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बंगाल: ममता बनर्जी की कैबिनेट का फैसला, विश्वविद्यालयों में अब राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री होंगी चांसलर
पश्चिम बंगाल के विश्वविद्यालयों में अब राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री होंगी चांसलर

बंगाल: ममता बनर्जी की कैबिनेट का फैसला, विश्वविद्यालयों में अब राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री होंगी चांसलर

लेखन तौसीफ
May 27, 2022
12:24 pm

क्या है खबर?

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच एक नया विवाद शुरू हो सकता है। दरअसल, पश्चिम बंगाल की कैबिनेट ने फैसला लिया है कि अब राज्य संचालित विश्वविद्यालयों की चांसलर राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री होंगी। इससे संबंधित विधेयक को जल्द ही विधानसभा में पेश किया जाएगा। इससे पहले राज्य के विश्वविद्यालयों के चांसलर गवर्नर होते थे जो कि कुलपतियों की भी नियुक्ति करते थे।

विधेयक

पश्चिम बंगाल विधानसभा में जल्द पेश किया जाएगा विधेयक

राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने गुरुवार को कहा, "आज राज्य मंत्रिमंडल ने राज्यपाल के स्थान पर मुख्यमंत्री को सभी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों का चांसलर बनाने के प्रस्ताव को अपनी सहमति दे दी है।" उन्होंने आगे बताया कि इस प्रस्ताव को जल्द ही विधानसभा में एक विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा। जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल पश्चिम बंगाल में राज्यपाल यानि धनखड़ ही सभी विश्वविद्यालयों के चांसलर हैं।

नियुक्ति

बिना राज्यपाल की अनुमति के हुई थी कुलपतियों की नियुक्ति

बता दें कि जनवरी में राज्य के 24 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति की गई थी। इस पर धनखड़ ने आरोप लगाया था कि उनकी मंजूरी के बिना और आदेशों की अवहेलना करते हुए इन विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त कर दिए गए। इससे पहले दिसंबर, 2021 में राजभवन में राज्यपाल की ओर से बुलाई गई बैठक में निजी विश्वविद्यालयों के चांसलर और कुलपतियों के शरीक नहीं होने के बाद भी विवाद उठा था।

निंदा

भाजपा ने की कैबिनेट के फैसले की निंदा

पश्चिम बंगाल कैबिनेट के फैसले की निंदा करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने कहा कि 14वीं शताब्दी के तानाशाह दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने अगर बंगाल सरकार का कामकाज देखा होता तो वह भी असुरक्षित महसूस करता। हाजरा ने कहा, "आज राज्य मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों का चांसलर मुख्यमंत्री होगा। कल को यह निर्णय भी लिया जा सकता है कि मुख्यमंत्री को राज्य का प्रधानमंत्री कहा जाए।"

जानकारी

प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल ने ममता के कदम को बताया 'राजनीति से प्रेरित'

प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल (विश्वविद्यालय बनने से पहले) अमल मुखोपाध्याय ने इस निर्णय को राजनीति से प्रेरित और अनावश्यक बताया और कहा कि इस विधेयक के पास होने के बाद उच्च शिक्षण संस्थान की स्वायत्त स्थिति खराब होगी।

न्यूजबाइट्स प्लस

तमिलनाडु में भी पास हो चुका है इस तरह का विधेयक

अप्रैल में तमिलनाडु सरकार ने एक विधेयक पारित किया गया था जिसमें राज्य सरकार को विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने की शक्ति दे दी गई थी। तमिलनाडु विधानसभा से इस विधेयक के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अपने संबोधन में केंद्र-राज्य संबंधों पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश मदन मोहन पूंछी की अध्यक्षता वाले एक आयोग की रिपोर्ट की ओर भी इशारा किया था जिसमें विश्वविद्यालयों के चांसलर के पद से राज्यपाल को हटाने की सिफारिश की गई थी।