
#NewsBytesExplainer: हिंदी सिनेमा कैसे बना 'बॉलीवुड'? जानिए फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े सभी 'वुड' के बारे में
क्या है खबर?
भारतीय सिनेमा का इतिहास काफी पुराना है। यहां हर साल सैंकड़ों फिल्में रिलीज होती हैं और लोगों का मनोरंजन करती हैं।
भारत ही नहीं, विदेशों में अलग-अलग भाषाओं की इन फिल्म इंडस्ट्री में एक समानता भी है, वो है 'वुड' की।
ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि हर इंडस्ट्री के नाम के आखिर में 'वुड' कहां से आया और कैसे हिंदी सिनेमा का नाम बॉलीवुड पड़ा?
आइए आज आपको इंडस्ट्री के सभी 'वुड' से मिलवाते हैं।
विस्तार
कैसे हुई सिनेमा में 'वुड' की एंट्री?
सिनेमा जगत में 'वुड' शब्द के इस्तेमाल की शुरुआत सबसे पहले अमेरिका से हुई थी।
एचजे व्हिटली ने हॉलीवुड शब्द का प्रयोग किया था और ऐसे में उन्हें 'हॉलीवुड का पिता' भी कहा जाता है।
दरअसल, हॉलीवुड अमेरिका में एक जगह का नाम था, जिसका 1910 में लॉस एंजिल्स में विलय कर दिया गया था।
ऐसे में इस जगह के नाम पर इंडस्ट्री का नाम रखा गया और लॉस एंजिल्स प्रमुख फिल्म उद्योग के रूप में उभरने लगा।
विस्तार
'टॉलीगंज' से तय किया 'बॉलीवुड' तक का सफर
हिंदी सिनेमा का 'बॉलीवुड' बनने तक का सफर 'टॉलीगंज' से शुरू हुआ था।
सन 1930 में कोलकाता में टॉलीगंज नाम की एक जगह पर बंगाली फिल्म इंडस्ट्री का केंद्र था।
पहली बार जब 'टॉलीगंज' के बारे में अमेरिकन सिनेमेटोग्राफर पत्रिका में लिखा गया तो उन्होंने इसे 'टॉलीवुड' कहा था, जो बाद में दक्षिण भारतीय फिल्मों को बुलाया जाने लगा।
'टॉलीवुड' से प्रेरणा लेते हुए और बॉम्बे (मुंबई) में फिल्म इंडस्ट्री का गढ़ होने के चलते हिंदी सिनेमा 'बॉलीवुड' कहलाया गया।
इंडस्ट्री
दक्षिण भारतीय सिनेमा को मिले ये नाम
बॉलीवुड का इस्तेमाल सिर्फ हिंदी फिल्मों के लिए किया जाता है। इसके नाम से पूरे भारतीय सिनेमा की बात नहीं कर सकते क्योंकि भारत में अलग-अलग भाषाओं में कई फिल्में बनती हैं।
ऐसे में हर इंडस्ट्री को अलग नाम दिए गए हैं। दक्षिण भारतीय सिनेमा में तेलुगू के साथ ही बंगाली इंडस्ट्री को 'टॉलीवुड' कहा जाता है, वहीं तमिल इंडस्ट्री को 'कॉलीवुड' नाम मिला है।
इनके अलावा कन्नड़ इंडस्ट्री को 'सैंडलवुड' और मलयालम इंडस्ट्री को 'मॉलीवुड' नाम दिया गया है।
विस्तार
इनके नामों पर भी डालिए नजर
इन सबके अलावा भी देश भर में अलग-अलग भाषा में बनने वाली फिल्मों की इंडस्ट्री के नाम कुछ इस प्रकार हैं।
पंजाबी गानों की तरह ही अब पंजाबी फिल्में भी लोगों का मनोरंजन कर रही हैं। ऐसे में इस इंडस्ट्री का नाम पॉलीवुड है।
छत्तीसगढ़ इंडस्ट्री को 'छॉलीवुड' और काठमांडु की नेपाली इंडस्ट्री को 'कालवुड' से पहचान मिली है।
इनके अलावा उड़िया फिल्म इंडस्ट्री को 'ऑलीवुड' और सिंधी इंडस्ट्री को 'सॉलीवुड' के नाम से जाना जाता है।
विस्तार
पाकिस्तानी इंडस्ट्री 'लॉलीवुड' तो बांग्लादेशी बनी 'ढॉलीवुड'
1947 में देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री का गढ़ लाहौर में बना और इसे 'लॉलीवुड' कहा जाने लगा।
इससे पहले भारतीय सिनेमा अलग-अलग नहीं हुआ करता था, लेकिन विभाजन के बाद पाकिस्तान में लॉलीवुड बना, जिसके नाम को भी हॉलीवुड से ही लिया गया है।
इसके अलावा बांग्लादेश की फिल्म इंडस्ट्री को 'ढॉलीवुड' के नाम से जाना जाता है, जिसका संबंध वहां के प्रमुख शहर ढाका से है।
इतिहास
ऐसा रहा भारतीय सिनेमा का इतिहास
भारतीय सिनेमा की शुरुआत 1913 में हुई थी और देश की पहली मूक फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' थी, जिसका निर्माण दादा साहेब फाल्के ने किया था।
इसके बाद 1931 में भारतीय सिनेमा को आवाज मिली और 'आलम आरा' रिलीज हुई, वहीं सिनेमा को रंग 1937 में 'किसान कन्या' से मिले।
इसके अलावा 1950 से 1960 के दौर को सिनेमा की स्वर्ण युग कहा जाता है, जिसने गुरु दत्त, नरगिस और मधुबाला जैसे सितारे इंडस्ट्री को दिए।