू लगातार पर्दे पर एक्शन भूमिका में नजर आ रही हैं। आलिया भट्ट और दीपिका पादुकोण जैसी अभिनेत्रियां दोनों तरह के किरदारों के साथ प्रयोग कर रही हैं।

    हर मुद्दे पर मुखर हुईं अभिनेत्रियां

    अभिनेत्रियां अब महज मैगजीन कवर या पेज 3 का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि हर मुद्दे पर दृढ़ता से अपनी बात कहती हैं। विद्या बालन अक्सर बॉडी शेमिंग और कॉन्फिडेंस पर बात करती दिखी हैं। तापसी अपने इंटरव्यू में शादी के फैसले और आर्थिक स्वतंत्रता पर अक्सर बात करती हैं। स्वरा भास्कर, कंगना रनौत और ऋचा चड्ढा जैसी अभिनेत्रियां राजनीतिक मुद्दों पर मुखर रहती हैं। ऐसी अभिनेत्रियों की मौजूदगी में फिल्म जगत में बदलाव होना तय है।

    OTT से आई क्रांति

    फिल्ममेकर्स तो प्रगतिशील और महिला केंद्रित फिल्में बनाने लगे, लेकिन एक बड़ा दर्शक वर्ग अब भी ऐसी फिल्मों के उपभोग के लिए तैयार नहीं था। ऐसे में बॉक्स ऑफिस पर ऐसी फिल्मों की कमाई एक बड़ा रोड़ा थी। OTT ने इस मुश्किल को आसान कर दिया। ऐसी फिल्में अब सीधा OTT पर रिलीज की जा सकती हैं। 'गुंजन सक्सेना', 'शकुंतला देवी', 'अ थर्सडे', 'छतरीवाली', 'डार्लिंग्स' जैसी कई फिल्में सीधा OTT पर आईं और खूब पसंद की गईं।

    वेब सीरीज से किरदारों को मिली मजबूती

    वेब सीरीज की बढ़ती लोकप्रियता ने भी महिला किरदारों को मजबूती दी। थ्रिलर रोमांचक वेब सीरीज दर्शकों को बांधने में कामयाब रहे हैं। ऐसे में निर्माताओं ने वेब सीरीज के लिए बेहतरीन महिला किरदार गढ़े। कलाकारों ने भी अपनी अदाकारी से दर्शकों को रोमांचित किया। शेफाली शाह की 'दिल्ली क्राइम', हुमा कुरैशी की 'महारानी', सुष्मिता सेन की 'आर्या', रवीना टंडन की 'अरण्यक' जैसी वेब सीरीज ने पर्दे को ऐसे महिला किरदार दिए, जो पहले कभी नहीं देखे गए।

    बायोपिक से पर्दे पर दिखीं हर क्षेत्र की दिग्गज महिलाएं

    बीते एक दशक में बॉलीवुड में बायोपिक का चलन खूब बढ़ा। फिल्म निर्माता हर वर्ग की प्रेरक हस्तियों पर बायोपिक बना रहे हैं। ऐसे में अलग-अलग क्षेत्र में कमाल कर चुकी महिलाओं ने भी बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई। लेखकों की कल्पनाओं से परे असल दुनिया की महिलाओं की कहानियां पर्दे पर नजर आने लगीं। बॉक्सर एमसी मैरी कॉम, गणितज्ञ शकुंतला देवी, एयरफोर्स पायलट गुंजन सक्सेना, क्रिकेटर मिताली राज जैसे चरित्रों ने भी बड़े पर्दे पर बदलाव का काम किया।

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